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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अब एक ही पाली में होगी NEET PG परीक्षा, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अब एक ही पाली में होगी NEET PG परीक्षा, जानें पूरा मामला
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आज सुप्रीम कोर्ट ने NEET PG परीक्षा को लेकर दायर याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि NEET UG की तरह अब NEET PG परीक्षा भी एक ही शिफ्ट (सिंगल शिफ्ट) में आयोजित की जाएगी।

NEET PG: मेडिकल क्षेत्र की सबसे प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाओं में से एक नीट पीजी (NEET-PG) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि आगामी नीट पीजी परीक्षा अब एक ही पाली (सिंगल शिफ्ट) में आयोजित की जाएगी, ठीक उसी तरह जैसे नीट यूजी (NEET-UG) का आयोजन होता है। यह फैसला उन हजारों उम्मीदवारों के लिए राहत लेकर आया है जो लंबे समय से परीक्षा में समान अवसर और पारदर्शिता की मांग कर रहे थे।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, नीट पीजी 2025 परीक्षा को लेकर नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) ने दो पालियों में परीक्षा आयोजित करने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इस पर कुछ उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए आपत्ति जताई थी। उनका तर्क था कि दो पालियों में आयोजित परीक्षा में प्रश्न पत्रों का कठिनाई स्तर भिन्न हो सकता है, जिससे सभी छात्रों को समान अवसर नहीं मिल पाता।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ ने आज आदेश दिया कि 15 जून 2025 को होने वाली नीट पीजी परीक्षा को एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियां

सुनवाई के दौरान पीठ ने कई अहम टिप्पणियां कीं। विशेष रूप से, कोर्ट ने यह कहा कि, दो पालियों में आयोजित परीक्षाओं में प्रश्नपत्र एक समान कठिनाई स्तर के नहीं हो सकते। इससे एक समान अवसर की भावना प्रभावित होती है। यह परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

जस्टिस संजय कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा, नॉर्मलाइजेशन एक अपवाद हो सकता है, न कि नियम। इसे हर साल एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में अपनाना उचित नहीं है।"

एनबीई का तर्क खारिज

एनबीई ने कोर्ट में यह तर्क दिया था कि एक ही पाली में देश भर के सभी उम्मीदवारों के लिए परीक्षा आयोजित करना लॉजिस्टिक दृष्टिकोण से संभव नहीं है क्योंकि पर्याप्त परीक्षा केंद्रों की उपलब्धता नहीं है।लेकिन इस पर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, देश में इतनी तकनीकी प्रगति के बावजूद यह मान लेना कि पर्याप्त परीक्षा केंद्र नहीं मिल सकते, एक कमजोर तर्क है। परीक्षा निकाय को योजना बनाकर परीक्षा एक पाली में आयोजित करनी ही चाहिए।

पारदर्शिता को सर्वोपरि मानते हुए निर्देश

कोर्ट ने ना सिर्फ एक पाली में परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया, बल्कि परीक्षा आयोजन की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं। पीठ ने कहा कि देश भर के छात्रों को एक समान और निष्पक्ष परीक्षा का मौका मिलना चाहिए और इसके लिए हर आवश्यक कदम उठाया जाना अनिवार्य है।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का छात्रों और शैक्षणिक विशेषज्ञों द्वारा स्वागत किया गया है। सोशल मीडिया पर कई उम्मीदवारों ने इस फैसले को "स्टूडेंट्स के हित में ऐतिहासिक कदम" बताया। शैक्षणिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला मेडिकल शिक्षा प्रणाली में निष्पक्षता और गुणवत्ता के प्रति एक मजबूत संकेत है।

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