देशभर में बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर अपराधों को देखते हुए भारत सरकार का दूरसंचार विभाग (DoT) अब एक्शन मोड में आ गया है। इसी कड़ी में अब DoT ने एक बेहद अहम और तकनीकी रूप से उन्नत टूल ‘Financial Fraud Risk Indicator’ (FRI) लॉन्च किया है। यह टूल करोड़ों मोबाइल यूजर्स को फाइनेंशियल फ्रॉड से बचाने में मदद करेगा और डिजिटल पेमेंट्स के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराएगा।
क्यों ज़रूरी हो गया था ऐसा टूल?
स्मार्टफोन और इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने हमारी जिंदगी को तो आसान बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही ऑनलाइन ठगी और साइबर फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। खासकर मोबाइल नंबर के जरिए होने वाले बैंकिंग फ्रॉड, फर्जी KYC अपडेट, कॉल के जरिए ठगी और नकली लिंक भेजकर लोगों से पैसे ठगने जैसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। लोग अनजाने में ऐसे नंबरों पर भरोसा कर बैठते हैं और अपना पैसा गंवा बैठते हैं। इसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) ने ‘Financial Fraud Risk Indicator’ (FRI) नाम का एक खास टूल लॉन्च किया है। यह टूल तकनीक की मदद से उन मोबाइल नंबरों की पहचान करेगा जो किसी न किसी फ्रॉड गतिविधि में शामिल रहे हैं या जिनका व्यवहार संदिग्ध है। यह टूल यूजर्स को समय रहते अलर्ट करेगा ताकि वे किसी धोखाधड़ी का शिकार न बनें।
क्या है ‘Financial Fraud Risk Indicator’?
‘Financial Fraud Risk Indicator’ एक ऐसा स्मार्ट टूल है जिसे दूरसंचार विभाग (DoT) ने खासतौर पर ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के लिए तैयार किया है। यह टूल मोबाइल नंबर की गतिविधियों को ट्रैक करता है और यह पता लगाता है कि वह नंबर किसी फाइनेंशियल फ्रॉड या संदिग्ध काम में शामिल है या नहीं। अगर किसी नंबर से धोखाधड़ी की शिकायतें मिली हों या उसका इस्तेमाल फर्जी लेन-देन में हुआ हो, तो यह टूल उस नंबर को जोखिम वाले नंबरों की लिस्ट में डाल देता है। यह नंबर को उसकी गतिविधियों के आधार पर 'मध्यम', 'उच्च' या 'बहुत उच्च' रिस्क कैटेगरी में रखता है।
इस टूल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपको समय से पहले सावधान कर देता है। जब आप किसी अनजान नंबर पर ऑनलाइन पेमेंट करने लगते हैं, तो यह टूल जांच करता है कि वह नंबर भरोसेमंद है या नहीं। अगर नंबर पर धोखाधड़ी का खतरा होता है, तो यह आपको अलर्ट करता है ताकि आप समय रहते पैसे भेजने से रुक सकें। इससे आपको और बैंकों को फाइनेंशियल नुकसान से बचाने में काफी मदद मिलेगी।
कैसे करेगा काम?
DoT के अनुसार, यह टूल अलग-अलग स्रोतों से डेटा इकट्ठा करता है जैसे:
- टेलिकॉम कंपनियों की रिपोर्ट
- साइबर फ्रॉड के पिछले मामलों का डाटा
- वित्तीय संस्थाओं द्वारा साझा की गई संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी
- यूजर्स द्वारा की गई शिकायतें
इन सभी स्रोतों से डाटा एकत्र कर यह टूल हर मोबाइल नंबर की गतिविधियों का विश्लेषण करता है और उसके आधार पर फाइनेंशियल रिस्क रेटिंग तय करता है।
कहां और कैसे मिलेगा इसका फायदा?
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) ने FRI टूल को जल्द ही यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से जोड़ने की योजना बनाई है। यानी जैसे ही आप किसी अनजान मोबाइल नंबर पर UPI के जरिए पैसे भेजने की कोशिश करेंगे, यह टूल उस नंबर की जांच करेगा। अगर नंबर पहले से फ्रॉड गतिविधियों में शामिल पाया गया है या उस पर धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज हैं, तो आपकी स्क्रीन पर एक चेतावनी दिखाई देगी – 'यह मोबाइल नंबर उच्च जोखिम श्रेणी में है, कृपया सतर्क रहें।' इससे आप किसी भी फर्जी अकाउंट में पैसे भेजने से पहले अलर्ट हो जाएंगे और समय रहते ठगी से बच सकेंगे।
सिर्फ आम यूजर्स ही नहीं, बैंक, मोबाइल वॉलेट कंपनियां, पेमेंट गेटवे और अन्य डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म भी इस टूल का फायदा उठा सकेंगे। सरकार इसे इन सभी संस्थानों को उपलब्ध कराएगी ताकि वे अपने सिस्टम में इसे इंटीग्रेट कर सकें। जब यह टूल इन पेमेंट सिस्टम्स का हिस्सा बन जाएगा, तब पेमेंट प्रोसेसिंग के हर स्टेप पर नंबर की जांच की जा सकेगी। इससे फाइनेंशियल फ्रॉड की संभावना और भी कम हो जाएगी और करोड़ों यूजर्स के डिजिटल ट्रांजैक्शन और अधिक सुरक्षित हो जाएंगे।
करोड़ों यूजर्स को मिलेगा सीधा फायदा
इस टूल के आने से अब कोई भी व्यक्ति किसी अनजान नंबर पर पैसे ट्रांसफर करने से पहले उसके जोखिम स्तर को जान सकेगा। इससे निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
- फर्जी कॉल और मैसेज से बचाव
- फाइनेंशियल स्कैम रोकने में मदद
- KYC फ्रॉड जैसी घटनाओं पर लगाम
- ऑनलाइन पेमेंट्स में बढ़ेगी पारदर्शिता और सुरक्षा
- आम जनता को मिलेगी डिजिटल लेन-देन में आत्मनिर्भरता और विश्वास
सरकार का बड़ा कदम डिजिटल इंडिया की सुरक्षा के लिए
सरकार ने डिजिटल इंडिया को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा लॉन्च किया गया ‘फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर’ टूल, अब डिजिटल लेन-देन के दौरान मोबाइल नंबर की जांच करके बताएगा कि वह नंबर सुरक्षित है या नहीं। इसका मतलब यह है कि अगर कोई मोबाइल नंबर पहले से किसी ठगी या फ्रॉड में शामिल रहा है, तो यह टूल आपको तुरंत सतर्क कर देगा। इससे न सिर्फ लोगों के पैसे बचेंगे, बल्कि डिजिटल ट्रांजैक्शन पर भरोसा भी बढ़ेगा।
सरकार चाहती है कि लोग बिना डर के ऑनलाइन भुगतान करें और इसके साथ-साथ फ्रॉड से भी पूरी तरह सुरक्षित रहें। यह टूल मोबाइल नंबर को एक तरह से डिजिटल पहचान का दर्जा देगा, जिससे यह पता लगाना आसान होगा कि सामने वाला व्यक्ति भरोसेमंद है या नहीं। कुल मिलाकर, यह टूल डिजिटल इंडिया मिशन को सुरक्षित और मजबूत बनाने की दिशा में एक स्मार्ट तकनीकी पहल है।
टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग
FRI टूल पूरी तरह से एक स्मार्ट तकनीकी सिस्टम है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब है कि यह टूल लगातार लाखों मोबाइल नंबरों की गतिविधियों का विश्लेषण करता है और उनके व्यवहार के आधार पर यह तय करता है कि कौन सा नंबर धोखाधड़ी से जुड़ा हो सकता है। जैसे ही किसी नंबर पर संदेहजनक गतिविधि होती है, यह टूल उसे तुरंत ट्रैक करता है और उसकी रिस्क प्रोफाइल को अपडेट कर देता है। यह सब प्रक्रिया रियल-टाइम यानी तुरंत होती है, जिससे फ्रॉड की पहचान समय पर हो जाती है। यह टूल हर दिन नए डेटा के साथ खुद को बेहतर बनाता है ताकि किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड से लोगों को समय रहते अलर्ट किया जा सके।
यूजर्स को क्या करना चाहिए?
- किसी अनजान नंबर से आए कॉल या पेमेंट रिक्वेस्ट पर सतर्क रहें
- ट्रांजैक्शन से पहले रिस्क प्रोफाइल की जांच करें (जब सुविधा आम जनता के लिए खुले)
- संदिग्ध नंबरों को DoT के पोर्टल पर रिपोर्ट करें
- किसी भी अनधिकृत लिंक या कॉल पर बैंकिंग जानकारी साझा न करें
DoT का ‘Financial Fraud Risk Indicator’ टूल डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। इससे न सिर्फ करोड़ों मोबाइल यूजर्स को फाइनेंशियल फ्रॉड से राहत मिलेगी, बल्कि देश के डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर में पारदर्शिता और सुरक्षा भी बढ़ेगी। आने वाले समय में जब यह टूल आम जनता को भी उपलब्ध होगा, तो यह साइबर फ्रॉड पर निर्णायक चोट करेगा।