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भारत में खुलेंगे टॉप विदेशी यूनिवर्सिटी कैंपस, जानिए लाभ

भारत में खुलेंगे टॉप विदेशी यूनिवर्सिटी कैंपस, जानिए लाभ

भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला है, जब देश ने पहली बार दुनिया की पांच प्रमुख विदेशी यूनिवर्सिटीज को भारत में अपने कैंपस स्थापित करने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) जारी किए हैं।

भारत ने वैश्विक शिक्षा के क्षेत्र में एक नई छलांग लगाई है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से अब भारत में दुनिया की शीर्ष विदेशी यूनिवर्सिटीज अपने कैंपस खोलने जा रही हैं। उच्च शिक्षा को वैश्विक स्तर पर लाने की दिशा में यह फैसला भारत के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। इसके अंतर्गत पांच नामी अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों को भारत में कैंपस खोलने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) जारी किए गए हैं। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बनाए गए नए नियमों का प्रतिफल है।

किन विश्वविद्यालयों को मिला भारत में कैंपस खोलने का अवसर

भारत सरकार द्वारा जिन पांच अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटीज को LoI जारी किया गया है, उनमें शामिल हैं

  1. यूनिवर्सिटी ऑफ एबरडीन, यूनाइटेड किंगडम
  2. यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क, यूनाइटेड किंगडम
  3. यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रेलिया
  4. इलिनॉय इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अमेरिका
  5. इस्तितूतो यूरोपीओ दी डिज़ाइन (IED), इटली

ये सभी संस्थान अपने कैंपस भारत में खोलने की तैयारी कर चुके हैं और शीघ्र ही निर्माण कार्य आरंभ होने की संभावना है।

नवी मुंबई एजु-सिटी: भारत का नया वैश्विक शिक्षा केंद्र

इन सभी विश्वविद्यालयों के कैंपस मुंबई के निकट प्रस्तावित नवी मुंबई एजु-सिटी में स्थापित किए जाएंगे। यह क्षेत्र नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित है और इसे पूरी तरह से एक अत्याधुनिक एजुकेशन हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार का पूर्ण सहयोग प्राप्त है।

समारोह में दिखा शिक्षा के भविष्य का खाका

LoI वितरण समारोह मुंबई में आयोजित किया गया, जिसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल उपस्थित थे। धर्मेंद्र प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि भारत न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी दुनिया में नेतृत्व करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि इन विश्वविद्यालयों की उपस्थिति से छात्रों को देश में रहकर विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलेगा।

वहीं, फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार नवी मुंबई को सिर्फ एक एजु-सिटी नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा शिक्षा केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे निवेश और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।

विदेशी विश्वविद्यालयों के आगमन से मिलेंगे ये लाभ

  • भारतीय छात्रों को बिना विदेश गए अंतरराष्ट्रीय स्तर की डिग्री हासिल करने का मौका
  • किफायती फीस पर उच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध
  • देश में शोध और नवाचार को मिलेगा नया बल
  • ब्रेन ड्रेन की समस्या में कमी
  • स्थानीय स्तर पर रोजगार और स्टार्टअप के नए अवसर
  • भारतीय शिक्षा संस्थानों को प्रतिस्पर्धात्मक स्तर पर सुधार का अवसर

भविष्य की योजनाएं और विस्तार

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया कि अभी केवल पांच विश्वविद्यालयों को LoI दिया गया है, लेकिन छह और विदेशी संस्थानों से बातचीत चल रही है। आने वाले वर्षों में इस लिस्ट में और विश्वविद्यालय जुड़ सकते हैं। इसके साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि भारत के खुद के प्रमुख संस्थान जैसे IIT मद्रास, IIT दिल्ली, और IIFT भी अब विदेशों में अपने कैंपस खोलने की दिशा में अग्रसर हैं। यह भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय विस्तार की शुरुआत है।

राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त भागीदारी

नवी मुंबई एजु-सिटी प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार की यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) और महाराष्ट्र सरकार मिलकर नियामक ढांचा तैयार कर रही हैं। इसके अंतर्गत भूमि आवंटन, इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।

इसके अलावा, राज्य के आंतरिक क्षेत्रों को भी इस पहल का लाभ मिलने लगा है। उदाहरण के तौर पर, गढ़चिरोली की गोंडवाना यूनिवर्सिटी ने यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी की है, जिससे स्थानीय युवाओं को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा का अवसर मिलेगा।

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