ब्रेन मैपिंग टेस्ट कैसे होता है ?
अपराधों की जटिलताओं को सुलझाने के लिए पुलिस ब्रेन मैपिंग तकनीक का इस्तेमाल करती है। दावा किया जाता है कि इस तकनीक से अपराध से जुड़े अपराधियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आती है। वैज्ञानिकों ने पहली बार मानव मस्तिष्क का त्रि-आयामी मानचित्र बनाया है। इससे वैज्ञानिकों को भावनाओं और बीमारियों के कारणों का अधिक गहराई से अध्ययन करने में मदद मिलेगी। 'बिग ब्रेन' प्रोजेक्ट के तहत इस 3डी मैप को बनाने में 65 साल की एक महिला के दिमाग का इस्तेमाल किया गया. वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क की संरचना के सेलुलर स्तर तक पहुंचते हुए मस्तिष्क को 20 माइक्रोमीटर की मोटाई वाली 7,400 परतों में विभाजित किया। इस शोध में शामिल मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर एलन इवांस ने कहा, "विज्ञान ने आखिरकार मस्तिष्क को समझ लिया है। यह शोध मस्तिष्क की आंतरिक संरचना की समझ में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
उन्होंने यह भी कहा, "अब तक, शोधकर्ता मस्तिष्क का एक निश्चित स्तर पर अध्ययन करने में सक्षम थे, लेकिन अब वे इसे 50 गुना अधिक गहराई से समझ सकते हैं।" यह त्रि-आयामी मस्तिष्क मानचित्र दुनिया भर के शोधकर्ताओं को मस्तिष्क का विस्तृत विवरण में अध्ययन करने में बहुत मदद करेगा। इससे उनमें भावनाओं को पहचानने और समझने की क्षमता विकसित करने के साथ-साथ बीमारियों के कारणों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी।
ब्रेन मैपिंग एक तंत्रिका विज्ञान तकनीक है जिसका उपयोग मस्तिष्क में मौजूद तरंगों की जांच करने के लिए किया जाता है। इस जांच से यह समझने में मदद मिलती है कि आरोपी का दिमाग किस हद तक जघन्य अपराध करने में सक्षम है। यह एक गैर-आक्रामक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर में कोई कट या इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है। ब्रेन मैपिंग से इंसान को कोई शारीरिक या मानसिक नुकसान नहीं होता है।
ब्रेन मैपिंग क्या है?
ब्रेन मैपिंग एक तंत्रिका विज्ञान तकनीक है जिसका उपयोग मस्तिष्क में मौजूद तरंगों की जांच करने के लिए किया जाता है। इस जांच से यह समझने में मदद मिलती है कि आरोपी का दिमाग किस हद तक जघन्य अपराध करने में सक्षम है। यह एक गैर-आक्रामक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर में कोई कट या इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है। ब्रेन मैपिंग से इंसान को कोई शारीरिक या मानसिक नुकसान नहीं होता है।
ब्रेन मैपिंग टेस्ट कैसे काम करता है?
ब्रेन मैपिंग टेस्ट में मस्तिष्क में तरंगों की ताकत को मापा जाता है। इसके लिए ब्रेन मैपिंग टेस्ट से गुजरने वाले व्यक्ति के सिर से सेंसर जुड़े होते हैं। जिस व्यक्ति का परीक्षण किया जा रहा है उसके मस्तिष्क में तरंगों को निर्धारित करने के लिए उसके सिर पर एक टोपी लगाई जाती है।
टेस्ट से गुजर रहे व्यक्ति को सिस्टम के सामने अपराध से जुड़े दृश्य दिखाए और सुनाए जाते हैं. ब्रेन मैपिंग में नार्को टेस्ट जैसी कोई दवा नहीं दी जाती। लैब में कुर्सी पर बैठाकर किया जाता है टेस्ट, इस खास तकनीक के जरिए सच और झूठ का पता लगाया जाता है। जब कोई आरोपी लैब में जाता है तो उससे पहले खास तैयारी की जाती है. एफएसएल विशेषज्ञ पहले केस स्टडी को देखते हैं और फिर सवालों की एक सूची तैयार करते हैं। इसके बाद आरोपी का इंटरव्यू शुरू होता है. कई बार ब्रेन मैपिंग करने में 7 से 8 दिन का समय लग जाता है.