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क्रिकेट के ये 5 सितारे टेस्ट कैप के बिना ही हो गए रिटायर, निकोलस पूरन भी है इनमे शामिल

क्रिकेट के ये 5 सितारे टेस्ट कैप के बिना ही हो गए रिटायर, निकोलस पूरन भी है इनमे शामिल

निकोलस पूरन को अगले साल होने वाले टी20 विश्व कप के लिए वेस्टइंडीज की रणनीति का अभिन्न अंग माना जा रहा था लेकिन उन्होंने यूं अचानक संन्यास का ऐलान कर दिया। 

स्पोर्ट्स न्यूज़: क्रिकेट में टेस्ट मैचों को खिलाड़ियों की असली परीक्षा माना जाता है, लेकिन कुछ धाकड़ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जिन्होंने वनडे और T20 में तो धूम मचाई, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू का मौका ही नहीं मिला। हाल ही में वेस्टइंडीज के स्टार बल्लेबाज निकोलस पूरन ने 29 साल की उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उन्होंने वनडे और T20 में तो वेस्टइंडीज का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्हें कभी मौका नहीं मिला।

पूरन अकेले ऐसे खिलाड़ी नहीं हैं जिनका टेस्ट डेब्यू नहीं हो सका। क्रिकेट इतिहास में कई बड़े नाम ऐसे हैं जो अपने दमदार प्रदर्शन के बावजूद टेस्ट टीम में जगह नहीं बना पाए। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 क्रिकेटर्स के बारे में जो बिना टेस्ट खेले ही रिटायर हो गए।

1. निकोलस पूरन (वेस्टइंडीज): T20 विश्व कप का स्टार

वेस्टइंडीज के सबसे खतरनाक T20 बल्लेबाजों में शुमार निकोलस पूरन ने 29 साल की उम्र में ही अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उन्होंने 106 T20I और 61 वनडे मैच खेले, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्हें कभी मौका नहीं मिला। पूरन का करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। वेस्टइंडीज के लिए उन्होंने 136.39 की स्ट्राइक रेट से 2275 T20I रन बनाए। वनडे में भी उनका स्ट्राइक रेट 99.15 रहा, जो आधुनिक क्रिकेट के हिसाब से शानदार है। फिर भी, टेस्ट टीम में उन्हें जगह नहीं मिली।

2. रयान टेन डोशेट (नीदरलैंड्स): महान ऑलराउंडर

नीदरलैंड्स के रयान टेन डोशेट को आधुनिक क्रिकेट के सबसे अंडररेटेड ऑलराउंडरों में गिना जाता है। उन्होंने 33 वनडे में 67 की औसत से 1541 रन बनाए और 55 विकेट भी लिए। लेकिन नीदरलैंड्स के पास टेस्ट स्टेटस न होने के कारण वह लाल गेंद के फॉर्मेट में कभी नहीं खेल पाए। नीदरलैंड्स को 2018 में ही टेस्ट स्टेटस मिला, जब तक टेन डोशेट अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर थे।

3. डेविड हसी (ऑस्ट्रेलिया): शानदार फर्स्ट-क्लास रिकॉर्ड, लेकिन टेस्ट कैप नहीं

ऑस्ट्रेलिया के डेविड हसी को क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा "टेस्ट अनकैप्ड" खिलाड़ी माना जाता है। उन्होंने 192 फर्स्ट-क्लास मैचों में 52.50 की औसत से 14,280 रन बनाए, जिसमें 44 शतक शामिल हैं। फिर भी, उन्हें कभी टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली। हसी का समय ऑस्ट्रेलियाई टीम के सुनहरे दौर (2000s) में आया, जब टीम में हेडन, पोंटिंग, क्लार्क जैसे दिग्गज बल्लेबाज थे।

2010 में उन्होंने शेफील्ड शील्ड में 970 रन बनाए, लेकिन उसी साल उनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया गया। हसी ने बाद में T20 लीग्स में खेलकर नाम कमाया, लेकिन टेस्ट कैप न मिल पाना उनके करियर की सबसे बड़ी कमी रही।

4. क्लाइव राइस (दक्षिण अफ्रीका): अफ्रीका का बेस्ट ऑलराउंडर, लेकिन बैन के शिकार

दक्षिण अफ्रीका के क्लाइव राइस को 1970s का सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर माना जाता था। उन्होंने 482 फर्स्ट-क्लास मैचों में 26,331 रन बनाए और 930 विकेट भी लिए। लेकिन रंगभेद नीति के कारण दक्षिण अफ्रीका पर प्रतिबंध लगने से उनका टेस्ट करियर खत्म हो गया। राइस ने 1984 में सिल्क कट चैलेंज जीता, जहां उन्होंने इयान बॉथम, रिचर्ड हैडली और कपिल देव जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ा।

5. कायरन पोलार्ड (वेस्टइंडीज): T20 किंग, लेकिन टेस्ट सपना अधूरा

वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान कायरन पोलार्ड ने T20 क्रिकेट में तो धमाल मचाया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्हें कभी मौका नहीं मिला। उन्होंने 123 T20I में 1566 रन बनाए और 55 विकेट लिए, लेकिन टेस्ट टीम में उन्हें कभी जगह नहीं मिली। पोलार्ड का फर्स्ट-क्लास रिकॉर्ड कमजोर था (औसत 37.71)। वेस्टइंडीज को उनकी T20 विशेषज्ञता की जरूरत थी, इसलिए उन्हें लंबे फॉर्मेट में नहीं खेलाया गया। 2015 में उन्होंने अपना आखिरी फर्स्ट-क्लास मैच खेला और फिर T20 फॉर्मेट पर फोकस कर लिया।

क्रिकेट में कई खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो अपने प्रदर्शन के बावजूद टेस्ट कैप नहीं पहन पाते। निकोलस पूरन, रयान टेन डोशेट, डेविड हसी, क्लाइव राइस और कायरन पोलार्ड जैसे खिलाड़ियों ने वनडे और T20 में तो धूम मचाई, लेकिन टेस्ट क्रिकेट का सपना अधूरा रह गया। 

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