Chicago

एपल पर अमेरिकी दबाव से भारत को झटका! निवेश और रोजगार पर संकट, फॉक्सकान की बड़ी योजना पर भी सवाल

भारत में टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की दिशा उस वक्त प्रभावित होती दिख रही है, जब दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी Apple को लेकर अमेरिका ने एक बड़ा रुख अपनाया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणी के बाद से एपल के भारत में जारी निर्माण और निवेश योजनाओं पर सवाल उठने लगे हैं। अगर अमेरिकी दबाव में एपल को भारत से अपने उत्पादन को हटाना पड़ता है, तो इसका असर न सिर्फ देश की इकोनॉमी पर पड़ेगा।

एपल की भारत में मौजूदगी और निवेश

एपल अब भारत में iPhone बनाने का काम तेजी से कर रही है, और इसके पीछे ताइवानी कंपनी फॉक्सकान का बड़ा योगदान है। इस निर्माण प्रक्रिया में करीब 60,000 लोग सीधे तौर पर काम कर रहे हैं, जिससे भारत में रोजगार के मौके बढ़े हैं। फॉक्सकान ने भारत में अब तक लगभग 1.5 अरब डॉलर का भारी निवेश किया है और हाल ही में उसने तमिलनाडु में अपने प्लांट को और बढ़ाने के लिए 1.49 अरब डॉलर के नए निवेश की घोषणा की है। यह साफ संकेत है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां अब चीन की जगह भारत को मैन्युफैक्चरिंग का नया केंद्र मानने लगी हैं। इसका मतलब है कि भारत धीरे-धीरे विश्व में तकनीकी उत्पादन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने की ओर बढ़ रहा है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति और रोजगार दोनों को फायदा होगा।

ट्रंप की चेतावनी: भारत निर्मित iPhone पर 25% टैक्स

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बयान में कहा कि अगर Apple चीन की बजाय भारत में iPhone का निर्माण करता है, तो अमेरिका उस पर 25% का आयात शुल्क लगाएगा। ट्रंप का तर्क है कि अमेरिका को अपनी निर्माण क्षमता वापस देश में लानी चाहिए। अभी अमेरिका में भारत में बने iPhone पर 10% और चीन में बने फोन पर 30% टैक्स लगता है, इसलिए भारत अभी भी एपल के लिए ज्यादा फायदेमंद है। लेकिन अगर ये 25% का शुल्क लागू होता है, तो एपल के लिए भारत में मैन्युफैक्चरिंग करना उतना लाभकारी नहीं रहेगा।

चीन और भारत के बीच उत्पादन का संतुलन

आज के समय में दुनिया में बिकने वाले iPhone का लगभग 80% हिस्सा चीन में बनाया जाता है, जबकि भारत की हिस्सेदारी केवल करीब 15% है। हालांकि पिछले कुछ सालों में भारत ने तेजी से अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा दिया है और एपल के प्रोडक्शन में अपनी भागीदारी बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है। भारत हर साल अमेरिका को लगभग 6 अरब डॉलर के iPhone और दूसरे फोन निर्यात करता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा होता है। लेकिन अगर अमेरिका की व्यापार नीति में बदलाव होता है, जैसे कि भारत में बने फोन पर ज्यादा टैक्स लगाना, तो भारत का यह निर्यात कम हो सकता है और इससे रोजगार और निवेश दोनों पर असर पड़ सकता है। इसलिए भारत के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी मैन्युफैक्चरिंग को और मजबूत बनाए और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बनाए रखे।

माइक्रोन जैसी कंपनियों को भी हो सकता है असर

सूत्रों का कहना है कि अमेरिका की यह नीति सिर्फ एपल तक सीमित नहीं है। भविष्य में अमेरिकी सरकार चिप निर्माता कंपनियों, जैसे Micron, को भी भारत से उत्पादन हटाने के लिए कह सकती है। माइक्रोन पहले चीन में उत्पादन करती थी, लेकिन अब भारत में अपनी यूनिट लगा रही है। अगर अमेरिका भारत निर्मित चिप्स पर भी आयात शुल्क बढ़ा देता है, तो इसका असर भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर भी पड़ेगा।

अमेरिकी कंपनियों की सोच में हो सकता है बदलाव

भारत सरकार ने बीते वर्षों में कई अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश और निर्माण के लिए आमंत्रित किया है। खिलौना, लेदर और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टरों में भारतीय कंपनियों और अमेरिकी कंपनियों के बीच साझेदारियों का सिलसिला बढ़ा है। लेकिन अगर अमेरिका का यह कड़ा रुख जारी रहता है, तो अमेरिकी कंपनियां इन सेक्टरों में निवेश या साझेदारी करने से कतराने लगेंगी। इससे ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को बड़ा झटका लग सकता है।

क्या भारत के लिए रुक जाएगा विदेशी निवेश?

भारत के लिए यह स्थिति काफी चिंताजनक हो सकती है, क्योंकि बीते वर्षों में चीन से दूरी बनाकर जो निवेश भारत में आने लगा था, वह फिर से किसी अन्य देश की ओर मुड़ सकता है। एपल जैसी बड़ी कंपनियों का भरोसा भारत में बना रहे, इसके लिए सरकार को स्पष्ट नीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के स्तर पर सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब डिप्लोमैटिक रणनीति अपनाते हुए अमेरिका से साफ बातचीत करनी होगी कि वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग के नए केंद्र के रूप में भारत की भूमिका को कैसे बरकरार रखा जा सकता है।

सरकार के सामने नई चुनौती

भारत सरकार ने फॉक्सकान और माइक्रोन जैसी बड़ी कंपनियों को देश में निवेश करने के लिए कई सुविधाएं और प्रोत्साहन दिए हैं, ताकि वे यहां ज्यादा उत्पादन कर सकें और रोजगार बढ़ सके। लेकिन अगर अमेरिका जैसी बड़ी ताकत वाले देश भारत में बने सामान पर ज्यादा टैक्स लगाते हैं, तो यह भारत के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। ऐसे में सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती है कि वह इन हालात से निपटने के लिए नई योजना और रणनीति तैयार करे। भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए मजबूत कदम उठाने होंगे, ताकि विदेशी निवेश बना रहे और देश की अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर हो।

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक नीतियों में यह टकराव भविष्य में भारत की तकनीकी दिशा को प्रभावित कर सकता है। अगर एपल और अन्य अमेरिकी कंपनियों को भारत से अपना निर्माण कार्य हटाना पड़ा, तो देश को न केवल रोजगार का नुकसान होगा बल्कि विदेशी निवेश और वैश्विक भरोसे पर भी गहरा असर पड़ेगा।

Leave a comment