पाकिस्तान में शुक्रवार दोपहर 1:37 बजे 4.2 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र पश्चिमी पाकिस्तान रहा। बीते कुछ दिनों से लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं, जिससे लोग दहशत में हैं।
Pakistan: पाकिस्तान में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जो वहां की जनता के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। शुक्रवार दोपहर करीब 1:37 बजे पश्चिमी पाकिस्तान में रिक्टर स्केल पर 4.2 की तीव्रता वाला भूकंप आया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Seismological Centre) ने इसकी पुष्टि की है। पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, जिससे वहां के लोगों में डर और आशंका बढ़ गई है।
पाकिस्तान में भूकंप: हालात और तीव्रता
पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में भूकंप की घटनाएं लगातार दर्ज हो रही हैं। शुक्रवार को जो झटका आया, वह पश्चिमी पाकिस्तान में था और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 मापी गई। यह तीव्रता आमतौर पर मध्यम दर्जे की होती है, लेकिन इसे महसूस किया जाना भी चिंता का विषय हो सकता है।
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में आता है। यहां की टेक्टोनिक प्लेट्स की हरकतें भूकंप की मुख्य वजह होती हैं।
भूकंप क्यों आते हैं? टेक्टोनिक प्लेट्स की भूमिका
धरती की सतह 7 बड़ी टेक्टोनिक प्लेट्स (tectonic plates) में बंटी हुई है। ये प्लेट्स लगातार अपने-अपने स्थान पर धीरे-धीरे मूव करती रहती हैं। कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं, घिसती हैं या अलग होती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान जब ऊर्जा एक जगह इकट्ठा होती है और अचानक रिलीज होती है, तब भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
भूकंप की यह प्रकृति पूरी तरह प्राकृतिक है और इसे रोक पाना फिलहाल संभव नहीं है। इसके बावजूद सही जानकारी, तैयारी और जागरूकता से हम इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं।
भारत में भूकंप के जोन और संवेदनशील क्षेत्र
भारत को भूकंप की दृष्टि से चार जोन में बांटा गया है – जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5। जहां जोन-5 सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है, वहीं जोन-2 सबसे कम।
दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) जोन-4 में आता है, जो मध्यम से ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप की संभावना रखता है। इसके अलावा हिमालय क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत, कच्छ, और पश्चिमी राजस्थान के इलाके भी भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माने जाते हैं।
भारत में ज्यादातर भूकंप तब आते हैं जब भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है, जिससे फॉल्ट लाइनें बनती हैं और भूकंप का खतरा बढ़ जाता है।
रिक्टर स्केल: भूकंप की तीव्रता को समझना
रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता को मापने का एक वैज्ञानिक तरीका है। इसके आधार पर यह पता चलता है कि भूकंप कितना शक्तिशाली था और उसका प्रभाव कितना गंभीर हो सकता है।
4.0 से 4.9: इस तीव्रता वाले भूकंप में घर के अंदर सामान हल्का हिलता है, लेकिन ज्यादा नुकसान नहीं होता।
5.0 से 5.9: इस स्तर के भूकंप में भारी सामान हिल सकते हैं, फर्नीचर को नुकसान पहुंच सकता है।
6.0 से 6.9: इमारतों के बेस में दरारें आ सकती हैं, और नुकसान गंभीर हो सकता है।
7.0 से 7.9: बड़ी तबाही के साथ इमारतें गिर सकती हैं, जनहानि हो सकती है।
8.0 से 8.9: सुनामी का खतरा होता है, और व्यापक स्तर पर तबाही मच सकती है।
9.0 या उससे ऊपर: यह सबसे भीषण भूकंप होता है, जिससे भारी जनहानि और विनाश होता है।