एनएमसी ने छात्रों को फर्जी मेडिकल कॉलेजों से सतर्क रहने को कहा है। केवल मान्यता प्राप्त संस्थानों से ही पढ़ाई करें। विदेश से एमबीबीएस करने वालों के लिए भी सख्त नियम तय किए गए हैं।
नई दिल्ली। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने देशभर के मेडिकल छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में खास तौर पर उन छात्रों को आगाह किया गया है जो एमबीबीएस (MBBS) और अन्य मेडिकल कोर्सेज में दाखिला लेने की योजना बना रहे हैं, खासकर भारत से बाहर जाकर पढ़ाई करने वालों के लिए भी कुछ अहम निर्देश जारी किए गए हैं।
फर्जी मेडिकल कॉलेजों को लेकर अलर्ट
NMC ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि कुछ संस्थान मेडिकल एजुकेशन की मान्यता के झूठे दावे करके छात्रों को दाखिला दे रहे हैं। ये संस्थान बिना वैध अनुमति के MBBS और अन्य मेडिकल डिग्री कोर्स चला रहे हैं। ऐसे कॉलेजों से पढ़ाई करने वाले छात्रों की डिग्री भारत में मान्य नहीं होगी।
क्या कहा गया है एडवाइजरी में?
"छात्र केवल उन्हीं मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लें, जो NMC की आधिकारिक वेबसाइट nmc.org.in पर लिस्टेड हैं।"
इस लिंक के माध्यम से छात्र कॉलेज और कोर्स से जुड़ी वैध जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। NMC की मान्यता के बिना चल रहे संस्थानों से डिग्री लेना, छात्रों के भविष्य को संकट में डाल सकता है।
दो फर्जी मेडिकल संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू
एनएमसी की नजर ऐसे फर्जी संस्थानों पर भी है जो MBBS कोर्स की फर्जी अनुमति के आधार पर एडमिशन ले रहे थे।
1 सिंघानिया यूनिवर्सिटी, राजस्थान
यह यूनिवर्सिटी एनएमसी की अनुमति के बिना एमबीबीएस कोर्स चला रही थी। अब इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो चुकी है।
2 संजीवन अस्पताल और मेडिकल कॉलेज, हावड़ा, पश्चिम बंगाल
यह संस्थान भी बिना अनुमति के मेडिकल डिग्री दे रहा था। इस पर भी कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
एनएमसी ने कहा है कि वह समय-समय पर अपनी वेबसाइट पर कॉलेजों की मान्यता से जुड़ी जानकारी अपडेट करता रहेगा, जिससे छात्र किसी फर्जीवाड़े का शिकार न हों।
विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वालों के लिए नए नियम
जो छात्र विदेश जाकर MBBS या अन्य मेडिकल कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए भी NMC ने गाइडलाइंस स्पष्ट कर दी हैं। ये नियम यह सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं कि छात्रों को विदेश से ली गई डिग्री के बाद भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने में कोई परेशानी न हो।
नियम कुछ इस प्रकार हैं:
1 कम से कम 54 माह की पढ़ाई
छात्र को एक ही संस्थान से कम से कम 54 महीने की पढ़ाई पूरी करनी होगी।
2 12 महीने की इंटर्नशिप
यह इंटर्नशिप उसी यूनिवर्सिटी से होनी चाहिए जहां से छात्र ने पढ़ाई की है।
3 क्लिनिकल ट्रेनिंग
यह एक ही संस्थान और देश में पूरी होनी चाहिए। अलग-अलग देशों से की गई क्लिनिकल ट्रेनिंग मान्य नहीं होगी।
4 अध्ययन की भाषा
शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी होना अनिवार्य है, जिससे छात्र भारत में मेडिकल शब्दावली और प्रैक्टिस में आसानी से ढल सके।
5 निर्धारित विषयों की पढ़ाई
छात्र को शेड्यूल-I में बताए गए सभी जरूरी विषयों की पढ़ाई करनी होगी।
प्रोफेशनल रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस
छात्र को उस देश में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए पात्र होना चाहिए जहां से उसने डिग्री प्राप्त की है। मतलब, उस देश के नागरिकों को जिस प्रकार से लाइसेंस मिलता है, छात्र को भी वही स्तर मिलना चाहिए।