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मिशन 2027: अखिलेश यादव की नजर यूपी की 108 कमजोर सीटों पर, सपा का नया सियासी प्लान तैयार?

मिशन 2027: अखिलेश यादव की नजर यूपी की 108 कमजोर सीटों पर, सपा का नया सियासी प्लान तैयार?

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) ने मिशन 2027 को लेकर अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए पार्टी ने उन सीटों पर फोकस करना शुरू कर दिया है, जहां उसकी पकड़ कमजोर रही है या पिछली बार हार का सामना करना पड़ा था।

UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल शुरू हो चुकी है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने मिशन 2027 के लिए जमीनी तैयारी का बिगुल फूंक दिया है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन 108 विधानसभा सीटों की पहचान की है जहां सपा पिछले तीन विधानसभा चुनावों से लगातार हार का सामना कर रही है। अब इन सीटों पर पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए सपा ने बड़ी रणनीतिक योजना तैयार की है।

इन 108 सीटों पर है खास नजर

सपा ने जिन 108 सीटों को चिह्नित किया है, उनमें से अधिकांश पर पार्टी लगातार तीन चुनाव से हार रही है।

  • मध्य यूपी: इलाहाबाद पश्चिम, लखनऊ कैंटोनमेंट
  • पूर्वी यूपी: बासी, देवरिया
  • पश्चिमी यूपी: नोएडा, गंगोह
  • ब्रज क्षेत्र: आगरा कैंटोनमेंट, एत्मादपुर

इन क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी के कमजोर प्रदर्शन की समीक्षा करने और संगठन को फिर से सक्रिय करने की ज़िम्मेदारी अब पर्यवेक्षकों को दी गई है।

पहली बार इतनी गहन समीक्षा

यह पहला मौका है जब सपा ने इतनी गंभीरता से कमजोर सीटों की जमीनी हकीकत जानने के लिए निरीक्षण अभियान शुरू किया है।
सूत्रों के मुताबिक, इन 108 सीटों पर सपा ने पूर्व विधायकों और अनुभवी नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है। खास बात ये है कि जिन नेताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है वे स्थानीय नहीं हैं, ताकि किसी प्रकार का पक्षपात या ग्रुपिज्म न हो।

सपा ने केवल अपनी हार वाली सीटों तक ही अपनी रणनीति सीमित नहीं रखी है, बल्कि उन सीटों की भी समीक्षा की जा रही है जहां 2022 में सहयोगी दलों के साथ गठबंधन कर जीत हासिल की थी, जैसे कि

  • शामली सीट: 2022 में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के साथ मिलकर जीती,
  • लेकिन 2012 और 2017 में हार झेलनी पड़ी थी।
  • फिरोजाबाद और बदायूं की कुछ सीटें भी सपा के लिए चुनौती बनी हुई हैं।

15 दिन में दो-दो बार हुए दौरे

  • पर्यवेक्षक टीमों ने बीते 15 दिनों में इन सभी सीटों पर दो-दो बार दौरा किया।
  • ज़िला इकाइयों, जिलाध्यक्षों और बूथ प्रभारियों से मुलाकात
  • जातीय समीकरणों के आधार पर स्थानीय प्रभावशाली लोगों के साथ बैठक
  • संगठन की वर्तमान स्थिति की समीक्षा
  • सभी इनपुट्स को रिपोर्ट के रूप में अखिलेश यादव को सौंपा जाएगा, जिसके आधार पर मिशन 2027 की रणनीति को और धार दी जाएगी।

पीडीए और जमीनी संगठन की मजबूती

सपा इन सीटों पर अपनी पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति को भी धार देने की योजना बना रही है।
यह सामाजिक गठजोड़ लोकसभा चुनाव में सपा की सफलता का आधार बना था। अब विधानसभा चुनाव के लिए भी यही मॉडल अपनाया जा रहा है, लेकिन इस बार स्थानीय स्तर पर माइक्रो प्लानिंग के साथ।

2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से सबसे ज्यादा सीटें जीतकर सपा ने अपनी ताकत साबित की है। अब पार्टी इस मोमेंटम को 2027 विधानसभा चुनाव तक बनाए रखना चाहती है। सपा सूत्रों के अनुसार, हम कोई ऐसा सिरा अधूरा नहीं छोड़ेंगे जो हमें चुनाव में नुकसान दे। हमारा लक्ष्य है कि हम हर हार वाली सीट को अब जीत में बदलें।

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