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डुओलिंगो ने लॉन्च किए 148 नए AI-जनरेटेड भाषा कोर्स, अब नई भाषा सीखना हुआ और आसान

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लॉन्च के साथ, डुओलिंगो की सात सबसे लोकप्रिय गैर-अंग्रेजी भाषाएं अब सभी उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध हो गई हैं। इसका मतलब है कि और भी लोग अपनी मातृभाषा में इन भाषाओं को आसानी से सीख सकेंगे।

दुनिया भर में लोकप्रिय भाषा-सीखने वाला ऐप डुओलिंगो ने हाल ही में 148 नए भाषा पाठ्यक्रम लॉन्च किए हैं। इन पाठ्यक्रमों को कंपनी की नई AI-फर्स्ट रणनीति के तहत तैयार किया गया है। पहले, डुओलिंगो को एक कोर्स बनाने में काफी समय लगता था, लेकिन अब AI की मदद से यह काम बहुत तेज़ और आसान हो गया है। डुओलिंगो का उद्देश्य है कि उसकी शिक्षा प्रणाली को और तेज़, स्मार्ट और प्रभावी बनाया जा सके, ताकि अधिक से अधिक लोग आसानी से नई भाषाएं सीख सकें।

AI के जरिए तैयार हुए 1 साल में 148 कोर्स

पहले डुओलिंगो को एक भाषा कोर्स बनाने में कई सालों का समय लग जाता था। उदाहरण के लिए, कंपनी को 100 भाषा कोर्स बनाने में लगभग 12 साल का वक्त लग गया था। लेकिन अब समय बदल गया है।

अब डुओलिंगो ने जनरेटिव AI तकनीक की मदद ली है, जिससे कोर्स बनाना पहले से कहीं तेज़, आसान और स्मार्ट हो गया है। यही वजह है कि अब कंपनी ने सिर्फ 1 साल के अंदर 148 नए कोर्स तैयार कर लिए हैं।

डुओलिंगो के CEO लुइस वॉन आह्न ने बताया कि यह सब AI की वजह से ही संभव हो पाया है। अब एक भाषा कोर्स को प्लान करने, डिजाइन करने और लॉन्च करने में उतना समय नहीं लगता जितना पहले लगता था।

नई भाषाएं सीखना अब पहले से कहीं ज्यादा सरल

डुओलिंगो ने अब अपनी 7 सबसे पॉपुलर नॉन-इंग्लिश भाषाएं – फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, जापानी, कोरियाई, मंदारिन (चीनी) और स्पेनिश – को और ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का बड़ा कदम उठाया है। अब ये सभी भाषाएं 28 अलग-अलग भाषाओं के इंटरफेस में उपलब्ध होंगी। इसका मतलब है कि जो लोग पहले सिर्फ अंग्रेजी के जरिए ही इन भाषाओं को सीख पाते थे, अब वे अपनी मातृभाषा में भी इन भाषाओं को आसानी से सीख सकेंगे।

इससे डुओलिंगो की पहुंच पहले से कहीं ज्यादा व्यापक हो जाएगी। दुनियाभर में लगभग 1 अरब से ज्यादा लोग, जो अंग्रेजी में सहज नहीं हैं, अब अपनी खुद की भाषा में फ्रेंच, कोरियन या स्पेनिश जैसी भाषाएं सीख सकेंगे। यह कदम खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा, जो गांवों या छोटे शहरों में रहते हैं और अंग्रेजी के बिना भाषा सीखने की सुविधा चाहते हैं।

AI-फर्स्ट रणनीति में बड़ा बदलाव
 
डुओलिंगो की नई रणनीति सिर्फ नए भाषा कोर्स तैयार करने तक सीमित नहीं है, बल्कि कंपनी अब अपने पूरे कामकाज के सिस्टम को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित बना रही है। इसका मतलब यह है कि अब डुओलिंगो के अलग-अलग विभागों में पहले जो काम लोग करते थे, उन्हें अब AI टेक्नोलॉजी के जरिए किया जाएगा। खासकर ऐसे काम जो पहले कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए वर्कर्स से कराए जाते थे, अब वह काम स्मार्ट मशीनें करेंगी।

इसके अलावा, कंपनी अब अपने कर्मचारियों की भर्ती (Hiring) और परफॉर्मेंस रिव्यू यानी प्रदर्शन मूल्यांकन में भी AI स्किल्स को महत्व देगी। यानी डुओलिंगो अब ऐसे कर्मचारियों को ज्यादा प्राथमिकता देगा, जिनके पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी स्किल्स हों। इससे कंपनी न सिर्फ अपने काम की गति बढ़ाएगी, बल्कि तकनीकी रूप से भी खुद को और मजबूत बनाएगी। यह बदलाव डुओलिंगो को भविष्य की जरूरतों के अनुसार और अधिक स्मार्ट और प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

शेयरड कंटेंट सिस्टम’ क्या है और कैसे काम करता है?

डुओलिंगो ने कोर्स बनाने के लिए एक नई प्रक्रिया अपनाई है, जिसे "शेयरड कंटेंट सिस्टम" कहा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत, सबसे पहले एक उच्च गुणवत्ता वाला बेस कोर्स तैयार किया जाता है। फिर, इस कोर्स को अलग-अलग भाषाओं के हिसाब से कस्टमाइज किया जाता है।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि कोर्स की गुणवत्ता हमेशा बेहतरीन रहती है, क्योंकि बेस कोर्स पहले से पूरी तरह से तैयार किया जाता है। इसके बाद, उस कोर्स में मामूली बदलाव करके उसे हर भाषा के लिए उपयुक्त बनाया जाता है।

यह तरीका समय की बचत भी करता है। पहले हर भाषा के लिए अलग-अलग कोर्स बनाना पड़ता था, लेकिन अब एक बेस कोर्स तैयार करने के बाद उसे जल्दी से हर भाषा में बदल सकते हैं। इस प्रक्रिया से डुओलिंगो को नए कोर्स तेजी से तैयार करने में मदद मिल रही है, और इससे ज्यादा छात्रों तक शिक्षा आसानी से पहुंचाई जा रही है।

सबसे ज्यादा फायदा किसको मिलने वाला है 

डुओलिंगो के नए बदलावों से अब स्पेनिश और पुर्तगाली बोलने वाले यूजर्स को भी फायदा होगा। पहले, अगर किसी को जापानी, कोरियाई या मंदारिन जैसी एशियाई भाषाएं सीखनी होती थीं, तो यह केवल अंग्रेजी बोलने वालों के लिए ही संभव था। लेकिन अब डुओलिंगो ने ये भाषाएं स्पेनिश और पुर्तगाली बोलने वाले यूजर्स के लिए भी उपलब्ध कर दी हैं। इसका मतलब है कि अब इन भाषाओं को सीखने में इन यूजर्स को कोई दिक्कत नहीं होगी।

यह बदलाव खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अंग्रेजी नहीं बोलते। पहले, अंग्रेजी नहीं बोलने वालों के लिए एशियाई भाषाएं सीखना मुश्किल था, लेकिन अब डुओलिंगो ने इसे आसान बना दिया है। इससे अब अधिक लोग एशियाई भाषाएं सीख सकेंगे, चाहे वे किसी भी भाषा को बोलते हों। डुओलिंगो ने इस बदलाव से अपनी सेवाओं को और भी ज्यादा यूजर्स तक पहुंचाने की कोशिश की है।

हर विभाग में अब AI की मदद 

डुओलिंगो अब सिर्फ कोर्स बनाने में ही नहीं, बल्कि अपनी पूरी कंपनी में AI तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। पहले कई काम जैसे भाषा का कंटेंट लिखना, अनुवाद करना या सीखने की एक्सरसाइज़ तैयार करना इंसान करते थे। अब ये काम AI से तेज़ और आसान तरीके से किए जा रहे हैं।

कंपनी अब AI स्किल्स को इतना जरूरी मान रही है कि जो लोग डुओलिंगो में काम करना चाहते हैं, उनके लिए AI की समझ होना ज़रूरी हो गया है। इतना ही नहीं, जो लोग पहले से कंपनी में काम कर रहे हैं, उनके काम की जांच (परफॉर्मेंस रिव्यू) में भी अब देखा जाएगा कि वे AI का कितना अच्छे से इस्तेमाल कर रहे हैं।

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