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सेमीकंडक्टर की दौड़ में भारत की छलांग: इंपोर्टर से इनोवेटर बनने तक का सफर

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Semiconductors आज की हर digital device की रीढ़ हैं — चाहे mobile हो, laptop हो या satellite। अब तक भारत इन chips के लिए विदेशों पर निर्भर रहा है, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। सरकार और industry मिलकर भारत को global semiconductor hub बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। ये बदलाव न केवल technology के लिहाज़ से, बल्कि economic और strategic दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है।

भारत की पुरानी चुनौतियां

कई दशकों तक भारत में semiconductor manufacturing की रफ्तार धीमी रही। Infrastructure की कमी, भारी investment की जरूरत और technical expertise की कमी जैसे कारण इसमें आड़े आए। ज़्यादातर chips ताइवान, कोरिया और अमेरिका जैसे देशों से import किए जाते थे। लेकिन अब आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत semiconductor को प्राथमिकता दी गई है।

2025 में आई बड़ी छलांग

May 2025 में Noida और Bengaluru में 3nm chip design centers की शुरुआत हुई है। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि पहली बार इतनी advanced technology भारत में ही design हो रही है। Renesas, Micron और Vedanta-Foxconn जैसी कंपनियों ने इस क्षेत्र में अरबों का निवेश किया है।

सरकारी पहल और नीतियां

PLI (Production Linked Incentive) schemes, tax benefits, single window clearance और आसान land allocation जैसी सुविधाओं से भारत में manufacturing को बढ़ावा मिल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस initiative को 'digital sovereignty' की दिशा में बड़ा कदम बताया है।

इसका प्रभाव और संभावनाएं

देश में semiconductor production से न केवल digital sector को बल मिलेगा, बल्कि लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। Defence, telecom, healthcare और AI जैसे क्षेत्रों को भी इसका बड़ा फायदा होगा क्योंकि अब उन्हें local supply मिल सकेगी।

भारत अब सिर्फ पीछा नहीं कर रहा, बल्कि lead करने की तैयारी में है। अगर यही रफ्तार रही, तो आने वाले 5-10 वर्षों में भारत को semiconductor superpower बनते देर नहीं लगेगी।

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