कहते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और अगर मन में सच्ची लगन हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। इस बात को सही साबित किया है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की गंदड़ पंचायत के रहने वाले डॉ. मिल्खी राम ने। 73 साल की उम्र में जब ज्यादातर लोग आराम की जिंदगी जीने लगते हैं, डॉ. मिल्खी राम ने अपने जुनून और मेहनत से 22 डिग्रियां और 11 डिप्लोमा हासिल किये।
उम्र को दी मात, हासिल की कामयाबी की ऊंचाई
अक्सर लोग 25 से 30 साल की उम्र में पढ़ाई से थक जाते हैं या फिर जिम्मेदारियों के चलते आगे की पढ़ाई छोड़ देते हैं। लेकिन डॉ. मिल्खी राम ने यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। 70 साल की उम्र पार करने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई को जारी रखा और इसे अपने जीवन का मकसद बना लिया। लगातार मेहनत और लगन से उन्होंने खुद को इतना योग्य बना लिया कि आज उनका नाम हिमाचल प्रदेश के सबसे ज़्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति के रूप में लिया जाता है। उनका यह अनोखा रिकॉर्ड 'Lucent General Knowledge Book' (पेज 414) में भी दर्ज है। यह उनके जज्बे, आत्मविश्वास और शिक्षा के प्रति समर्पण का प्रमाण है। डॉ. मिल्खी राम की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो उम्र का बहाना बनाकर सपनों को अधूरा छोड़ देता है।
कौन हैं डॉ. मिल्खी राम?
डॉ. मिल्खी राम हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की गंदड़ पंचायत के रहने वाले हैं। वे एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। पढ़ाई के प्रति उनका लगाव बचपन से ही रहा है और उन्होंने अपनी उम्र को कभी भी पढ़ाई में रुकावट नहीं बनने दिया।
आज जब बहुत से लोग 40 की उम्र के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं या नई चीजें सीखना बंद कर देते हैं, डॉ. मिल्खी राम ने 73 साल की उम्र में भी पढ़ाई जारी रखकर एक मिसाल कायम की है। वे अब तक 22 डिग्रियां और 11 डिप्लोमा प्राप्त कर चुके हैं।
उनका मानना है कि ज्ञान केवल किताबों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह इंसान की सोच और जीवन को बेहतर बनाने का माध्यम है। वे न केवल अपने गांव के युवाओं के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। उनका जीवन यह संदेश देता है कि अगर मन में सच्ची लगन हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
पढ़ाई में हासिल की 22 डिग्रियां
डॉ. मिल्खी राम ने शिक्षा के क्षेत्र में जो मुकाम हासिल किया है, वह सच में काबिले तारीफ है। उन्होंने अब तक कुल 22 डिग्रियां हासिल की हैं, जो किसी भी आम इंसान के लिए सपना जैसी लग सकती हैं। उनके द्वारा प्राप्त की गई डिग्रियों में सबसे पहले है LLB यानी कानून की पढ़ाई, फिर LLM जो कानून में मास्टर डिग्री होती है।
इसके बाद उन्होंने B.Ed और M.Ed करके शिक्षण क्षेत्र में भी अपनी पकड़ मजबूत की। डॉ. मिल्खी राम ने अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र और समाजशास्त्र जैसे कुल 18 विषयों में M.A. की डिग्री प्राप्त की है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा उन्होंने हिंदी में M.Phil भी किया है, जो रिसर्च आधारित डिग्री होती है।
सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने पत्रकारिता और जनसंचार यानी Journalism & Mass Communication की पढ़ाई भी की है। वर्तमान में वे ज्योतिष विषय में M.A. की पढ़ाई कर रहे हैं।
11 डिप्लोमा भी किए हासिल
डॉ. मिल्खी राम ने सिर्फ बड़ी-बड़ी डिग्रियां ही नहीं लीं, बल्कि उन्होंने कई खास क्षेत्रों में डिप्लोमा भी किए हैं। उन्होंने अब तक कुल 11 डिप्लोमा प्राप्त किए हैं, जो उनके ज्ञान की गहराई और सीखने के जुनून को दिखाते हैं। उनके इन डिप्लोमों में सबसे पहले आता है ट्रांसलेशन यानी अनुवाद का डिप्लोमा, जिससे वे किसी भाषा को दूसरी भाषा में सटीक रूप से बदल सकते हैं।
इसके बाद उन्होंने ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट (HRD) में डिप्लोमा किया है, जो किसी संगठन में मानव संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए बहुत जरूरी होता है।
उन्होंने एजुकेशन यानी शिक्षा के क्षेत्र में भी डिप्लोमा किया, जिससे पता चलता है कि वे न सिर्फ पढ़ना बल्कि पढ़ाना भी जानते हैं। इसके अलावा उन्होंने संस्कृत भाषा में डिप्लोमा हासिल किया, जो भारत की एक प्राचीन और महत्वपूर्ण भाषा है।
इनके अलावा भी उन्होंने कुछ अन्य व्यावसायिक और भाषाई डिप्लोमा किए हैं, जिनसे वे कई क्षेत्रों में निपुण बन चुके हैं। यह सब दिखाता है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती—बस इच्छा और मेहनत चाहिए।
डिजिटल युग में भी बने उदाहरण
आज के समय में जब हर चीज तकनीक पर निर्भर होती जा रही है, डॉ. मिल्खी राम ने खुद को पूरी तरह से डिजिटल दुनिया के अनुरूप ढाल लिया है। उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए इंटरनेट, ऑनलाइन क्लासेस और डिजिटल लाइब्रेरी जैसे आधुनिक साधनों का पूरा इस्तेमाल किया। उनकी यह सोच बताती है कि उम्र चाहे जो भी हो, अगर मन में सीखने की ललक हो तो टेक्नोलॉजी को भी अपनाया जा सकता है।
डॉ. मिल्खी राम ने यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती। उन्होंने यह दिखाया कि अगर आप सीखना चाहते हैं तो आपके पास आज के डिजिटल युग में ढेरों साधन हैं, बस जरूरत है उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करने की। उनका यह नजरिया आज की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है कि केवल स्मार्टफोन चलाना ही टेक्नोलॉजी नहीं, उसका सही इस्तेमाल करना असली समझदारी है।
राजनीतिक जगत से भी मिली सराहना
डॉ. मिल्खी राम की पढ़ाई के प्रति लगन और उपलब्धियों को केवल आम लोग ही नहीं, बल्कि राजनेता भी सलाम कर रहे हैं। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सिकंदर कुमार ने भी सोशल मीडिया के जरिए उनकी तारीफ की। उन्होंने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा कि डॉ. मिल्खी राम सिर्फ हिमाचल प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा हैं। उनका नाम ‘लुसेंट सामान्य ज्ञान’ की किताब (पेज 414) में हिमाचल के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति के रूप में दर्ज है।
उन्होंने कहा कि ये सिर्फ डिग्रियों की बात नहीं है, बल्कि यह अटूट मेहनत, जीवनभर सीखने की चाह और अनुशासन का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने आगे लिखा कि डॉ. मिल्खी राम उन सभी लोगों के लिए एक सीख हैं जो उम्र या हालात का बहाना बनाकर अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं। ऐसे लोगों के लिए उनका जीवन एक जीती-जागती मिसाल है कि अगर इच्छा हो, तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता।
समाज के लिए बने प्रेरणा
डॉ. मिल्खी राम सिर्फ खुद की पढ़ाई तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने अपने जीवन से पूरे समाज को एक नई सोच दी है। वे मानते हैं कि शिक्षा ही असली संपत्ति है, जो इंसान की सोच बदल सकती है और समाज को एक बेहतर दिशा में ले जा सकती है। उनके अनुसार, अगर इंसान सच्ची लगन और मेहनत से पढ़ाई करे, तो कोई भी उम्र उसकी राह नहीं रोक सकती।
उनका जीवन खासकर उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जिन्होंने किसी कारण से पढ़ाई बीच में छोड़ दी है या अब उम्र का बहाना बनाकर कुछ नया सीखना छोड़ दिया है। डॉ. मिल्खी राम यह साबित करते हैं कि सीखना कभी बंद नहीं होना चाहिए। उनका यह जज़्बा सभी को जीवन में आगे बढ़ने और कभी हार न मानने की सीख देता है।
डॉ. मिल्खी राम ने जो कर दिखाया है, वह किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए एक बड़ी सीख है। 73 साल की उम्र में शिक्षा के प्रति उनका समर्पण और अनुशासन यह साबित करता है कि इंसान अगर ठान ले, तो कुछ भी असंभव नहीं। यह सिर्फ एक सफलता की कहानी नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए उम्मीद और प्रेरणा की लौ है।