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मलेशिया में भारत की कूटनीतिक कामयाबी: पाकिस्तानी रुकावट के बीच भारतीय प्रतिनिधिमंडल का सफल दौर

मलेशिया में भारत की कूटनीतिक कामयाबी: पाकिस्तानी रुकावट के बीच भारतीय प्रतिनिधिमंडल का सफल दौर

पाकिस्तान ने मलेशिया में भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रमों को रद्द करवाने की कोशिश की थी, लेकिन मलेशियाई सरकार ने इस मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया।

Indian Delegation in Malaysia: हाल ही में मलेशिया में भारत के सांसदों और पूर्व राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक यात्रा पूरी की, जो पाकिस्तान के लिए भारी झटका साबित हुई है। पाकिस्तान की ओर से इस प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रमों को रद्द करवाने की सारी कोशिशें विफल हो गईं, क्योंकि मलेशियाई सरकार ने पाकिस्तान के दखलअंदाजी को पूरी तरह से नकार दिया। 

यह कूटनीतिक सफलता भारत के आतंकवाद के खिलाफ चल रहे वैश्विक अभियान को मजबूती देने वाली है और यह साबित करती है कि दुनिया के अधिकांश देश भारत के साथ हैं।

पाकिस्तान की नाकाम कोशिशें और मलेशिया की कड़ी प्रतिक्रिया

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने मलेशियाई अधिकारियों से इस्लामी एकता का हवाला देते हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रमों को रोकने की मांग की थी। पाकिस्तान की यह रणनीति भारत के खिलाफ माहौल बनाना थी, ताकि भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन को कमजोर किया जा सके। लेकिन मलेशिया ने पाकिस्तान के इस हस्तक्षेप को खारिज करते हुए भारत के प्रतिनिधिमंडल को हर प्रकार का सहयोग और सुरक्षा प्रदान की।

इससे यह साफ हो गया कि मलेशिया अपनी संप्रभुता का सम्मान करता है और किसी भी बाहरी दबाव में नहीं आता। पाकिस्तान की यह कोशिश ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे भारत के आतंकवाद विरोधी कदमों को रोकने के लिए एक प्रयास था, लेकिन इसे एक बड़ा झटका लगा है।

संजय झा के नेतृत्व में बहुराष्ट्रीय दौरे का सार

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल (जेडीयू) के सांसद संजय झा ने किया। इस दल के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के सांसद भी इस दल का हिस्सा थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे पांच देशों का दौरा किया।

इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत में हालिया आतंकवादी हमलों में पाकिस्तान की भूमिका को विश्व के सामने उजागर करना और भारतीय सरकार के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की वैश्विक स्वीकार्यता को बढ़ावा देना था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की उस सैन्य कार्रवाई को कहा जाता है, जिसमें आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और संयमित हमले किए गए, जिससे आतंकवादियों को बड़ा धक्का लगा।

भारत को मिला विश्व स्तर पर व्यापक समर्थन

संजय झा ने इस मिशन को बेहद सफल बताते हुए कहा, हमारी यह यात्रा पूरी तरह से सार्थक रही। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले की विश्व भर में निंदा हुई और भारत के संयमित जवाब की भी प्रशंसा हुई। जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य हो रही है और प्रशासन ने वहां की स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

उन्होंने आगे बताया कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच FATF में पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने की भी मांग की है। इस पहल को कई देशों ने समर्थन दिया है, जिससे पाकिस्तान की गतिविधियां वैश्विक स्तर पर लगातार मुश्किल होती जा रही हैं।

सभी राजनीतिक दलों का आतंकवाद के खिलाफ एकजुट संदेश

यह प्रतिनिधिमंडल न केवल सरकार का प्रतिनिधि था, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की ताकत का भी प्रतीक था, जिसमें सभी राजनीतिक दल आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा, हमारा मकसद था कि विश्व के अन्य देशों को भारत के आतंकवाद के खिलाफ अभियान के प्रति जागरूक किया जाए और संवेदनशील बनाया जाए।” बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने भी कहा, “यह स्पष्ट हो गया है कि हर देश भारत के साथ खड़ा है और आतंकवाद की निंदा करता है।

यह संदेश पाकिस्तान और उसके समर्थकों के लिए स्पष्ट था कि भारत का यह संघर्ष अकेला नहीं है। भारत के अंदरूनी मतभेदों के बावजूद आतंकवाद के मुद्दे पर पूरे देश की एकजुटता इस अभियान को और मजबूत बना रही है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का वैश्विक मान्यता में बढ़ता स्थान

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत द्वारा आतंकवादी ठिकानों पर की गई कार्रवाई का नाम है, जिसे भारत ने पूरी सावधानी और रणनीति के तहत अंजाम दिया। इस ऑपरेशन ने न केवल आतंकवादियों को भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि वैश्विक समुदाय को भी यह संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने में पीछे नहीं रहता।

प्रतिनिधिमंडल की विदेश यात्रा ने इस ऑपरेशन को दुनिया के सामने सही संदर्भ में पेश किया। इससे भारत को वैश्विक मंचों पर बढ़ते समर्थन का लाभ मिला, जबकि पाकिस्तान के कुटनीतिक प्रयासों को कटु झटका लगा।

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