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Ahmedabad Plane Crash: डीएनए टेस्टिंग से अब तक 32 शवों की हुई पहचान, विजय रूपाणी का डीएनए सैंपल मैच

Ahmedabad Plane Crash: डीएनए टेस्टिंग से अब तक 32 शवों की हुई पहचान, विजय रूपाणी का डीएनए सैंपल मैच

अहमदाबाद प्लेन क्रैश के तीन दिन बाद अब तक केवल 32 शवों की पहचान हो पाई है। मृतकों में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल हैं। हादसे की जांच के लिए केंद्र ने हाई लेवल कमेटी गठित की है।

Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे को तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक सभी शवों की पहचान नहीं हो सकी है। हादसा इतना भयानक था कि शव बुरी तरह झुलस गए और उनकी शिनाख्त करना बेहद कठिन हो गया। अब तक केवल 32 शवों की पहचान डीएनए टेस्टिंग के माध्यम से हो पाई है। इनमें से 14 शव उनके परिजनों को सौंपे जा चुके हैं।

विजय रूपाणी का डीएनए सैंपल भी मैच हुआ

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी इस हादसे में शामिल थे। उनका शव भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। रविवार को अतिरिक्त सिविल अधीक्षक डॉ. रजनीश पटेल ने पुष्टि की कि विजय रूपाणी का डीएनए सैंपल सफलतापूर्वक मैच कर लिया गया है। यह हादसा 12 जून को हुआ था, जब अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI 171 टेक-ऑफ के कुछ समय बाद ही बीजे मेडिकल कॉलेज के मेस से टकराकर क्रैश हो गई।

अधिकांश मृतक गुजरात और राजस्थान से

इस विमान दुर्घटना में मारे गए ज्यादातर यात्री गुजरात और राजस्थान के थे। कई शव इतनी बुरी तरह से जल चुके हैं कि उनकी पहचान संभव नहीं हो पा रही है। ऐसे में सभी शवों की डीएनए जांच की जा रही है ताकि उन्हें उनके परिवारों को सौंपा जा सके। अब तक जिन मृतकों की पहचान हुई है, वे उदयपुर, वडोदरा, खेड़ा, मेहसाणा, अरावली और अहमदाबाद जिलों से थे।

230 टीमें कर रहीं परिजनों से संपर्क

राज्य प्रशासन ने पीड़ित परिवारों से संपर्क स्थापित करने और आवश्यक सहायता पहुंचाने के लिए कुल 230 टीमें गठित की हैं। ये टीमें न केवल शवों की शिनाख्त के काम में मदद कर रही हैं, बल्कि मृतकों के परिजनों को जरूरी जानकारी और मानसिक सहयोग भी उपलब्ध करा रही हैं। हादसे के समय फ्लाइट में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें से 241 की मौत हो गई और सिर्फ एक यात्री को जीवित बचाया जा सका। यह भारत के नागरिक उड्डयन इतिहास की सबसे दर्दनाक दुर्घटनाओं में से एक मानी जा रही है।

बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्र भी हुए हादसे का शिकार

इस दुखद दुर्घटना में बीजे मेडिकल कॉलेज के 5 एमबीबीएस छात्र भी मारे गए। इसके अलावा कुल 29 अन्य लोग, जो कॉलेज स्टाफ और फैकल्टी से जुड़े थे, उनकी भी मौत हो गई। हादसे ने न सिर्फ अनेक परिवारों को उजाड़ दिया बल्कि चिकित्सा शिक्षा जगत को भी गहरा आघात पहुंचाया।

अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी दुर्घटना की वजह

इस गंभीर विमान हादसे की असली वजह अभी तक सामने नहीं आ पाई है। प्रारंभिक जांच रिपोर्टों में तकनीकी गड़बड़ी या नेविगेशनल एरर की संभावना जताई जा रही है, लेकिन किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए सरकार ने 8 एजेंसियों की एक हाई लेवल कमेटी गठित की है। यह समिति तीन महीने के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगी। इसमें विमान के ब्लैक बॉक्स, एयर ट्रैफिक कंट्रोल रेकॉर्ड्स और फ्लाइट डेटा की बारीकी से जांच की जाएगी।

डीएनए टेस्टिंग बनी इकलौता सहारा

शवों की पहचान करना इतनी कठिन हो गई है कि परंपरागत तरीके जैसे चेहरा या शरीर की बनावट से शिनाख्त संभव नहीं है। ऐसे में डीएनए टेस्टिंग ही एकमात्र वैज्ञानिक और विश्वसनीय तरीका बचा है। सभी शवों के सैंपल लिए गए हैं और परिजनों के डीएनए से उनका मिलान किया जा रहा है। यह प्रक्रिया समय-ग्रहणशील जरूर है, लेकिन इससे शिनाख्त में सटीकता बनी रहती है।

परिजनों की मानसिक स्थिति बेहद नाज़ुक

विमान हादसे के बाद सबसे कठिन समय उन परिवारों के लिए है जिन्होंने अपनों को खोया है। कई परिजन अब भी शवों की प्रतीक्षा में हैं, जबकि कुछ को अधजले शवों का सामना करना पड़ा है। प्रशासन द्वारा काउंसलिंग, सहायता केंद्र और हेल्पलाइन नंबरों की व्यवस्था की गई है, लेकिन दुख की इस घड़ी में सांत्वना देना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

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