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गलवान के बाद नई शुरुआत: चीन जा सकते हैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, SCO बैठक में लेंगे हिस्सा

गलवान के बाद नई शुरुआत: चीन जा सकते हैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, SCO बैठक में लेंगे हिस्सा

गलवान संघर्ष के बाद पहली बार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन जा सकते हैं। वे किंगदाओ में होने वाली SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे, जो भारत-चीन संबंधों के सुधार की दिशा में बड़ा संकेत है।

SCO Meeting: भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों के एक लंबे दौर के बाद अब दोनों देश फिर से संवाद और सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाते दिख रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस महीने के अंत में चीन की यात्रा पर जा सकते हैं। यह यात्रा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए होगी, जो चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित की जा रही है।

यह दौरा कई मायनों में अहम है। साल 2020 में हुए गलवान संघर्ष के बाद यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय रक्षा मंत्री आधिकारिक रूप से चीन की धरती पर कदम रखेगा। इस बैठक को लेकर कूटनीतिक हलकों में काफी चर्चा है, क्योंकि यह भारत और चीन के बीच संबंधों की बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

गलवान संघर्ष के बाद पहला उच्चस्तरीय संपर्क

जून 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। इस घटना के बाद दोनों देशों के रिश्तों में गहरी दरार आ गई थी और उच्चस्तरीय संवाद लगभग ठप हो गया था। लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं।

भारत-चीन सीमा समझौते के बाद पहली बैठक

अक्टूबर 2024 में भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण सीमा समझौता हुआ था, जिसमें पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव कम करने के लिए गश्त की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने और सेनाओं की चरणबद्ध वापसी पर सहमति बनी थी। उस समझौते के बाद यह पहली बार होगा जब दोनों देशों के रक्षा मंत्री आमने-सामने बैठेंगे।

SCO की बैठक के बहाने बढ़ेगा सहयोग

शंघाई सहयोग संगठन एक बहुपक्षीय मंच है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान और मध्य एशियाई देशों सहित कुल 8 सदस्य शामिल हैं। इस वर्ष इस संगठन की मेजबानी चीन कर रहा है और रक्षा मंत्रियों की बैठक किंगदाओ में प्रस्तावित है। चीन ने इस बैठक में भाग लेने के लिए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को आमंत्रित किया है, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया है। अगर यह यात्रा फाइनल होती है तो न सिर्फ SCO के ढांचे के तहत द्विपक्षीय वार्ता को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह भारत-चीन संबंधों में भी सकारात्मक संकेत भेजेगा।

पिछली बार लाओस में हुई थी भेंट

राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन की पिछली मुलाकात नवंबर 2023 में लाओस में हुई थी। यह मुलाकात ADMM-Plus शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी, जहां सीमा से सैन्य टकराव को टालने और विश्वास बहाली की दिशा में बातचीत हुई थी। उस मुलाकात में दोनों देशों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव घटाने की दिशा में सहमति जताई थी।

बातचीत के नए एजेंडे: व्यापार, यात्रा और सांस्कृतिक संबंध

राजनाथ सिंह की इस संभावित यात्रा के दौरान न सिर्फ सुरक्षा और सीमा से जुड़े मसलों पर बातचीत होगी, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने के लिए कुछ अहम मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है:

  • कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू करने की योजना
  • भारत-चीन के बीच सीधी हवाई सेवा बहाल करना
  • जलविज्ञान (hydrology) से जुड़े आंकड़ों का आदान-प्रदान फिर से शुरू करना
  • वीजा प्रक्रिया को सरल बनाना
  • लोगों से लोगों के बीच संपर्क को मजबूत बनाना

ये सभी पहलू यह दर्शाते हैं कि दोनों देश सिर्फ सैन्य मोर्चे पर नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी संबंधों को सामान्य करने के लिए तैयार हैं।

SCO में भारत का सहयोगात्मक रुख

भारत ने SCO में चीन की अध्यक्षता का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है। हाल ही में दिल्ली में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी उपविदेश मंत्री सुन वेइदोंग के बीच हुई बातचीत में यह स्पष्ट रूप से दोहराया गया। भारत का मानना है कि बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग से आपसी मतभेदों को दूर करने में मदद मिल सकती है।

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