UGC ने दो डिग्रियों को एक साथ मान्य करने का फैसला किया है। अब छात्र रेगुलर, डिस्टेंस या ऑनलाइन मोड से एक ही सत्र में दो डिग्रियां प्राप्त कर सकते हैं। यह नियम पहले से ली गई डिग्रियों पर भी लागू होगा।
UGC Update: भारत में उच्च शिक्षा को लेकर एक अहम बदलाव सामने आया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि एक ही शैक्षणिक सत्र में प्राप्त की गई दो डिग्रियां अब पूरी तरह से मान्य होंगी। यह निर्णय लाखों छात्रों के लिए राहत और नई संभावनाएं लेकर आया है, खासकर उनके लिए जिन्होंने बीते वर्षों में रेगुलर और डिस्टेंस मोड में एक साथ शिक्षा हासिल की थी। आइए विस्तार से जानते हैं इस नए नियम के बारे में और इसका किसे और कैसे लाभ मिलेगा।
क्या है UGC का नया नियम?
UGC ने 2025 में अपने दिशा-निर्देशों को अपडेट करते हुए यह ऐलान किया कि अब से एक छात्र एक ही शैक्षणिक वर्ष में दो डिग्रियां ले सकता है और दोनों को वैध माना जाएगा। ये डिग्रियां निम्नलिखित तरीकों से हो सकती हैं:
- दोनों डिग्रियां रेगुलर मोड में हों, बशर्ते कक्षाओं का समय आपस में टकराए नहीं।
- एक डिग्री रेगुलर मोड में और दूसरी डिस्टेंस या ऑनलाइन मोड में हो।
- दोनों डिग्रियां डिस्टेंस या ऑनलाइन मोड में ली गई हों।
यह बदलाव स्नातक (UG), स्नातकोत्तर (PG) और डिप्लोमा कोर्सेज के लिए लागू है, जबकि MPhil और PhD प्रोग्राम इससे बाहर रखे गए हैं।
पहले क्या थी स्थिति?
इससे पहले, UGC के नियम इतने स्पष्ट नहीं थे। 2012 में एक समिति बनाई गई थी, जिसने सुझाव दिया था कि एक रेगुलर डिग्री के साथ सिर्फ एक डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स ही डिस्टेंस मोड में किया जा सकता है। दो रेगुलर डिग्रियों को एक साथ करने की इजाजत नहीं थी।
2020 में कुछ छूट दी गई और यह कहा गया कि एक रेगुलर डिग्री के साथ एक डिस्टेंस या ऑनलाइन डिग्री ली जा सकती है। लेकिन दोनों को रेगुलर मोड में करना अब भी मना था। 2022 में, NEP 2020 की सिफारिशों के तहत UGC ने दो रेगुलर डिग्रियों को अनुमति दी लेकिन एक शर्त के साथ कि कक्षाओं का समय आपस में न टकराए।
2022 से पहले की डिग्रियों को भी मान्यता
नई गाइडलाइंस में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह नियम 2022 से पहले ली गई डिग्रियों पर भी लागू होगा। यानी अगर किसी छात्र ने पहले एक रेगुलर और एक डिस्टेंस डिग्री एक साथ ली थी, तो अब उन्हें भी मान्यता दी जाएगी। यह उन छात्रों के लिए बड़ी राहत है जो अब तक नौकरियों या उच्च शिक्षा में मान्यता को लेकर परेशान थे।
छात्रों को कैसे होगा फायदा?
करियर की तैयारी में बढ़त: अब छात्र एक साथ दो क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं या नौकरी की तैयारियों में फायदा मिलेगा।
समय और पैसे की बचत: एक साथ दो डिग्रियां लेने से छात्रों का समय बचेगा और फीस भी अपेक्षाकृत कम लगेगी।
ग्लोबल स्टैंडर्ड की शिक्षा: यह फैसला अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है, जिससे भारतीय छात्रों की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
फ्रेशर्स के लिए बेहतर अवसर: नई डिग्री धारकों को एक से अधिक करियर ऑप्शन मिल सकते हैं, जिससे उनकी रोजगार संभावना बढ़ेगी।
यह नियम किन्हें नहीं मिलेगा लागू?
UGC ने यह स्पष्ट किया है कि यह नियम केवल अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डिप्लोमा कोर्सेज के लिए ही है। MPhil और PhD जैसी रिसर्च डिग्रियों पर यह नियम लागू नहीं होगा, क्योंकि इन पाठ्यक्रमों में संपूर्ण समय की प्रतिबद्धता और गहन रिसर्च कार्य शामिल होता है।
अगर कोई छात्र या अभिभावक इस नए नियम के बारे में और जानकारी लेना चाहता है, तो वह यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट (https://www.ugc.ac.in/) पर जाकर नए दिशा-निर्देशों को विस्तार से पढ़ सकता है।