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बिलावल भुट्टो का UN में दक्षिणपट्टी: पत्रकार ने बताया उनका दावा गलत, हुई बड़ी शर्मिंदगी

बिलावल भुट्टो का UN में दक्षिणपट्टी: पत्रकार ने बताया उनका दावा गलत, हुई बड़ी शर्मिंदगी

UN में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिलावल भुट्टो ने कहा कि भारत मुसलमानों को बदनाम करता है। एक पत्रकार ने ऑपरेशन सिंदूर में मुस्लिम अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी की ब्रीफिंग दिखाकर उनका दावा झूठा साबित किया।

UN Press: पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। उनकी जिम्मेदारी थी कि वे ऑपरेशन सिंदूर के बाद विश्व को पाकिस्तान का पक्ष समझाएं। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि भारतीय मुसलमानों को भेदभाव और प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। तथा भारत में उनकी निगेटिव इमेज बनाने के लिए आतंकवाद को बहाना बनाया जा रहा है।

पत्रकार का टका सा सवाल: “आपका दावा कहां फिट बैठता है?”

जैसे ही बिलावल ने कहा, “वर्तमान राजनीतिक माहौल में भारत आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल मुसलमानों को बदनाम करने के लिए करता है,” उसी समय एक भारतीय पत्रकार खड़ा हुआ और बोला, “सर, मैं ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया ब्रीफिंग में शामिल रहा हूं। वहाँ एक मुस्लिम मिलिट्री अफसर ने खुले तौर पर सभी जानकारी दी थी। अगर भारत में मुसलमानों को बदनाम किया जा रहा है, तो वह अफसर कैसे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकती हैं?”

यहाँ जिस अफसर का जिक्र हुआ, वह कर्नल सोफिया कुरैशी थीं। 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की विस्तारपूर्ण मीडिया ब्रीफिंग उन्होंने ही की थी। उनके साथ विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी थीं। पत्रकार ने सवाल करते हुए कहा, “मैंने खुद देखा कि एक मुस्लिम महिला अफसर ने ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग नेतृत्व की। अगर भारत में मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है, तो वह अफसर इस मंच पर कैसे आ सकी?”

बिलावल भुट्टो का बयान

पत्रकार के सवाल सुनकर बिलावल भुट्टो का चेहरा लाल हो गया और वे चुप हो गए। उन्हें लगा कि उनका कथन हवा में ही है और कोई ठोस सबूत नहीं। उन्होंने जल्दी से कहा, “आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं। सोफिया कुरैशी ने सचमुच प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।” इसके बाद उन्होंने फिर दोबारा अपने दावे को जस्टिफाई करने की कोशिश की, लेकिन पत्रकार ने बीच में ही टोक दिया कि “मैंने वह ब्रीफिंग देखा और Muslim Officer को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए देखा। भले ही कुछ नेटवर्क प्रोपेगैंडा करे, लेकिन भारतीय सेना में Muslim Officers का रोल साफ दिख रहा है।”

बिलावल को स्थित‍ि की गंभीरता समझ में आई, लेकिन उन्होंने जल्दी से पलटवार करते हुए कहा, “मेरा कहना यह है कि बड़े राजनीतिक वातावरण में आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ भावनाएं भड़काने के लिए किया जाता है। हालांकि ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग में Muslim Officer मौजूद थीं, पर मैं इस पूरे तथ्य को भारतीय सामाजिक-पॉलिटिकल माहौल के व्यापक दृष्टिकोण से देख रहा हूँ।”

कर्नल सोफिया कुरैशी और ऑपरेशन सिंदूर की भूमिका

सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित मुस्लिम महिला अफसर हैं। उनका परिवार महाराष्ट्र के सतारा जिले से है, और उन्होंने डिफेंस सर्विसेज़ कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली है। एक महिला अफसर के रूप में, उन्हें ऑपरेशन सिंदूर जैसी बड़ी सैन्य मुहिम की मीडिया ब्रीफिंग का नेतृत्व करने का मौका मिला, जो खुद में एक बड़ी उपलब्धि है।

ऑपरेशन सिंदूर 7 मई से 10 मई के बीच चला। यह ऑपरेशन भारत की वायु सेना और थल सेना द्वारा मिलकर आयोजित किया गया था। इसका मकसद 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ‘प्रतिकार’ करना था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। ऑपरेशन सिंदूर में POK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में स्थित आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया था। ऑपरेशन के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी ने मीडियाकर्मियों को सटीक जानकारी दी और आतंकवादी संरचनाओं के स्थान, हमले की रणनीति, तकनीकी विवरण और बचाव प्रयासों के बारे में पत्रकारों को अवगत कराया।

पत्रकारिता की भूमिका और सच का सामना

इस घटना ने पत्रकारिता की मजबूरी और शक्त‍ि दोनों को उजागर किया। पत्रकार ने बिलावल भुट्टो का दावा झूठा साबित कर दिया, क्योंकि उसके पास प्रत्यक्ष अनुभव और वीडियो फुटेज जैसी सबूत थीं। इससे यह साबित हुआ कि तथ्यवादी पत्रकारिता में केवल आरोपों पर भरोसा नहीं किया जाता, बल्कि मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सटीक जानकारी आवश्यक होती है।

क्या यह केवल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का मामूला था, या फिर यह बड़े राजनीतिक संदेश का भाग था? बिलावल भुट्टो का मकसद था कि वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति को वैसा दिखाएं, जिससे पाकिस्तान को राजनीतिक लाभ मिल सके। लेकिन जब पत्रकार ने सच्चाई सामने रखी, तो बिलावल का मकसद धरा का धरा रह गया।

भारत में मुस्लिम अफसरों की स्थिति और चुनौती

भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना में विभिन्‍न धर्मों के लोग सेवा देते हैं। मुसलमान अफसर देश के रक्षा ढांचे में अहम भूमिका निभाते हैं। चाहे कोई बंगाली हो या कश्मीर से हो, भारतीय सेना में भर्ती प्रक्रिया मेरिट आधारित होती है। कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कई अन्य Muslim Officers ने देश के लिए अपने जीवन की आहूति दी है।

भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार सुनिश्चित करता है। मुसलमान, सिख, ईसाई, ईसाई, ख्रिश्चन—किसी पर भी सेना में सेवा करने पर रोक नहीं है। हालांकि भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में भी gelegentimes धार्मिक तनाव के मुद्दे होते हैं, लेकिन सेना इन विभाजनों से ऊपर रहती है। सैनिकों के बीच जाति, धर्म या क्षेत्र से ऊपर उठकर निष्ठा होती है।

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