केरल और मुंबई में अपेक्षा से पहले पहुँचने के बाद, मानसून की गति में अब कमी आई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र के कारण मानसून के आगे बढ़ने की प्रक्रिया प्रभावित हुई है।
मध्य प्रदेश में मानसून: मध्य प्रदेश में प्रचुर वर्षा की प्रतीक्षा कर रहे लोगों के लिए मानसून की धीमी गति निराशाजनक हो सकती है, लेकिन राहत की बात यह है कि देरी के बावजूद प्रदेश में मानसून के निर्धारित समय तक पहुँचने की संभावना बनी हुई है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र के कारण मानसून की गति में अस्थायी रूप से रूकावट आई है, जिससे इसकी उत्तर और मध्य भारत की ओर प्रगति धीमी हो गई है।
केरल से मुंबई तक तीव्र गति से मानसून का प्रसार
इस वर्ष दक्षिण भारत में मानसून ने समय से पहले अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 24 मई को केरल में पहुँचने के बाद, मानसून ने गोवा, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भागों में तेज़ी से प्रवेश किया। मुंबई में तो यह 16 दिन पहले ही पहुँच गया था, जिससे मौसम वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित थे। परंतु जैसे ही यह उत्तर-पूर्व भारत और पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों तक पहुँचा, इसकी गति मंद हो गई।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बना एक नया निम्न दबाव क्षेत्र मानसून के आगे बढ़ने में प्रमुख बाधा बन गया है। यह दबाव क्षेत्र मानसूनी हवाओं के सामान्य मार्ग को बाधित कर रहा है, जिससे इसका प्रभाव छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्य भारत के राज्यों तक धीरे-धीरे ही पहुँचेगा।
मध्य प्रदेश में मानसून की देरी – परंतु चिंताजनक नहीं
भोपाल से लगभग 794 किलोमीटर दूर मानसूनी सीमा वर्तमान में स्थिर है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी 8 से 10 दिनों में मानसून पुनः सक्रिय हो सकता है। यदि परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं, तो मध्य प्रदेश में 15 जून तक मानसून की आमद हो सकती है, जो सामान्य तिथि मानी जाती है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यद्यपि इस बार मानसून की गति धीमी है, परंतु यह असामान्य नहीं है। अक्सर मानसून की गति बदलते मौसम और दबाव क्षेत्रों के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। सकारात्मक पहलू यह है कि अभी तक संकेत यही मिल रहे हैं कि मध्य प्रदेश में मानसून समय पर पहुँच जाएगा।
17 राज्यों में पहुँच चुका है मानसून
IMD की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, मानसून अब तक देश के 17 राज्यों में पहुँच चुका है। इसमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा और पूर्वोत्तर के सभी सात राज्य सम्मिलित हैं। महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में भी मानसूनी वर्षा प्रारंभ हो चुकी है। मध्य प्रदेश एक प्रमुख कृषि प्रधान राज्य है, जहाँ खरीफ फसलों की बुवाई मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। मानसून की देरी से किसान चिंतित हैं, लेकिन मौसम विभाग के आश्वासन से उन्हें कुछ राहत मिली है। राज्य के किसान अब वर्षा की प्रतीक्षा में हैं ताकि समय पर बुवाई शुरू की जा सके।
छिंदवाड़ा, जबलपुर, रीवा, सागर, होशंगाबाद और बैतूल जैसे जिलों में धान, सोयाबीन, मक्का और मूंगफली की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यदि 15 जून तक वर्षा प्रारंभ हो जाती है, तो किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा। परंतु मानसून में और देरी होने पर सरकार को वैकल्पिक योजनाओं के अंतर्गत सिंचाई साधनों की तैयारी करनी पड़ सकती है।