केरल कैडर के 1980 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत ने सोमवार को G20 शेरपा के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है।
नई दिल्ली: भारत के जाने-माने प्रशासक और नीति निर्माता अमिताभ कांत ने सोमवार को जी-20 शेरपा के पद से इस्तीफा दे दिया। यह घोषणा उन्होंने एक भावुक पोस्ट के जरिए लिंक्डइन पर की, जिसे उन्होंने ‘माई न्यू जर्नी’ शीर्षक से साझा किया। 1980 बैच के केरल कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत ने सरकारी सेवा में 45 वर्ष पूरे करने के बाद अब एक नए सफर की शुरुआत करने का निर्णय लिया है।
उनकी यह यात्रा केवल प्रशासनिक भूमिका तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास को दिशा देने वाले कई नीतिगत निर्णयों में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। भारत की जी-20 अध्यक्षता से लेकर नीति आयोग और ‘अतुल्य भारत’ जैसे अभियानों तक उनकी उपलब्धियों की लंबी श्रृंखला रही है।
भारत की ऐतिहासिक जी-20 अध्यक्षता का नेतृत्व
अमिताभ कांत जुलाई 2022 में भारत के जी-20 शेरपा नियुक्त किए गए थे, जब भारत को वैश्विक समूह जी-20 की अध्यक्षता सौंपी गई थी। उन्होंने इस भूमिका में भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर संवाद और समन्वय का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में भारत की जी-20 अध्यक्षता को वैश्विक स्तर पर सबसे समावेशी, निर्णायक और विकासोन्मुखी माना गया।
उन्होंने बताया कि नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन पर वैश्विक सहमति बनाना, अफ्रीकी संघ को जी-20 का हिस्सा बनाना, और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, महिला सशक्तिकरण, जलवायु वित्त जैसे मुद्दों को प्रमुखता देना, भारत की कूटनीतिक सफलता का परिचायक रहा।
उनके अनुसार भारत की अध्यक्षता में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जी-20 बैठकें आयोजित की गईं, जिससे न केवल सहकारी संघवाद को बढ़ावा मिला, बल्कि स्थानीय संस्कृति, शिल्प और व्यंजनों को वैश्विक मंच पर पहचान मिली।
नीति आयोग में परिवर्तन की नींव रखी
अमिताभ कांत ने वर्ष 2016 से 2022 तक नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कई परिवर्तनकारी योजनाओं और अभियानों की शुरुआत की, जिनका उद्देश्य भारत को नवाचार और सतत विकास की ओर अग्रसर करना था।
उन्होंने आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम की अगुवाई की, जिसके तहत देश के 115 सबसे पिछड़े जिलों को सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के आधार पर उन्नति की दिशा में लाया गया। इसके अतिरिक्त, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, अटल इनोवेशन मिशन, उन्नत रसायन सेल जैसे अभियानों के माध्यम से भारत को ग्रीन टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप के वैश्विक हब के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया।
औद्योगिक सुधारों में अहम भूमिका
नीति आयोग से पहले, कांत ने उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (पूर्व में डीआईपीपी) के सचिव के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में अनेक सुधार हुए। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे अभियानों की अगुवाई की, जो आज भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ बन चुके हैं।
इन पहलों ने देश में उत्पादन को बढ़ावा देने, निवेश को आकर्षित करने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने का कार्य किया।
पर्यटन को दी नई पहचान
अमिताभ कांत का योगदान केवल आर्थिक नीतियों तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने भारत के पर्यटन को भी वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पर्यटन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ‘अतुल्य भारत’ अभियान की शुरुआत की, जो भारत की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता को विश्व स्तर पर दर्शाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
यह अभियान न केवल पर्यटन को बढ़ाने में कारगर रहा, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करने में भी सहायक सिद्ध हुआ।
केरल से केंद्र तक की यात्रा
अपने करियर की शुरुआत में कांत ने केरल में प्रशासनिक जिम्मेदारियां संभालीं। यहां उन्होंने ‘गॉड्स ओन कंट्री’ अभियान की शुरुआत की, जो आज केरल की वैश्विक ब्रांडिंग का हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कालीकट हवाई अड्डे के विस्तार, मछुआरों और महिलाओं के उत्थान तथा स्थानीय समुदायों के साथ जुड़कर काम करने में विशेष योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि केरल ने उन्हें प्रशासनिक दृष्टिकोण से बहुत कुछ सिखाया, जिसे उन्होंने केंद्र की नीतियों में भी उतारने का प्रयास किया।