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ITR Filing 2025: ITR भरने से पहले जरूर करें AIS की जांच, जानिए क्यों है यह जरूरी और कैसे करें डाउनलोड

ITR Filing 2025: ITR भरने से पहले जरूर करें AIS की जांच, जानिए क्यों है यह जरूरी और कैसे करें डाउनलोड

ITR फाइल करने से पहले AIS की जांच बेहद जरूरी है। यह डॉक्यूमेंट आपकी पूरी वित्तीय जानकारी देता है। गलत जानकारी पर नोटिस या जुर्माना लग सकता है। जानिए सही तरीका और कैसे करें AIS चेक।

TR Filing 2025: भारत में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का सीजन शुरू हो चुका है। ज्यादातर सैलरीड क्लास टैक्सपेयर्स अपने एंप्लॉयर से Form 16 मिलने का इंतजार कर रहे हैं ताकि ITR फाइल कर सकें। इसी बीच, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ITR फाइल करने की डेडलाइन बढ़ाकर 31 जुलाई 2025 से 15 सितंबर 2025 कर दी है। 

यानी अब टैक्सपेयर्स के पास अपनी रिटर्न फाइल करने के लिए 46 दिन का एक्स्ट्रा टाइम है। लेकिन अगर आप बिना तैयारी के ITR दाखिल कर देते हैं, तो मुसीबत में फंस सकते हैं। खासकर, एक डॉक्यूमेंट की जांच करना बेहद जरूरी है, और वो है Annual Information Statement (AIS)। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि AIS क्या है, इसे क्यों चेक करना जरूरी है, और इसे कैसे डाउनलोड कर सकते हैं।

क्या होता है Annual Information Statement (AIS)?

AIS यानी Annual Information Statement इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का एक ऐसा डॉक्यूमेंट है, जो टैक्सपेयर्स के सभी बड़े वित्तीय लेनदेन की जानकारी एक जगह पर दिखाता है। इसे Form 26AS का एक विस्तृत रूप कहा जा सकता है। जहां Form 26AS में आपके टैक्स क्रेडिट की जानकारी होती है, वहीं AIS में आपके इनकम, टैक्स कटौती (TDS), टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS), और बड़े लेनदेन जैसे – शेयर, म्यूचुअल फंड की खरीद-फरोख्त, प्रॉपर्टी की बिक्री, बैंक अकाउंट में इंटरेस्ट, विदेशी ट्रांजैक्शन, किराये की आमदनी जैसी जानकारियां शामिल होती हैं। 

उदाहरण के लिए, अगर आपने पिछले साल किसी कंपनी के शेयर बेचे, म्यूचुअल फंड रिडीम किया, कोई प्रॉपर्टी खरीदी-बेची, या बैंक से इंटरेस्ट कमाया, तो इसकी पूरी डिटेल AIS में रिकॉर्ड होती है। यही वजह है कि ITR फाइल करने से पहले AIS की जांच करना बेहद जरूरी है।

AIS की जांच क्यों जरूरी है?

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि AIS की जांच किए बिना ITR फाइल करना एक बड़ी गलती हो सकती है। इनकम टैक्स और फाइनेंस एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक, अगर आप अपने ITR में कोई इनकम छुपा लेते हैं, चाहे वो जानबूझकर हो या गलती से, तो टैक्स डिपार्टमेंट इसे गंभीरता से लेता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने बैंक इंटरेस्ट की इनकम ITR में नहीं दिखाई या शेयर बेचने से हुआ मुनाफा रिटर्न में नहीं जोड़ा, तो आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिल सकता है। कई बार पेनल्टी भी लग सकती है।

AIS को ITR से मिलाना इसलिए जरूरी है ताकि कोई मिसिंग इनकम या गलती न रह जाए। क्योंकि अगर आपकी ITR और AIS के आंकड़ों में फर्क दिखा, तो रिटर्न पर सवाल उठ सकते हैं।

AIS को कैसे देखें और डाउनलोड करें?

AIS देखने और डाउनलोड करने की प्रक्रिया बेहद आसान है। इसके लिए आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की e-filing वेबसाइट पर जाना होगा।

  1. सबसे पहले www.incometax.gov.in पर लॉगिन करें।
  2. लॉगिन करने के बाद 'Annual Information Statement (AIS)' सेक्शन पर क्लिक करें।
  3. यहां 'Proceed' बटन पर क्लिक करने के बाद आप AIS पोर्टल पर पहुंच जाएंगे।
  4. यहां 'AIS' टाइल पर क्लिक करके अपनी पूरी जानकारी देख सकते हैं।

एक और तरीका भी है – e-filing पोर्टल पर 'Income Tax Return' मेन्यू में जाएं, वहां 'View AIS' ऑप्शन मिलेगा। उस पर क्लिक करके आप अपने सभी लेनदेन की डिटेल देख सकते हैं।

AIS में क्या-क्या जानकारी होती है?

AIS में आपकी आय और लेनदेन से जुड़ी तमाम जानकारियां होती हैं, जैसे:

  • बैंक से मिला ब्याज
  • शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश से कमाई
  • प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त
  • विदेश में पैसे भेजने या मंगवाने का ब्योरा
  • किराए से हुई आय
  • TDS और TCS की जानकारी
  • अन्य बड़े लेनदेन

इन सभी डिटेल्स को ध्यान से पढ़ें। अगर आपको किसी भी लेनदेन में गड़बड़ी नजर आती है, तो उसे तुरंत सुधारना जरूरी है।

अगर AIS में गलती हो तो क्या करें?

कई बार ऐसा होता है कि AIS में कुछ गलतियां होती हैं। जैसे – आपके बैंक ने ज्यादा ब्याज दिखा दिया हो, या किसी और व्यक्ति का ट्रांजैक्शन गलती से आपके AIS में जुड़ गया हो। ऐसे मामलों में घबराने की जरूरत नहीं है। AIS में ही ऑनलाइन शिकायत (Feedback) देने का ऑप्शन होता है।

आप वहां जाकर गलत लेनदेन के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अपनी समस्या को सही-सही तरीके से दर्ज कराएं, ताकि डिपार्टमेंट उसे ठीक कर सके। यह प्रक्रिया ITR फाइल करने से पहले पूरी कर लें, ताकि रिटर्न में कोई गलती न हो और बाद में किसी तरह का नोटिस या पेनल्टी का सामना न करना पड़े।

Form 26AS की जांच भी जरूरी

AIS के साथ-साथ Form 26AS की जांच भी जरूरी है। Form 26AS एक टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट होता है जिसमें आपके ऊपर कटे गए TDS, TCS और बड़े लेनदेन की जानकारी होती है। अक्सर टैक्सपेयर्स Form 26AS देखना तो याद रखते हैं, लेकिन AIS को नजरअंदाज कर देते हैं। ध्यान रखें, AIS Form 26AS से ज्यादा विस्तृत होता है और उसमें ज्यादा जानकारी होती है।

इसलिए, ITR फाइल करने से पहले दोनों डॉक्यूमेंट्स – AIS और Form 26AS को अच्छी तरह से देख लें। अगर इनमें कोई फर्क नजर आता है, तो उसे ठीक करना जरूरी है।

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