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भारत का संविधान सर्वोच्च है: CJI बी. आर. गवई ने लोकतंत्र की मजबूती पर दिया जोर

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने कहा कि भारत में संसद या कार्यपालिका नहीं, संविधान सर्वोच्च है। उन्होंने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के बीच परस्पर सम्मान और देश के निरंतर विकास की आवश्यकता पर बल दिया।

Mumbai: मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई ने स्पष्ट कहा कि देश की सबसे बड़ी ताकत संविधान है, न कि न्यायपालिका, कार्यपालिका या संसद। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ – न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका – को आपसी तालमेल और संविधान के मुताबिक काम करना चाहिए।

बार काउंसिल के कार्यक्रम में बोले CJI गवई

CJI गवई हाल ही में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं। रविवार को वे मुंबई में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा के कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां उनका स्वागत किया गया। इस अवसर पर उन्होंने संविधान की सर्वोच्चता और लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की बात कही।

देश ने की सामाजिक और आर्थिक प्रगति

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि भारत आज सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पहले से अधिक मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा, “मुझे यह देखकर खुशी है कि देश न सिर्फ मज़बूत हुआ है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से निरंतर विकास की ओर अग्रसर है।”

लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के बीच सम्मान जरूरी

CJI गवई ने कहा कि देश में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका — ये तीनों लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभ हैं, लेकिन इन तीनों में कोई एक सर्वोच्च नहीं है। संविधान ही वह शक्ति है जो इन सभी को निर्देशित करता है। उन्होंने कहा, “तीनों अंगों को आपसी सम्मान के साथ काम करना चाहिए ताकि संविधान के उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।”

संविधान की भावना को समझना जरूरी है

CJI गवई ने इस बात पर बल दिया कि लोकतंत्र का सही मतलब तब ही पूरा होता है जब इसके सभी अंग संविधान की भावना को समझें और उसका पालन करें। उन्होंने कहा कि यह ज़रूरी है कि सभी संस्थाएं एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान करें और अपनी सीमाओं में रहते हुए काम करें।

उन्होंने कहा कि देश का बुनियादी ढांचा संविधान के अनुरूप है और यह तीनों स्तंभों की समान भागीदारी से ही टिकाऊ बन सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि संविधान सर्वोच्च है, तो सभी संस्थाओं को उसके दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए।

50 ऐतिहासिक फैसलों पर आधारित पुस्तक का विमोचन

इस कार्यक्रम के दौरान एक खास क्षण तब आया जब CJI गवई द्वारा सुनाए गए 50 प्रमुख न्यायिक फैसलों पर आधारित एक विशेष पुस्तक का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में उनके न्यायिक दृष्टिकोण और संवैधानिक व्याख्याओं का उल्लेख है, जो न्यायिक व्यवस्था के लिए प्रेरणादायक है।

न्यायपालिका की भूमिका पर विशेष जोर

मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि न्यायपालिका की भूमिका केवल विवादों का निपटारा करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि संविधान की मूल भावना की रक्षा हो। उन्होंने कहा कि अदालतों को आम जनता के विश्वास का प्रतीक बने रहना चाहिए और पारदर्शिता, निष्पक्षता व संविधानिक मर्यादा का पालन करना चाहिए।

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