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भारत में 2032 तक होगी 12.3 करोड़ इलेक्ट्रिक गाड़ियां: जानें कैसे होगा यह मुमकिन

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रिपोर्ट के मुताबिक, 2032 तक भारत में 12.3 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन होंगे। पर्यावरण की रक्षा और नेट जीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का अपनाना जरूरी है, जिसे सरकार की फेम-2 स्कीम समर्थन दे रही है।

टेक्नोलॉजी: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2032 तक भारत में लगभग 12.3 करोड़ इलेक्ट्रिक गाड़ियां सड़कों पर दौड़ती हुई नजर आएंगी। यह रिपोर्ट इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (IESA) और कस्टमाइज्ड एनर्जी सॉल्यूशंस (CES) ने मिलकर तैयार की है, जिसमें भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या और इसके लाभों के बारे में अहम जानकारी दी गई है।

इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ता महत्व और पर्यावरण पर असर

इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बढ़ता उपयोग भारत में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मददगार साबित हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक गाड़ियों का लक्ष्य पूरा किया जाएगा और 2070 तक भारत का उद्देश्य "नेट जीरो कार्बन एमिशन" को हासिल करना है। इसका मतलब है कि भारत को प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण के लिए सकारात्मक कदम उठाने होंगे। 

इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि यह पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता को भी कम करेगा। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बढ़ते उपयोग से ऊर्जा की खपत में भी सुधार होगा, जो अंततः भारत की ऊर्जा नीति को मजबूत करेगा। सरकार द्वारा दी जा रही योजनाओं और प्रोत्साहनों से इस बदलाव को और गति मिलेगी

सरकार की योजनाओं से इलेक्ट्रिक वाहनों को मिल रहा मजबूत बढ़ावा

भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए फेम-2 योजना जैसी नीतियां बनाई हैं। इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सब्सिडी दी जा रही है, जिससे इन गाड़ियों को खरीदना ज्यादा किफायती और सुविधाजनक हो रहा है। इसका उद्देश्य लोगों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ओर आकर्षित करना है ताकि वे पारंपरिक पेट्रोल-डीजल गाड़ियों के मुकाबले इनका इस्तेमाल करें। इसके अलावा, सरकार चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए भी सहायता प्रदान कर रही है, ताकि लोग आसानी से अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चार्ज कर सकें। इन कदमों से न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा। यह योजना देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और 2030 तक इलेक्ट्रिक गाड़ियों का लक्ष्य पूरा करने में मदद करेगी।

भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का भविष्य: रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या 2032 तक 12.3 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। IESA और CES की एक रिपोर्ट में इस बारे में कई आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रिक दोपहिया और तीपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 80% तक पहुंचने की संभावना है। इसके अलावा, प्राइवेट इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 30%, कॉमर्शियल कारों की 70%, और इलेक्ट्रिक बसों की हिस्सेदारी 40% तक हो सकती है।

यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि 2030 तक, इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा, जिससे भारत के सड़क नेटवर्क पर इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल से प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा। इसके साथ ही, भारत के कार्बन उत्सर्जन को घटाने में भी मदद मिलेगी, जो कि नेट जीरो के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ता प्रभाव: बदलाव की राह पर

भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, और अगले कुछ सालों में इस बदलाव को बड़े पैमाने पर देखा जा सकता है। IESA और CES की रिपोर्ट के मुताबिक, 2032 तक भारत में 12.3 करोड़ इलेक्ट्रिक गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही होंगी। फिलहाल, 93% इलेक्ट्रिक गाड़ियों में दोपहिया और तीपहिया वाहन शामिल हैं, जो कि भारत में सबसे ज्यादा चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन हैं। हालांकि, इलेक्ट्रिक कारों और इलेक्ट्रिक बसों की संख्या अभी बहुत कम है, लेकिन ये धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हैं।

2026 तक, इलेक्ट्रिक कारों का हिस्सा 6% तक बढ़ने का अनुमान है। वहीं, इलेक्ट्रिक बसों और ट्रकों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन इस क्षेत्र में अभी बहुत कम वाहन हैं। जैसे-जैसे लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ रुख करेंगे, वैसे-वैसे इनकी संख्या भी बढ़ेगी। इसके साथ ही, सरकार की योजनाएं जैसे FAME-2 योजना और चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क को बढ़ावा देने से इस बदलाव को और तेज़ी मिलेगी। इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बढ़ता इस्तेमाल न केवल प्रदूषण को कम करेगा, बल्कि भारत के कार्बन उत्सर्जन को भी घटाने में मदद करेगा।

EVs को आगे बढ़ाने का रास्ता?

इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ाने के लिए सरकार, उद्योग और उपभोक्ताओं को मिलकर काम करना जरूरी है। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता भी कम होगी। इसके साथ ही, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना भी अहम है ताकि लोग आसानी से अपनी गाड़ियों को चार्ज कर सकें। इसके अलावा, लोगों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों के फायदे और उनके पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूक करना भी ज़रूरी है। अगर हम सभी मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएं, तो भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य उज्जवल होगा।

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