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इंसॉल्वेंसी की दिशा में पहला कदम: जेनसोल के खिलाफ कर्जदाताओं की पहली कानूनी कार्रवाई

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जेनसोल के खिलाफ पहली बार किसी कर्जदाता ने सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू की है। कंपनी पर अब इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया शुरू होने का खतरा बढ़ गया है। यह कदम इस बात का संकेत है कि जेनसोल की वित्तीय स्थिति चिंताजनक हो गई है और कर्जदाताओं ने कंपनी के बकाया भुगतान के लिए अदालत का रुख किया है। ऐसे मामले में कंपनी को अपने कर्ज चुकाने और स्थिरता बहाल करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

पैसे की गड़बड़ी में फंसी जेनसोल इंजीनियरिंग अब दिवालिया होने के करीब पहुंच चुकी है। भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में कंपनी के खिलाफ दिवालियापन की याचिका दायर की है। यह पहली बार है जब किसी कर्जदाता ने जेनसोल के खिलाफ इतनी कड़ी कानूनी कार्रवाई की है। IREDA ने बताया कि कंपनी के ऊपर 510 करोड़ रुपये का बकाया है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए दिया गया था, लेकिन जांच में पता चला कि इस राशि का गलत इस्तेमाल हुआ है।

2023 में 2390 रुपये तक पहुंचा जेनसोल का शेयर अब महज 59 रुपये पर आ गया है और दिवालियापन की खबर के बाद इसमें और गिरावट की संभावना है। सेबी ने पिछले महीने कंपनी और इसके प्रमोटर्स जग्गी भाइयों को फंड हेराफेरी के कारण प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद जग्गी भाइयों ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, कंपनी ने सैट के समक्ष अपील की थी, जिसे निपटाया गया है और उसे सेबी के आदेश का जवाब देने का मौका भी मिला है।

जेनसोल का शेयर गिरावट के गर्त में, दिवालियापन की ओर बढ़ता कदम

2023 में 2390 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने वाला जेनसोल इंजीनियरिंग का शेयर अब मात्र दो साल में 59 रुपये तक गिर चुका है। कंपनी के दिवालियापन की संभावना ने निवेशकों में चिंता बढ़ा दी है, जिससे इसके शेयरों में और गिरावट आ सकती है।

जेनसोल पर करीब 510 करोड़ रुपये की बकाया राशि है, जो भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) से इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए प्राप्त किया गया था। जांच में यह खुलासा हुआ कि कंपनी के प्रमोटर जग्गी परिवार ने इस कर्ज राशि का उपयोग व्यक्तिगत खर्चों और शौक पर किया।

सेबी का कड़ा कदम, प्रमोटर्स पर लगा प्रतिबंध

पिछले महीने बाजार नियामक सेबी ने फंड की हेराफेरी और संचालन में लापरवाही के आरोप में जेनसोल इंजीनियरिंग और उसके प्रमोटरों अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को अगले आदेश तक प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया।

इसके बाद 12 मई को जग्गी भाइयों ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया। वहीं, जेनसोल ने बुधवार को सूचित किया कि प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने उनकी अपील का निपटान कर दिया है। हालांकि कंपनी को सेबी के आदेश का जवाब देने का मौका भी दिया गया है।

हेराफेरी के बाद कड़ा फैसला, कंपनी को मिला जवाब देने का मौका

सेबी के अंतरिम आदेश के तहत कंपनी और उसके प्रमोटरों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित किया गया था, लेकिन कंपनी को अब इस आदेश का जवाब देने की अनुमति भी मिल गई है।

जेनसोल ने शेयर बाजार को सूचित किया कि प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने उनकी अपील का निपटान कर दिया है। कंपनी को दो सप्ताह के अंदर सेबी के आदेश पर अपना जवाब दाखिल करने का मौका दिया गया है।

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