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WTC Final 2025: ‘चोकर्स’ का टैग हटाते ही भड़के टेम्बा बावुमा—ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने कहा था 'फिर चोक करोगे'

WTC Final 2025: ‘चोकर्स’ का टैग हटाते ही भड़के टेम्बा बावुमा—ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने कहा था 'फिर चोक करोगे'

टेम्बा बावुमा की कप्तानी में साउथ अफ्रीका ने 27 साल बाद ICC खिताब जीतकर 'चोकर्स' टैग को खत्म किया और ऑस्ट्रेलिया को करारा जवाब दिया।

Temba Bavuma: वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025 के फाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका ने इतिहास रच दिया। टेम्बा बावुमा की कप्तानी में अफ्रीकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम को 5 विकेट से हराकर 27 साल बाद आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम की। यह जीत सिर्फ एक खिताब नहीं थी, बल्कि उन तमाम आलोचनाओं और ‘चोकर्स’ टैग के खिलाफ करारा जवाब भी था, जो सालों से इस टीम पर लादे जाते रहे।

लेकिन ट्रॉफी जीतने के बाद कप्तान टेम्बा बावुमा ने एक बड़ा खुलासा करते हुए क्रिकेट जगत को चौंका दिया। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर आरोप लगाया कि फाइनल मैच के दौरान उनकी टीम को बार-बार ‘चोक’ शब्द बोलकर उकसाया गया और मानसिक दबाव बनाने की कोशिश की गई।

बावुमा का बड़ा बयान: ‘हमें बार-बार चोक कहा गया’

फाइनल के बाद बीबीसी टेस्ट मैच स्पेशल शो में बातचीत करते हुए बावुमा ने कहा, 'जब हमारी टीम बल्लेबाजी कर रही थी, तो मैंने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को यह कहते सुना कि साउथ अफ्रीका फिर से चोक करेगा। चौथे दिन हम 60 रन के अंदर ऑल आउट हो जाएंगे—ऐसी बातें हो रही थीं।'

उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूरी टीम इस मैच में विश्वास और संदेह की दोहरी भावना के साथ उतरी थी, लेकिन फाइनल जीतकर उन्होंने सबका मुंह बंद कर दिया। 'हमारे सफर पर सवाल उठाए गए। लेकिन अब हमने सबको दिखा दिया कि साउथ अफ्रीका किस मिट्टी से बना है।'

27 साल बाद टूटा ट्रॉफी का सूखा

साउथ अफ्रीका ने आखिरी बार कोई ICC ट्रॉफी 1998 में जीती थी, जब उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा किया था। तब से अब तक टीम कई बार वर्ल्ड कप और अन्य टूर्नामेंट्स के सेमीफाइनल और फाइनल तक पहुंचने में सफल रही, लेकिन हर बार अहम मौके पर हार का सामना करना पड़ा। इसी कारण उन्हें ‘चोकर्स’ कहा जाने लगा था।

हालांकि, बावुमा एंड कंपनी ने इस बार पिछले सभी भ्रम तोड़ दिए। उन्होंने दबाव की हर परीक्षा पास की और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम को हराकर ट्रॉफी पर कब्जा जमाया।

एडन मार्करम की शानदार सेंचुरी, ‘चोकर्स’ टैग को किया खत्म

फाइनल मैच में एडन मार्करम ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए शतक लगाया, जो टीम की जीत का आधार बना। मैच के बाद उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि अब ‘चोकर्स’ शब्द का इस्तेमाल हमारी टीम के लिए कभी नहीं होगा। यह जीत हमारे आत्मसम्मान और हमारे संघर्ष का प्रतीक है।'

मार्करम ने यह भी जोड़ा कि यह जीत सिर्फ एक टूर्नामेंट की नहीं, बल्कि तीन दशकों की आलोचना का जवाब है।

ऑस्ट्रेलिया की रणनीति सवालों के घेरे में

बावुमा के बयान के बाद यह साफ है कि ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल में न सिर्फ बल्ले और गेंद से, बल्कि मानसिक युद्ध में भी बढ़त लेने की कोशिश की थी। लेकिन यह रणनीति उल्टी पड़ गई। साउथ अफ्रीका की टीम ने न सिर्फ संयम बनाए रखा, बल्कि मैदान पर भी अपने खेल से विरोधियों को चुप करा दिया।

ऑस्ट्रेलिया की टीम, जो पिछला WTC खिताब जीत चुकी थी, इस बार बावुमा के संयम और रणनीति के आगे बिखर गई। उनका गेंदबाजी आक्रमण प्रभावी नहीं रहा, जबकि बल्लेबाजी में वे दबाव में आकर गलतियां करते गए।

कप्तानी की नई परिभाषा: टेम्बा बावुमा

टेम्बा बावुमा के लिए यह जीत सिर्फ एक कप्तान के तौर पर उपलब्धि नहीं थी, बल्कि यह एक सामाजिक प्रतीक भी बन गया है। एक अश्वेत कप्तान के रूप में उन्होंने ICC ट्रॉफी जीतकर साउथ अफ्रीकी क्रिकेट के उस इतिहास को बदला है, जहां रंगभेद और पूर्वाग्रह लंबे समय तक हावी रहे।

उनकी कप्तानी में टीम ने न केवल रणनीतिक मैच जीते, बल्कि मानसिक मजबूती और टीम वर्क का नया मानक भी स्थापित किया।

क्रिकेट के लिए एक सीख

यह घटना क्रिकेट के दर्शकों और खिलाड़ियों दोनों को यह सिखाती है कि स्लेजिंग और मानसिक दबाव की रणनीति हमेशा कारगर नहीं होती। खेल में असली जीत संयम, मेहनत और विश्वास से मिलती है।

साउथ अफ्रीका ने यह साबित किया कि एक ‘चोकर्स’ मानी जाने वाली टीम भी अगर सही दिशा में मेहनत करे, तो इतिहास को बदला जा सकता है।

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