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केरल में रिकॉर्ड तोड़ बारिश का इंतजार: 24 घंटे में पहुंचेगा मानसून, किसानों की उम्मीदों को मिलेगा पंख

केरल में रिकॉर्ड तोड़ बारिश का इंतजार: 24 घंटे में पहुंचेगा मानसून, किसानों की उम्मीदों को मिलेगा पंख
अंतिम अपडेट: 24-05-2025

अगले 24 घंटे में केरल पहुंचेगा मानसून, 16 साल बाद सबसे जल्दी आगमन। इस बार मानसून के समय पर आने से खरीफ फसलों की बुवाई को मिलेगा बढ़ावा।

Kerala: भारत में मानसून का आगमन एक अहम घटना मानी जाती है, और इस साल इसका केरल में तय समय से पहले पहुंचना कई मायनों में खास है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भविष्यवाणी की है कि अगले 24 घंटे में दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में दस्तक देने वाला है। यह पिछले 16 सालों में मानसून का सबसे जल्दी आगमन होगा, जिससे देशभर के किसानों और कृषि आधारित क्षेत्रों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

16 साल बाद नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में मानसून

इस बार मानसून ने तय तारीख (1 जून) से करीब एक हफ्ता पहले ही केरल पहुंचने की तैयारी कर ली है। 2009 और 2001 के बाद यह पहला मौका है जब मानसून इतनी जल्दी पहुंच रहा है। केरल में मानसून का सामान्य आगमन 1 जून को होता है, लेकिन इस बार यह 25-26 मई को ही दस्तक दे सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, केरल में मानसून के लिए सभी परिस्थितियां अनुकूल बन गई हैं। इसके पीछे लो प्रेशर सिस्टम (Low Pressure System) और अरब सागर से आने वाली नमी भरी हवाओं का अहम योगदान है।

क्यों महत्वपूर्ण है समय पर मानसून का आगमन?

भारत में 70% बारिश मानसून सीजन के दौरान होती है, जो जून से सितंबर तक चलता है। यही बारिश खेती, पीने के पानी, बिजली उत्पादन और भूजल स्तर के लिए जरूरी होती है। समय पर और पर्याप्त बारिश देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है, खासतौर पर कृषि सेक्टर को। इस साल IMD ने सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान लगाया है, जिससे उम्मीद है कि खरीफ फसलों (जैसे धान, मक्का, सोयाबीन, कपास) का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।

कृषि क्षेत्र के लिए क्या है इसका असर?

  • धान और मक्का जैसी खरीफ फसलों की बुवाई समय से शुरू हो सकेगी।
  • भूजल और जलाशय भरने में मदद मिलेगी, जिससे रबी सीजन में सिंचाई की समस्या कम होगी।
  • कृषि उत्पादन बढ़ेगा, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
  • किसानों की आमदनी बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी।

मानसून केरल के बाद कहां-कहां पहुंचेगा?

  • केरल के बाद मानसून धीरे-धीरे कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात की ओर बढ़ेगा।
  • दक्षिण-पश्चिम मानसून अगले कुछ दिनों में कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य और दक्षिण अरब सागर, बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ेगा।
  • उत्तर भारत (दिल्ली, यूपी, बिहार, पंजाब) में मानसून के 25 से 30 जून के बीच पहुंचने की संभावना है।
  • पश्चिम भारत (राजस्थान, गुजरात) में मानसून 15 से 20 जून के बीच दस्तक देगा।

लो प्रेशर सिस्टम का क्या असर पड़ेगा?

अरब सागर के ऊपर बन रहा लो प्रेशर सिस्टम अगले 36 घंटों में और मजबूत हो सकता है। इसके चलते केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में बारिश की तीव्रता बढ़ सकती है। इससे समुद्र में ऊंची लहरें उठ सकती हैं और मछुआरों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। पश्चिमी तटीय इलाकों में हवाओं की रफ्तार बढ़ सकती है, जिससे स्थानीय मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा।

मानसून से जुड़ा इतिहास: जल्दी और देरी का रिकॉर्ड

  1. सबसे जल्दी मानसून आगमन: 11 मई 1918 (केरल में)
  2. सबसे देरी से मानसून आगमन: 18 जून 1972 (केरल में)
  3. पिछले साल (2024) मानसून आगमन: 30 मई को हुआ था।

मानसून की प्रगति पर नजर

देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी से राहत के लिए मानसून का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में मौसम विभाग के अपडेट पर नजर रखना बेहद जरूरी है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे मानसून की प्रगति के हिसाब से अपनी बुवाई योजनाएं बनाएं और मौसम विभाग के अलर्ट्स का पालन करें।

इस साल मानसून से किसानों को क्या उम्मीद?

IMD के मुताबिक, 2025 में मानसून सामान्य से बेहतर रहने की संभावना है। इससे खरीफ सीजन में धान, मक्का, सोयाबीन, कपास और तिलहन जैसी फसलों का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी, खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और देश की GDP में कृषि का योगदान बढ़ेगा।

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