बांग्लादेश में चुनाव को लेकर गरमाई सियासत, यूनुस ने दबाव पर दिया सख्त जवाब। कहा, बेवजह दबाव बढ़ा तो जनता के साथ मिलकर कार्रवाई करेंगे।
Bangladesh News: बांग्लादेश की राजधानी ढाका समेत पूरे देश में पिछले नौ महीनों से जनआंदोलनों की गूंज लगातार बढ़ रही है। बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच अब अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस का सख्त बयान सामने आया है। यूनुस ने साफ कहा है कि अगर उन पर चुनाव कराने या किसी अन्य मुद्दे पर बेवजह दबाव डाला गया, तो वे जनता के साथ मिलकर इसका जवाब देंगे।
शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यूनुस ने दो टूक कहा, “अगर कोई कार्रवाई सरकार की स्वायत्तता, सुधार प्रयासों, न्यायिक प्रक्रियाओं, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव या सामान्य प्रशासन में बाधा डालती है और इसके चलते सरकार अपने दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ होती है, तो हम जनता से सलाह लेकर अगला कदम उठाएंगे।”
दिसंबर तक चुनाव कराने का दबाव, यूनुस का जवाब
यूनुस के इस बयान के पीछे एक बड़ी वजह है हाल ही में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमां का चुनाव को लेकर बनाया जा रहा दबाव। BNP और सेना की मांग है कि दिसंबर 2025 तक चुनाव कराए जाएं। इस पर यूनुस ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हम किसी के दबाव में नहीं आएंगे। अगर जरूरत पड़ी तो जनता के साथ मिलकर निर्णायक कदम उठाएंगे।"
ढाका की सड़कों पर बढ़ते विरोध-प्रदर्शन
पिछले कई महीनों से ढाका और देश के अन्य हिस्सों में लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। बीते साल अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार को गिराने के बाद से जनआंदोलनों की ताकत साफ देखी गई है। संसद से ज्यादा सड़कों पर आवाज उठ रही है और कई बार सरकार को जनता के दबाव के आगे झुकना पड़ा है।
शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद बनी यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को जनता का समर्थन मिला था। लेकिन अब आर्थिक विकास दर में गिरावट और बिगड़ती कानून व्यवस्था ने जनता को फिर से सड़कों पर उतार दिया है।
जनता का समर्थन, लेकिन चुनौतियां बरकरार
यूनुस की अंतरिम सरकार को जनता ने भ्रष्टाचार और जबरन गायब कर दिए जाने की घटनाओं से राहत पाने की उम्मीद के साथ समर्थन दिया था। मगर अब लोग आशंकित हैं कि कहीं एक बार फिर से उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को छीना न जाए। 2006 के सैन्य समर्थित कार्यवाहक सरकार का दौर भी जनता की यादों में ताजा है।
यूनुस ने इस्तीफे की अटकलों को किया खारिज
शनिवार को हुई एक अनौपचारिक बैठक में यूनुस ने अपने इस्तीफे की खबरों को खारिज कर दिया। उनके सहयोगी और छात्र आंदोलन के नेता नाहिद इस्लाम ने 22 मई को बयान दिया था कि यूनुस इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि यूनुस अपनी जिम्मेदारी पर कायम हैं।
विदेशी साजिशों और विरोधियों पर आरोप
यूनुस ने अपने बयान में विदेशी साजिशों और हारे हुए तत्वों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर सरकार के काम में विदेशी साजिशें या विरोधी तत्व बाधा डालते हैं, तो वे जनता को सच्चाई बताएंगे और उनके साथ मिलकर कार्रवाई करेंगे।
BNP और सेना की चुनौती
BNP नेता मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने चेतावनी दी कि दिसंबर तक चुनाव नहीं कराना एक साजिश है ताकि नागरिकों को उनके वोटिंग अधिकार से वंचित किया जा सके। वहीं, सेना प्रमुख का बयान कि चुनाव जरूरी हैं, इस सियासी उबाल को और बढ़ा रहा है।
जनता अब भी यूनुस से बदलाव की उम्मीद लगाए बैठी है, लेकिन आर्थिक हालात और राजनीतिक अस्थिरता के बीच डर भी बना हुआ है कि कहीं फिर से 1971 जैसे हालात या 2006 जैसी सैन्य दखलंदाजी की पुनरावृत्ति न हो जाए।