उत्तरी सिक्किम में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है। राज्य के कई हिस्से भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लाचुंग और चुंगथांग जैसे पर्यटक स्थलों पर 1,678 पर्यटक फंस गए थे, जिन्हें रेस्क्यू ऑपरेशन के माध्यम से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
गंगटोक: उत्तर-पूर्वी भारत के खूबसूरत लेकिन संवेदनशील राज्य सिक्किम में प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर से तबाही मचाई है। पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने न सिर्फ जनजीवन को प्रभावित किया है बल्कि यहां पर्यटन, यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को भी गंभीर चुनौती दी है। भारी वर्षा के कारण उत्तरी सिक्किम में बाढ़ और भूस्खलन की कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन जवानों की मौत, छह जवानों के लापता होने, और 1,600 से अधिक पर्यटकों के फंसे होने की खबर है। राहत व बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन खराब मौसम और कटे हुए रास्तों के कारण चुनौतियां कम नहीं हैं।
लाचुंग और चुंगथांग में फंसे थे सैकड़ों सैलानी
सिक्किम के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों लाचुंग और चुंगथांग में भारी बारिश के कारण 1,678 पर्यटक फंस गए थे। इन पर्यटकों में देश-विदेश से आए 561 महिलाएं, 380 बच्चे और दर्जनों बुजुर्ग शामिल थे। राज्य प्रशासन, सेना, पुलिस और NDRF की समन्वित टीमों ने दिन-रात राहत अभियान चलाकर अधिकांश पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों जैसे गंगटोक और फंदाग तक पहुंचा दिया है।
हालांकि अभी भी 100 से अधिक पर्यटक लाचुंग में फंसे हुए हैं और उन्हें निकालने के प्रयास लगातार जारी हैं। पुलिस महानिदेशक अक्षय सचदेवा के अनुसार, फंसे हुए लोगों को प्राथमिकता पर सुरक्षित क्षेत्रों में लाने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है।
मंगन में सैन्य शिविर पर गिरा कहर
1 जून को मंगन जिले के छातेन क्षेत्र में अचानक हुए भूस्खलन ने एक सेना के शिविर को अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में हवलदार लखविंदर सिंह, लांस नायक मुनिश ठाकुर और एक स्थानीय पोर्टर अभिषेक लखड़ा की जान चली गई। इसके अतिरिक्त छह सैनिक लापता हैं, जिनकी खोज के लिए सेना की विशेष टुकड़ियां तैनात की गई हैं।
लापता जवानों में एक अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य भी शामिल बताए जा रहे हैं। भारी बारिश और मिट्टी की दलदल जैसी स्थिति बचाव कार्यों में बाधा उत्पन्न कर रही है, लेकिन फिर भी जवान हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
सड़कें बंद, पुल बह गए, BRO जुटा मरम्मत में
भूस्खलन के कारण कई प्रमुख सड़कों पर आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है। लाचुंग और लाचेन को जोड़ने वाले दो पुलों के टूटने की खबर है, जिससे इन क्षेत्रों तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो गया है। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है, ताकि जल्द से जल्द राहत सामग्री और वाहन वहां तक पहुंच सकें।
तीस्ता नदी का बढ़ता जलस्तर चिंता का कारण
तीस्ता नदी, जो सिक्किम और पश्चिम बंगाल के बीच बहती है, इस समय खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नदी के तेज बहाव ने कई किनारे और बस्तियों को प्रभावित किया है। लगातार चार दिन की बारिश में 130 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई है, जिससे न सिर्फ बाढ़ आई है, बल्कि भूस्खलन की घटनाओं में तेजी भी आई है।
पर्यटन के लिए प्रसिद्ध स्थान जैसे गुरुडोंगमार झील, फूलों की घाटी और लाचेन इस आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, घरों में दरारें पड़ गई हैं, पानी की आपूर्ति बाधित है और बिजली व्यवस्था ठप पड़ी है।
प्रशासनिक तैयारी और राहत प्रयास
राज्य सरकार ने हालात की गंभीरता को देखते हुए आपदा प्रबंधन तंत्र को हाई अलर्ट पर रखा है। मुख्य सचिव आर. तेलंग ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की है और तेजी से राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन, सेना, NDRF और स्वास्थ्य विभाग मिलकर राहत कैंपों में भोजन, दवा और सुरक्षित आवास की व्यवस्था कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने भी संकट के समय में अद्भुत सहयोग दिखाया है, कई गांव वालों ने अपने घर पर्यटकों और जवानों के लिए खोल दिए हैं।