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महामंडलेश्वर ममता कुलकर्णी ने विवादों पर दिया जवाब: ‘25 वर्षों की तपस्या का फल मिला’

महामंडलेश्वर ममता कुलकर्णी ने विवादों पर दिया जवाब: ‘25 वर्षों की तपस्या का फल मिला’

बॉलीवुड छोड़ चुकीं ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज के महाकुंभ मेले में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के रूप में सेवा दी थी, जिसके बाद यह विवादों में आ गया था। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था। 

एंटरटेनमेंट: बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, जिन्होंने अपना सांसारिक जीवन छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया, हाल ही में प्रयागराज के महाकुंभ मेले में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं। यह पद मिलने के बाद उन्हें खूब विवादों का सामना करना पड़ा था। इस पूरे मामले पर ममता ने पहली बार विस्तार से बातचीत की है और अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके 25 वर्षों की कठोर तपस्या का फल है और यह भगवान की इच्छा से संभव हुआ है।

ममता कुलकर्णी ने कहा - '25 वर्षों की तपस्या का फल मिला'

ममता कुलकर्णी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके लिए महामंडलेश्वर बनना एक दिव्य आशीर्वाद की तरह था, जो लगभग 140 वर्षों में पहला ऐसा मौका था। उन्होंने कहा, भगवान ने मुझे मेरी 25 साल की तपस्या का फल दिया। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ा सम्मान है। उन्होंने यह भी कहा कि आध्यात्मिक साधना में उनका यह पद एक तरह का पुरस्का्र है, जो उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

ममता ने 2019 में अपने फिल्मी करियर को छोड़कर पूरी तरह से संन्यास ग्रहण किया और अपने नाम के साथ ‘श्री यमई ममता नंदगिरी’ का संयोग जोड़ा। उन्होंने कहा कि उनका जीवन अब सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और आध्यात्मिक उत्थान के लिए समर्पित है। महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनने के बाद आए विवाद और इस्तीफे को लेकर ममता ने संयमित और स्पष्ट प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, यह पद भगवान के हाथों में था और मुझे इस पद का चयन मिला। विवादों से मेरा ध्यान आध्यात्मिक साधना की ओर ही केंद्रित है।

राजनीति में नहीं हैं रुचि

ममता ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है। कल्कि धाम से जुड़ी ममता ने बताया कि उन्हें कल्कि विष्णु के 10वें अवतार के रूप में माना जाता है और उन्होंने एक शिलान्यास समारोह में भाग लेने का सौभाग्य भी प्राप्त किया है। उन्होंने कहा, मेरा उद्देश्य केवल सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का है, राजनीति में मेरी कोई योजना नहीं है।

ममता कुलकर्णी ने मुसलमानों के प्रति अपने स्नेह और सम्मान का भी खुलकर इज़हार किया। उन्होंने कहा कि साधना के दौरान उन्हें दुबई में काफी शांति मिली और वहां के लोगों ने उन्हें बहुत प्यार दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा, "मुझे मुसलमानों से प्यार है, लेकिन आतंकवाद से बिल्कुल नहीं। आतंकवादी किसी धर्म, जाति या रिश्तेदार से नहीं जुड़े होते। वे केवल आतंकवादी होते हैं।"

ममता का यह बयान सामाजिक समरसता और शांति की दिशा में एक सकारात्मक संदेश है। उन्होंने यह भी बताया कि आज भी कई लोग भगवान के अस्तित्व पर शक करते हैं, पर उनकी मान्यता है कि ईश्वर का अस्तित्व अनंत और सर्वव्यापी है।

संन्यास की राह पर 25 साल की साधना

ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक सफर 25 साल पुराना है। बॉलीवुड छोड़ने के बाद उन्होंने योग, ध्यान और विभिन्न धार्मिक साधनाओं को अपनाया। उनका कहना है कि यह समय उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और पूरक अनुभव रहा है। इस तपस्या के फलस्वरूप उन्होंने महामंडलेश्वर बनने का गौरव प्राप्त किया।

महामंडलेश्वर बनने के बाद जो विवाद और आलोचना ममता पर आई, उन्होंने इसे अपनी साधना के रास्ते में आने वाली चुनौतियों के रूप में लिया। उन्होंने कहा, हर आध्यात्मिक यात्रा में संघर्ष आते हैं। मैंने इसे भगवान की परीक्षा समझा और धैर्य के साथ अपने कार्यों को जारी रखा।

ममता कुलकर्णी का यह आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण उनके जीवन की नयी पहचान को दर्शाता है। एक समय बॉलीवुड की चमक-दमक में चमकने वाली अभिनेत्री आज आध्यात्मिक मार्ग पर चलकर एक सकारात्मक संदेश देती नजर आ रही हैं। उनका यह सफर दिखाता है कि जीवन में बदलाव संभव है और सच्ची तपस्या का फल हमेशा मिलता है।

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