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‘पुणे हाईवे’ रिव्यू: मर्डर मिस्ट्री जो कुछ रहस्यों में उलझी रह गई, जानें फिल्म की पूरी कहानी

‘पुणे हाईवे’ रिव्यू: मर्डर मिस्ट्री जो कुछ रहस्यों में उलझी रह गई, जानें फिल्म की पूरी कहानी
अंतिम अपडेट: 24-05-2025

विलियम शेक्सपियर के 'रोमियो जूलियट', 'मैकबेथ', 'हेमलेट' और 'ओथैलो' जैसे विश्व प्रसिद्ध नाटकों पर दुनियाभर में कई फिल्मों का निर्माण हो चुका है। लेकिन राइटर-डायरेक्टर राहुल डा कुन्हा ने अपनी अलग पहचान बनाते हुए अपने चर्चित नाटक 'पुणे हाईवे' को बड़े पर्दे पर उतारा है।

  • मूवी रिव्यू: पुणे हाईवे
  • ऐक्टर: अमित साध,जिम सर्भ,अनुवब पाल,मंजरी फडनिस,केतकी नारायण
  • डायरेक्टर : बग्स भार्गव कृष्णा,राहुल डा कुन्हा
  • श्रेणी: Hindi, Suspense, Mystery, Crime
  • अवधि: 2 Hrs 1 Min
  • क्रिटिक रेटिंग: 2.0/5
  • पाठकों की रेटिंग: NA

Pune Highway Movie Review: विलियम शेक्सपियर के क्लासिक्स जैसे ‘रोमियो और जूलियट’, ‘मैकबेथ’, ‘हेमलेट’ और ‘ओथैलो’ पर कई फिल्मों का निर्माण हो चुका है, लेकिन राइटर-डायरेक्टर राहुल डा कुन्हा ने अपने चर्चित नाटक ‘पुणे हाईवे’ को बड़े पर्दे पर लेकर आकर एक अलग किस्म की कोशिश की है। यह फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें दोस्ती, अपराध और नैतिक द्वंद्व की जटिल परतें बुनी गई हैं। हालांकि, कमजोर पटकथा और धीमी कहानी के कारण यह फिल्म दर्शकों को वह धमाका नहीं दे पाती जिसकी उम्मीद थी।

‘पुणे हाईवे’ की कहानी: दोस्ती, राजनीति और रहस्य का संगम

फिल्म की कहानी चार बचपन के दोस्तों – खांडू (अमित साध), विष्णु (जिम सर्भ), निक्की (अनुवाब पाल), और बाबू (हिमांशु बालपांडे) के इर्द-गिर्द बुनी गई है। ये सभी साथ बड़े हुए हैं और उनकी दोस्ती काफी गहरी है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब बाबू पर जानलेवा हमला होता है, और इस हमले के पीछे एक सत्ताधारी नेता मानसेकर (शिशिर शर्मा) का हाथ माना जाता है। 

खांडू खुद मानसेकर के लिए काम करता है, जिससे विष्णु और खांडू के बीच नैतिक सवाल उठते हैं, लेकिन उनकी दोस्ती बनी रहती है। विष्णु की वजह से खांडू की बहन नताशा (मंजरी फडनिस) का दिल टूट जाता है, पर वह भी उनकी दोस्ती पर असर नहीं डालता। मगर सबकुछ तब उलझ जाता है जब मानसेकर की बेटी मोना (केतकी नारायण) की हत्या हो जाती है। हत्या का सच और चारों दोस्तों का इस कांड से जुड़ाव फिल्म की मुख्य सस्पेंस की धुरी है। आखिरकार, फिल्म में यह सवाल उठता है कि हत्या किसने की और क्यों?

कमजोर पटकथा, अधूरी कहानी

फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसकी पटकथा और पटकथा का कमजोर ढांचा है। मर्डर मिस्ट्री और थ्रिलर का तड़का लगाने की कोशिश की गई है, लेकिन कहानी में कई जगहों पर धीमापन महसूस होता है। सस्पेंस तो अंत तक कायम रहता है, लेकिन उसकी प्रस्तुति इतनी प्रभावशाली नहीं कि दर्शकों को पूरी तरह बांधे रख सके। कई पात्रों के चरित्र अधूरे रह जाते हैं, खासकर खांडू और नताशा के पारिवारिक पृष्ठभूमि पर ज्यादा काम नहीं किया गया है।

निक्की का किरदार दिलचस्प पहलुओं से भरा है, खासकर उसकी मां के साथ रिश्ता और इसका उसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव। लेकिन इस किरदार का स्वभाव पूरी कहानी में स्थिर नहीं रहता। कहीं वह सामान्य है तो कहीं अचानक अजीब बर्ताव करता है, जिससे किरदार में निरंतरता का अभाव महसूस होता है।

विष्णु के अलावा बाकी दोस्तों के व्यक्तित्व की गहराई में भी जाना जा सकता था। खांडू के चरित्र को लेकर भी कहानी में उलझन साफ झलकती है कि उसे सकारात्मक दिखाना है या नकारात्मक, जिस वजह से वह किरदार में दम नहीं भर पाता।

अभिनय की छाप

जहां कहानी कमजोर पड़ती है, वहीं अभिनय के मोर्चे पर जिम सर्भ ने अपनी भूमिका के द्वंद्व को प्रभावी ढंग से पेश किया है। अमित साध भी अपने किरदार में पूरी मेहनत दिखाते हैं, लेकिन पटकथा की सीमाओं के कारण वह पूरी तरह निखर नहीं पाते। अनुवब पाल और केतकी नारायण ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है, हालांकि उनके किरदारों को अधिक विस्तार मिल सकता था।

मंजरी फडनिस ने सीमित समय में ठीकठाक अभिनय किया है। वहीं, इंस्पेक्टर पेठे के किरदार में सुदीप मोडक कई बार ओवर एक्टिंग करते हुए दिखते हैं, जो फिल्म की गंभीरता को कुछ हद तक कमजोर करता है। शिशिर शर्मा और रजित कपूर जैसे कलाकारों ने भी औसत प्रदर्शन किया है।

तकनीकी पक्ष और संगीत

तकनीकी दृष्टि से फिल्म औसत है। बैकग्राउंड स्कोर और एडिटिंग में सुधार की गुंजाइश स्पष्ट नजर आती है। संगीत फिल्म के मूड को सपोर्ट करने में नाकामयाब लगता है और एडिटिंग में कुछ जगहों पर कहानी की गति कमजोर पड़ जाती है। ‘पुणे हाईवे’ एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री है जो कथानक की संभावनाओं के बावजूद कमजोर प्रस्तुति के कारण अपनी छाप छोड़ने में असफल रहती है।

अगर पटकथा थोड़ी ज्यादा मजबूत होती और किरदारों को गहराई मिलती, तो यह फिल्म एक प्रभावशाली थ्रिलर बन सकती थी। फिर भी, जो दर्शक मर्डर मिस्ट्री और सस्पेंस वाली फिल्मों में रुचि रखते हैं, वे इसे एक बार देख सकते हैं। 

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