बिहार सरकार अब राज्य के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थलों को एक नए रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसके तहत बोधगया-गया और राजगीर-नालंदा को ओडिशा के कटक-भुवनेश्वर की तर्ज पर ट्विन सिटी (जुड़वां शहर) के रूप में विकसित किया जाएगा।
पटना: बिहार के आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर मजबूत पहचान दिलाने के लिए राज्य सरकार एक नई पहल पर काम कर रही है। इस दिशा में बोधगया-गयाजी और राजगीर-नालंदा को ट्विन सिटी (जुड़वां शहर) के रूप में विकसित करने की योजना को अंतिम रूप दिया गया है। यह मॉडल ओडिशा के कटक-भुवनेश्वर की तर्ज पर तैयार किया गया है, ताकि इन स्थलों पर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक एक ही यात्रा में दोनों नगरों का भ्रमण सहजता से कर सकें।
पर्यटन विभाग ने इस परियोजना के लिए मास्टर प्लान तैयार करने हेतु एक विशेषज्ञ एजेंसी का चयन कर लिया है। सबसे पहले बोधगया और गयाजी के विकास की प्रक्रिया आरंभ हुई है। इसके तहत आधारभूत संरचना, पर्यटक सुविधाएं, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्थलों को आपस में जोड़ा जाएगा, जिससे समग्र पर्यटन अनुभव बेहतर हो सके।
बोधगया-गया: ध्यान, अध्यात्म और संस्कृति का संगम
गया में विष्णुपद मंदिर और बोधगया में महाबोधि मंदिर जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों को एक कॉरिडोर के जरिए जोड़ने की योजना है। यह कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा और दिव्यता का अनुभव मिल सके। इसके अलावा बोधगया में ‘कलाग्राम’ की स्थापना की जाएगी। यह सांस्कृतिक ग्राम न केवल स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को मंच देगा, बल्कि पर्यटकों को बिहार की जीवंत कला-संस्कृति से रूबरू कराएगा।
बौद्ध धर्म को केंद्र में रखते हुए बोधगया में एक ध्यान एवं अनुभव केंद्र भी स्थापित किया जाएगा, जिसे केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के अंतर्गत लगभग 165 करोड़ की लागत से विकसित किया जा रहा है।
गया घराना और मगध व्यंजनों को मिलेगा मंच
गया की सांगीतिक विरासत को जीवंत करने के लिए 'गया घराना' की प्रस्तुतियों को प्रमोट किया जाएगा। साथ ही मगध अंचल के पारंपरिक व्यंजनों को समर्पित फूड कोर्ट भी बनेंगे, जहां पर्यटक बिहार की प्रामाणिक पाक विरासत का आनंद ले सकेंगे। पर्यटन को और अधिक रोचक बनाने के लिए बोधगया के निकट सिलौंजा में विश्व के सात आश्चर्यों की प्रतिकृतियां स्थापित की जाएंगी। इस परियोजना पर लगभग 14.85 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह स्थल विशेष रूप से युवाओं और बच्चों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।
राजगीर और नालंदा का विकास भी ट्विन सिटी अवधारणा के तहत होगा। एक ओर नालंदा का प्राचीन विश्वविद्यालय ज्ञान और शोध का प्रतीक है, तो दूसरी ओर राजगीर अपनी प्राकृतिक गर्म जलधाराओं और बुद्ध से जुड़ी कथाओं के लिए प्रसिद्ध है। इन दोनों स्थानों को सड़कों, परिवहन और साझा पर्यटन सुविधाओं के माध्यम से आपस में जोड़ा जाएगा।