राजा रघुवंशी की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। सबसे बड़ा सवाल ये है: आखिर सोनम ने अपने पति को क्यों मारा? जवाब में प्रेमी राज कुशवाहा का नाम सामने आता है, लेकिन कहानी इतनी सीधी नहीं है।
इंदौर: राजा रघुवंशी हत्याकांड अब महज एक प्रेम प्रसंग की कहानी नहीं रह गई है, बल्कि यह मामला एक मानसिक विकृति और आत्मकेंद्रित सोच का उदाहरण बन गया है। 26 वर्षीय सोनम रघुवंशी, जिसने अपने पति राजा की बेरहमी से हत्या कर दी, सिर्फ इसलिए नहीं कि वह राज कुशवाहा से प्रेम करती थी, बल्कि इसलिए क्योंकि वह किसी के फैसलों के आगे झुकने को तैयार नहीं थी। यह मामला अब कानून के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक मूल्य-व्यवस्था पर भी गहन सवाल खड़े कर रहा है।
सिर्फ प्रेम नहीं, स्वार्थ और नियंत्रण की चाह बनी हत्या की वजह
शुरुआत में यह मामला सिर्फ एक प्रेम त्रिकोण जैसा प्रतीत हुआ सोनम, उसका पति राजा और कथित प्रेमी राज कुशवाहा। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, वैसे-वैसे इस कहानी में कई परतें सामने आईं। सोनम के भाई गोविंद रघुवंशी का बयान इस केस का रुख बदल देता है, जिसमें उन्होंने कहा कि सोनम राज को राखी बांधती थी और उसे ‘दीदी’ के नाम से सेव किया हुआ था।
अगर यह सच है, तो सवाल उठता है कि फिर हत्या का कारण क्या था? प्रेम नहीं, बल्कि सोनम की जिद, उसका स्वभाव और मानसिक स्थिति हत्या के पीछे के असली कारक हैं।
सोनम का व्यक्तित्व: नियंत्रण पसंद और आत्मकेंद्रित
सोनम कम पढ़ी-लिखी जरूर थी, लेकिन व्यावसायिक रूप से सक्रिय थी। वह अपने भाई गोविंद के साथ कारोबार संभालती थी। इंदौर में ऑफिस संभालने वाली सोनम ने डेढ़ साल पहले ही बहती लहरें नामक टैटू बनवाया था। टैटू उसके स्वभाव को दर्शाता है, वह खुद की मर्ज़ी से बहने वाली, किसी और की रुकावट पसंद नहीं करने वाली युवती थी।
परिवार ने जब उस पर शादी का दबाव बनाया, तो उसने विरोध में एक अनोखा तरीका अपनाया अपने से पांच साल छोटे राज कुशवाह को प्रेमी बना लिया। लेकिन जानकारों की मानें तो सोनम का ये प्रेम किसी भावना से नहीं, बल्कि नियंत्रण की चाह से प्रेरित था। उसे एक ऐसा जीवनसाथी चाहिए था जो उसकी हर बात माने और उसके निर्णयों का विरोध न करे।
राजा से रिश्ते में विरोध, और निर्णय की कीमत – हत्या
जब परिवार ने सोनम का रिश्ता राजा रघुवंशी से तय किया, तो वह भड़क गई। उसने अपनी मां से यहां तक कह दिया, अब तुम अपनी मर्जी कर लो, फिर देखना मैं क्या करती हूं। यह एक सीधा संकेत था कि सोनम अपनी मर्जी के खिलाफ किसी भी निर्णय को स्वीकार नहीं करेगी। शादी के बाद भी उसका बर्ताव राजा के साथ कठोर रहा। सूत्रों के अनुसार, सोनम ने राजा को कभी जीवनसाथी नहीं माना बल्कि एक अवरोधक समझा। और जब हालात उसके मन के अनुसार नहीं बदले, तो उसने अंतिम और घातक फैसला लिया—पति की हत्या।
सोनम के व्यवहार को लेकर मनोरोग विशेषज्ञ भास्कर प्रसाद का कहना है कि वह "एंटी सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर" (ASPD) की क्लस्टर बी श्रेणी में आती है। इस श्रेणी के लोग आम तौर पर समाज के नियमों और भावनाओं की कद्र नहीं करते। उनके लिए केवल खुद की इच्छाएं और फायदे मायने रखते हैं।
ऐसे लोग अपराध करने के बाद पछताते नहीं, बल्कि सामान्य व्यवहार करते हैं। सोनम की गिरफ्तारी के बाद का व्यवहार भी कुछ ऐसा ही रहा—न रोना, न कोई अफसोस। बल्कि गाजीपुर के सेंटर में उसने सात घंटे की गहरी नींद भी ली। यह सब दर्शाता है कि सोनम मानसिक रूप से एक ऐसी अवस्था में थी, जहां वह सही और गलत की भावना खो चुकी थी।
क्या इस सोच की जड़ें बचपन से थीं?
आमतौर पर कोई व्यक्ति हत्या जैसी भयावह घटना के बाद तनाव, अपराधबोध या आत्मग्लानि से ग्रस्त हो जाता है। लेकिन सोनम के मामले में उल्टा हुआ। उसके हावभाव, शारीरिक प्रतिक्रिया और भावनात्मक स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया। यही संकेत करता है कि वह अपराध को अपने लक्ष्य की पूर्ति का माध्यम समझती थी, न कि एक पाप।
विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे व्यक्तित्व विकारों की जड़ें बचपन या किशोरावस्था में ही बन जाती हैं। यदि किसी व्यक्ति को अपने मन की हर बात पूरी होती देखने की आदत हो जाए, और उसे कभी विरोध या असफलता का सामना न करना पड़े, तो उसमें धीरे-धीरे यह मानसिकता बन सकती है कि दुनिया उसी के इर्द-गिर्द घूमती है।
सोनम ने भी जब अपने पारिवारिक व्यापार में बेहतर प्रदर्शन दिया, तो सबने उसकी सराहना की। लेकिन जब वही परिवार उसकी शादी को लेकर उसके विरुद्ध गया, तो उसने विरोध के तरीके में ‘हत्या’ जैसे कदम को अपनाया।