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Astra Mk1: भारत की स्वदेशी मिसाइल से कांपा पाकिस्तान, जानें क्यों माना जाता हैं इसे फाइटर जेट्स का काल?

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया को लेकर देश और दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। भले ही भारत सरकार ने अब तक कोई आधिकारिक सैन्य कार्रवाई की घोषणा नहीं की है, लेकिन जिस तरह की सुरक्षा तैयारियां और रणनीतिक गतिविधियां देखी जा रही हैं।

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक बार फिर तनाव का माहौल बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले की ज़िम्मेदारी भले ही किसी आतंकी संगठन ने ली हो, लेकिन भारत की नजरें सीधे-सीधे पाकिस्तान की ओर उठ रही हैं, क्योंकि भारत पहले भी कह चुका है कि आतंकियों को पालने-पोसने वाले मुल्क को बख्शा नहीं जाएगा।

इस बीच, भारत की तरफ से एक महत्वपूर्ण और चौंकाने वाला कदम सामने आया है। भारत ने अपनी अत्याधुनिक स्वदेशी मिसाइल Astra Mk1 के उत्पादन को बिजली की रफ्तार से तेज कर दिया है। इस मिसाइल को "फाइटर जेट्स का काल" कहा जाता है, और इसके निर्माण में तेजी से भारत की तैयारी को लेकर एक बड़ा संदेश पाकिस्तान को जाता दिख रहा है।

Astra Mk1: आत्मनिर्भर भारत का रक्षक

Astra Mk1 मिसाइल भारत की पहली स्वदेशी Beyond Visual Range Air-to-Air Missile (BVRAAM) है, जिसे DRDO ने विकसित किया है और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) इसका उत्पादन कर रही है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खूबी इसकी 4.5 मैक स्पीड है, यानी यह मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से साढ़े चार गुना तेज उड़ती है। ऐसे में दुश्मन के फाइटर जेट को प्रतिक्रिया देने का मौका भी नहीं मिलता।

इस मिसाइल में Active Radar Homing Seeker लगा है, जो दुश्मन के टारगेट को अंतिम क्षण तक लॉक करके रखता है। ‘फायर एंड फॉरगेट’ तकनीक के चलते यह मिसाइल लॉन्च होते ही लक्ष्य की दिशा पकड़ लेती है और उसके बाद मानव हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होती। इसके अलावा यह मिसाइल इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और वॉरफेयर से बचने में भी पूरी तरह सक्षम है, जिससे पाकिस्तान और चीन जैसे देशों की इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स (ECM) तकनीक भी इसे चकमा नहीं दे सकती।

फाइटर जेट्स को मिला ‘आकाश से मार’ का हथियार

Astra Mk1 को भारतीय वायुसेना के Sukhoi Su-30MKI और स्वदेशी LCA Tejas फाइटर जेट्स पर तैनात किया जा चुका है। वहीं, भारतीय नौसेना अपने MiG-29K विमानों पर भी इसका परीक्षण कर रही है। इससे यह साफ है कि तीनों सेनाओं को इस मिसाइल से एक बड़ी ताकत मिल रही है। मौजूदा समय में BDL हर साल दर्जनों की संख्या में इस मिसाइल का निर्माण कर रही है, ताकि किसी भी युद्ध या तनाव की स्थिति में मिसाइलों की कोई कमी न हो। भारत इस समय मिसाइल स्टॉक को बड़े पैमाने पर भर रहा है और संभावित युद्ध जैसी स्थितियों के लिए हर पहलू पर तैयारी कर रहा है।

पाकिस्तान को क्यों डर है Astra Mk1 से?

पाकिस्तान की वायुसेना अब तक AIM-120 AMRAAM C-5 मिसाइलों पर निर्भर रही है, जिसकी रेंज करीब 100 किमी है। 2019 के बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने इन मिसाइलों का इस्तेमाल किया था, जिससे भारत को अस्थायी चुनौती तो मिली, लेकिन इसके बाद भारत ने स्वदेशी लंबी दूरी की मिसाइलों पर फोकस किया।

Astra Mk1 की रेंज 70 से 110 किलोमीटर तक है और इसकी सफलता के बाद अब भारत Astra Mk2 और Astra Mk3 पर काम कर रहा है। जहां Mk2 की रेंज करीब 160 किलोमीटर तक हो सकती है, वहीं Mk3 रैमजेट तकनीक आधारित होगी जिसकी अनुमानित रेंज 300 किलोमीटर से भी अधिक होगी। इससे पाकिस्तान के पास मौजूद किसी भी मिसाइल को मुकाबले में पीछे छोड़ा जा सकेगा।

Astra Mk1: लागत में सस्ता, प्रभाव में घातक

Astra Mk1 की कीमत मात्र 7 से 10 करोड़ रुपये प्रति यूनिट है, जबकि अमेरिका या यूरोपीय मिसाइलों की लागत कहीं अधिक होती है। इसकी वजह से भारत इन मिसाइलों का बड़ी मात्रा में स्टॉक बना सकता है और जरूरत पड़ने पर इन्हें तुरंत इस्तेमाल कर सकता है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बनी इस मिसाइल से भारत को सामरिक और आर्थिक दोनों तरह की मजबूती मिली है।

क्या युद्ध की उल्टी गिनती शुरू हो गई है?

हाल के घटनाक्रमों से लगता है कि भारत सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि सैन्य स्तर पर भी पूरी तैयारी में जुटा हुआ है। पहलगाम हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से मदद की अपील यह दिखाती है कि उसे भारत के रुख का भय सताने लगा है।

हालांकि भारत की नीति अब तक स्पष्ट रही है पहले तैयारी, फिर कार्रवाई। Astra Mk1 का तेज उत्पादन भारत के इसी दृष्टिकोण का हिस्सा है। यह केवल पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि चीन जैसे दुस्साहसी पड़ोसियों के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि पहले से तैयार रहकर आगे बढ़ता है।

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