RBI के अनुसार, खाताधारक अपने निष्क्रिय खातों को चालू करने के लिए केवाईसी प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं, जिसमें अब वीडियो आइडेंटिफिकेशन प्रोसेस भी शामिल होगी।
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने निष्क्रिय खातों और अनक्लेम्ड डिपॉजिट से जुड़े मामलों में बदलाव करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि उन खातों को फिर से सक्रिय किया जा सके, जिनका लंबे समय से उपयोग नहीं हुआ है। अगर आपने भी अपने बैंक खाते में पिछले 10 वर्षों से कोई लेन-देन नहीं किया है, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
आरबीआई के इस फैसले का उद्देश्य बैंकों में पड़ी निष्क्रिय राशियों का सही उपयोग करना और खाताधारकों को अपने खातों पर फिर से अधिकार देने की प्रक्रिया को आसान बनाना है। नए नियमों के तहत अब ऐसे खाते फिर से चालू कराए जा सकते हैं, बशर्ते ग्राहक अपना केवाईसी अपडेट करवा लें।
निष्क्रिय खातों की परिभाषा और वर्तमान स्थिति
बैंकों के अनुसार, कोई भी बचत खाता या चालू खाता जिसमें पिछले 10 वर्षों से कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है, वह इनऑपरेटिव यानी निष्क्रिय माना जाता है। यह नियम सभी सरकारी और निजी बैंकों पर लागू होता है। इसके साथ ही जिन खातों में जमा की गई राशि पर किसी प्रकार का दावा भी 10 वर्षों तक नहीं किया गया हो, उन्हें ‘अनक्लेम्ड डिपॉजिट’ की श्रेणी में रखा जाता है।
वर्तमान में बैंक ऐसे खातों की राशि को डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड में ट्रांसफर कर देते हैं। यह फंड ग्राहकों के हितों की रक्षा, जागरूकता अभियान और वित्तीय साक्षरता के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इस फंड में ट्रांसफर करने के बाद भी ग्राहक अपनी राशि का दावा कर सकता है।
खातों को फिर से चालू करने की प्रक्रिया
आरबीआई के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब निष्क्रिय खातों को फिर से सक्रिय करने के लिए केवाईसी (KYC) प्रक्रिया को और सरल बना दिया गया है।
अब खाताधारक निम्नलिखित तरीकों से अपने खाते को चालू करा सकते हैं
- वीडियो केवाईसी सुविधा: ग्राहक अब वीडियो कॉल के माध्यम से अपनी पहचान सत्यापित कर सकते हैं। इसके लिए बैंक द्वारा निर्धारित एप या प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा।
- बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट की मदद: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए बैंक बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट (BC) की सहायता से केवाईसी अपडेट कर सकेंगे।
- फिजिकल वेरिफिकेशन का विकल्प: पारंपरिक तरीकों से, ग्राहक शाखा में जाकर अपने दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते हैं और खाता सक्रिय करा सकते हैं।
आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे खाताधारकों को इन सुविधाओं की जानकारी दें और सक्रिय रूप से उनसे संपर्क करें ताकि निष्क्रिय खातों की संख्या को कम किया जा सके।
DEA फंड: निष्क्रिय राशि का जिम्मेदार प्रबंधन
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में ट्रांसफर की गई राशि पर खाताधारकों का अधिकार बना रहेगा। ग्राहक जब भी अपना दावा प्रस्तुत करेगा और आवश्यक दस्तावेजों की पुष्टि करेगा, बैंक उस राशि को लौटा देगा।
DEA फंड का मुख्य उद्देश्य ऐसे खाताधारकों को उनकी राशि से जोड़ना है, जो जानकारी के अभाव में या किसी अन्य कारण से बैंकिंग सिस्टम से कट गए हैं। साथ ही यह फंड वित्तीय शिक्षा और उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रमों के लिए भी उपयोग होता है।
नए नियमों से किसे होगा लाभ?
आरबीआई के इस निर्णय का सीधा लाभ उन करोड़ों ग्राहकों को होगा, जिनके बैंक खाते निष्क्रिय हो चुके हैं। विशेषकर वरिष्ठ नागरिक, ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी, प्रवासी मजदूर और ऐसे लोग जो डिजिटल बैंकिंग से दूर हैं, अब आसानी से अपने पुराने खातों को फिर से सक्रिय करा सकेंगे।
इसके अतिरिक्त, बैंकिंग सिस्टम में जमा निष्क्रिय राशियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। बैंकों को भी खाताधारकों के साथ पुनः जुड़ने का अवसर मिलेगा और उनके खातों का सक्रिय उपयोग किया जा सकेगा।