आज का दिन, यानी 23 जून, भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में याद किया जाता है। ठीक 12 साल पहले, 23 जून 2013 को टीम इंडिया ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को उसी की सरज़मीं पर हराकर यह प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम किया था।
स्पोर्ट्स न्यूज़: आज से ठीक 12 साल पहले भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा दिन आया था, जिसने करोड़ों भारतीयों के दिलों में गर्व और खुशी की लहर दौड़ा दी थी। बात है 23 जून 2013 की, जब एमएस धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को उसी की सरज़मीं पर हराकर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीत लिया था। ये जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं थी, बल्कि यह भारत की रणनीतिक शक्ति, माही की सूझबूझ और टीम की जुझारूपन का प्रतीक बन गई थी।
इस फाइनल ने क्रिकेट के हर प्रेमी को सांसें रोकने पर मजबूर कर दिया था। बारिश से प्रभावित यह मैच 50 ओवर की जगह 20 ओवर का हो गया था, लेकिन रोमांच एक पल को भी कम नहीं हुआ।
बारिश से प्रभावित हुआ फाइनल, मैच बना ‘टी20’ जैसा
बर्मिंघम के मैदान पर हो रहे इस महामुकाबले में बारिश के चलते ओवर घटाकर 20-20 कर दिए गए। टॉस जीतकर इंग्लैंड ने पहले गेंदबाज़ी का फैसला किया। भारतीय पारी की शुरुआत रोहित शर्मा और शिखर धवन ने की। हालांकि, रोहित 9 रन बनाकर जल्दी लौट गए, लेकिन धवन ने 31 रनों की उपयोगी पारी खेली।
इसके बाद मिडिल ऑर्डर की रीढ़ मानी जाने वाली तिकड़ी धोनी, रैना और दिनेश कार्तिक सिर्फ 2 रन ही जोड़ सकी। भारत संकट में नजर आ रहा था। मगर विराट कोहली और रविंद्र जडेजा ने पारी को संभाला। कोहली ने 42 और जडेजा ने 33* रनों की अहम पारी खेली। इन दोनों की बदौलत भारत 7 विकेट पर 129 रन बनाने में सफल रहा।
इंग्लैंड की शुरुआत लड़खड़ाई, लेकिन मिडिल ऑर्डर ने उम्मीदें जगाईं
130 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम की शुरुआत भी बेहद खराब रही। कप्तान एलिस्टेयर कुक सिर्फ 2 रन बनाकर पवेलियन लौटे। इयान बेल (13) और जो रूट (7) भी कुछ खास नहीं कर सके। 46 रन तक इंग्लैंड ने अपने 4 विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद मैदान पर आए ऑएन मॉर्गन और रवि बोपारा, जिनकी साझेदारी ने भारत के खेमे में चिंता बढ़ा दी। इन दोनों ने मिलकर 50 रनों की साझेदारी की और इंग्लैंड को 16 गेंदों में 20 रनों की दूरी तक ला खड़ा किया।
18वां ओवर मैच का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। जब धोनी ने इशांत शर्मा को गेंद थमाई, तो क्रिकेट फैंस और समीक्षकों को यह फैसला चौंकाने वाला लगा। इससे पहले इशांत थोड़ा महंगे साबित हो चुके थे। मॉर्गन ने इस ओवर की दूसरी गेंद पर छक्का जड़ दिया, फिर दो वाइड गेंदें—लग रहा था भारत की उम्मीदें अब टूट जाएंगी।
लेकिन फिर आया धोनी का जादू। विकेट के पीछे से दौड़ते हुए माही ने इशांत से कुछ कहा—शायद एक रणनीतिक मंत्र। और नतीजा ये निकला कि अगली दो गेंदों पर इशांत ने पहले मॉर्गन और फिर बोपारा को आउट कर दिया। स्टेडियम में बैठे हजारों दर्शकों और टीवी पर देख रहे करोड़ों फैंस ने राहत की सांस ली।
आखिरी ओवर: अश्विन का नर्व-स्पिनिंग प्रदर्शन
अब इंग्लैंड को जीत के लिए चाहिए थे 15 रन, और आखिरी ओवर लेकर आए आर. अश्विन। पहली गेंद पर कोई रन नहीं, दूसरी पर ब्रॉड ने चौका मारा। तीसरी गेंद पर एक रन। इसके बाद दो-दो रन बने, और अब आखिरी गेंद पर इंग्लैंड को चाहिए थे 6 रन। बल्लेबाज थे जेम्स ट्रेडवेल, गेंदबाज़ अश्विन। आखिरी गेंद को ट्रेडवेल बल्ले से छू भी नहीं सके, और भारत ने 5 रनों से वह ऐतिहासिक जीत हासिल कर ली।
इस जीत के साथ एमएस धोनी ने एक और इतिहास रच दिया। वो दुनिया के पहले कप्तान बने जिन्होंने तीनों ICC ट्रॉफियां—2007 T20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप और अब 2013 चैंपियंस ट्रॉफी—अपने नाम कीं। उनकी कप्तानी में भारत न सिर्फ चैंपियन बना, बल्कि वैश्विक क्रिकेट में अपनी श्रेष्ठता भी साबित की।
इस फाइनल मुकाबले में शानदार प्रदर्शन के लिए रविंद्र जडेजा को ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया। उन्होंने बल्ले से 33 रनों की तेजतर्रार पारी खेलने के साथ-साथ गेंद से भी शानदार प्रदर्शन किया। साथ ही उन्हें टूर्नामेंट का 'गोल्डन बॉल अवार्ड' भी मिला।