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सुकमा में नक्सलवाद को झटका: 16 माओवादी आत्मसमर्पण, 6 पर था बड़ा इनाम

सुकमा में नक्सलवाद को झटका: 16 माओवादी आत्मसमर्पण, 6 पर था बड़ा इनाम

छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबी। 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 6 पर 25 लाख रुपये का इनाम था। यह सरेंडर आत्मसमर्पण नीति और सुरक्षा बलों के अभियान का नतीजा है।

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही मुहिम में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में 16 नक्सलियों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। खास बात यह है कि सरेंडर करने वालों में 6 ऐसे नक्सली शामिल हैं, जिन पर 25 लाख रुपये तक का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कुछ महिला नक्सली और हार्डकोर माओवादी भी शामिल हैं, जिन्होंने बीते वर्षों में कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया था।

कौन हैं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली

पुलिस की जानकारी के मुताबिक, सरेंडर करने वाले 16 नक्सलियों में 2 हार्डकोर नक्सली हैं, जो लंबे समय से संगठन के बड़े पदों पर सक्रिय थे। इनके अलावा, 6 नक्सलियों पर 25 लाख रुपये का इनाम था, वहीं एक महिला और एक पुरुष माओवादी पर 8-8 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। इन नक्सलियों पर सुरक्षाबलों पर हमले, ग्रामीणों में दहशत फैलाने और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप थे।

आत्मसमर्पण की वजह: नीति और बदलाव की ओर कदम

नक्सलियों के आत्मसमर्पण के पीछे छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण नीति और नियद नेल्ला नार योजना अहम भूमिका निभा रही है। इस नीति के तहत सरकार नक्सलियों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए उन्हें पुनर्वास पैकेज, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराती है। यही वजह है कि सुकमा में 16 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति की ओर कदम बढ़ाया है।

सुकमा जिले के एसपी किरण चव्हाण ने कहा, "पुलिस और सीआरपीएफ की लगातार कार्रवाई और गांवों में बढ़ती पुलिसिंग के चलते नक्सलियों पर दबाव बढ़ा है। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा नक्सली आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटें।" उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से भी नक्सली शामिल हैं।

एक गांव पूरी तरह नक्सल मुक्त

एसपी किरण चव्हाण ने यह भी बताया कि इन आत्मसमर्पण के बाद सुकमा का एक गांव पूरी तरह नक्सल मुक्त हो गया है। प्रशासन की योजना के तहत इस गांव को 1 करोड़ रुपये की विशेष सहायता राशि दी जाएगी, ताकि वहां विकास कार्य तेजी से किए जा सकें। यह कदम यह भी दर्शाता है कि प्रशासन केवल नक्सलवाद के खिलाफ सख्ती ही नहीं, बल्कि गांवों के विकास पर भी पूरा ध्यान दे रहा है।

नक्सलवाद से विकास की राह तक

सुकमा जैसे इलाकों में जहां नक्सलवाद लंबे समय से एक बड़ी चुनौती रहा है, आत्मसमर्पण की यह घटना एक उम्मीद की किरण लेकर आई है। नक्सली हिंसा के चलते दशकों से विकास की रफ्तार थमी हुई थी। स्कूल, अस्पताल और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी थीं। अब जब नक्सली हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं, तो यह साफ संकेत है कि लोग विकास की ओर बढ़ना चाहते हैं।

पुलिस और प्रशासन की मेहनत लाई रंग

छत्तीसगढ़ पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई और रणनीतिक प्लानिंग का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार ऑपरेशन चलाकर पुलिस ने नक्सलियों के नेटवर्क को कमजोर किया है। गांव-गांव में कैंप स्थापित कर सुरक्षाबलों ने स्थानीय लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया है। साथ ही, प्रशासन की नीतियां जैसे आत्मसमर्पण योजना, पुनर्वास पैकेज और विकास योजनाएं भी नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने में मदद कर रही हैं।

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