राहुल गांधी के 'सरेंडर' बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी, इसे सेना का अपमान बताया। कांग्रेस ने सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए बयान का समर्थन किया। विवाद ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहस को जन्म दिया है।
New Delhi: राहुल गांधी के 'सरेंडर' शब्द के इस्तेमाल पर सियासी घमासान छिड़ गया है। बीजेपी ने इसे भारतीय सेना का अपमान बताया है, जबकि कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री अमेरिका के दबाव में झुक गए।
राहुल गांधी के बयान से शुरू हुआ विवाद
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में भोपाल की एक जनसभा में बयान दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इशारे पर पाकिस्तान से सीजफायर किया और 'सरेंडर' कर दिया। राहुल ने अपने भाषण में कहा, "ट्रंप ने फोन किया और कहा, 'नरेंदर... सरेंडर...' और मोदी जी ने जी हुजूर कहकर उनकी बात मान ली।"
बीजेपी का कड़ा हमला: सेना का अपमान
बीजेपी प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ऐसा बयान पाकिस्तान की सेना, आतंकवादी संगठनों या यहां तक कि मसूद अजहर और हाफिज सईद ने भी नहीं दिया। राहुल गांधी ने 'सरेंडर' शब्द का प्रयोग करके भारतीय सेना की वीरता और सम्मान पर सवाल खड़े किए हैं।
त्रिवेदी ने कहा कि यह बयान न केवल भारतीय राजनीति के स्तर को गिराता है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि राहुल गांधी की सोच किस हद तक पाकिस्तान की मानसिकता के करीब है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल पाकिस्तान के दुष्प्रचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
कांग्रेस का पलटवार: 'नाम नरेंदर, काम सरेंडर'
कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों का जोरदार जवाब दिया। AICC के मीडिया विभाग प्रमुख पवन खेड़ा ने राहुल गांधी के बयान की वीडियो क्लिप दिखाते हुए कहा कि यह बयान मोदी सरकार की नीतियों की विफलता को उजागर करता है। उन्होंने कहा, "भक्तों ने 11 साल तक एक छवि बनाई, लेकिन असली तस्वीर 'नरेंदर का सरेंडर' बनकर सामने आई।"
खेड़ा ने कहा कि बहादुरी सिर्फ डायलॉग से नहीं आती, बल्कि चरित्र में होती है। उन्होंने सवाल उठाया कि सीजफायर किन शर्तों पर किया गया, और अगर हमारी सेना पाकिस्तान पर दबाव बना रही थी, तो प्रधानमंत्री ने अचानक क्यों झुकाव दिखाया?
क्या 'सरेंडर' कहने से देश का अपमान होता है?
बीजेपी के अनुसार, 'सरेंडर' शब्द का प्रयोग सेना के पराक्रम पर सवाल उठाता है। उनका कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य सफलता को सरेंडर कहना देश और सेना का अपमान है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरेंडर शब्द नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक हार को दर्शाता है, न कि भारतीय सेना की वीरता को।
कांग्रेस का यह भी आरोप है कि जब ट्रंप बार-बार यह कह रहे हैं कि उन्होंने सीजफायर करवाया, तो भारत सरकार की चुप्पी साफ संकेत देती है कि अमेरिका के दबाव में भारत ने झुकाव दिखाया।
ऐतिहासिक संदर्भों पर टकराव
बीजेपी ने इतिहास के कुछ उदाहरण भी गिनाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1947 में मुस्लिम लीग के सामने आत्मसमर्पण किया था, 1971 की जीत के बावजूद पीओके पाकिस्तान के पास ही रहने दिया और 26/11 हमले के बाद पाकिस्तान से बातचीत जारी रखी।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जब भारत ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को सरेंडर कराया था, तब भी कांग्रेस सरकार ने पीओके वापस नहीं लिया। उन्होंने राहुल गांधी को 'सरेंडर कांग्रेस' का प्रतीक करार दिया।
कांग्रेस का आरोप: विदेश नीति में विफलता
कांग्रेस ने मोदी सरकार की विदेश नीति को लेकर भी तीखा हमला बोला। पवन खेड़ा ने कहा कि अमेरिका ने एक कॉल किया और प्रधानमंत्री मोदी ने तुरंत सीजफायर कर दिया। खेड़ा ने पूछा, "क्या हमारी विदेश नीति इतनी कमजोर हो गई है कि एक ट्रेड धमकी पर हम घुटने टेक देते हैं?"
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुवैत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ वीजा समझौता किया, जबकि वहां भारतीय श्रमिकों की संख्या अधिक है। यह भारत की कूटनीतिक विफलता का प्रतीक है।
पीएम देश नहीं हैं, देश 140 करोड़ लोगों का है
कांग्रेस ने बीजेपी पर यह आरोप भी लगाया कि वे मोदी को देश का पर्यायवाची बना रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री देश नहीं होते। खेड़ा ने कहा, "यह देश 140 करोड़ लोगों का है, नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, देश नहीं। देश के सम्मान के साथ सौदा हुआ है और विपक्ष इसका जवाब मांग रहा है।"