Chicago

नौतपा 2025: सूर्य देव की कृपा पाने के नौ दिवसीय धार्मिक त्योहार का महत्व और नियम

🎧 Listen in Audio
0:00

हिंदू धर्म में सूर्य देवता को सर्वोच्च माना जाता है। उनके अस्तित्व से ही जीवन का संचार होता है, और उनकी पूजा से मनुष्य को शक्ति, स्वास्थ्य, समृद्धि एवं जीवन में सफलता प्राप्त होती है। इसी कड़ी में ‘नौतपा’ एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक समय है, जो सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ शुरू होता है। इस वर्ष 2025 में नौतपा 25 मई से प्रारंभ होकर 2 जून तक चलेगा। 

नौतपा क्या है और इसका धार्मिक महत्व

नौतपा का शाब्दिक अर्थ है ‘नौ दिनों की तपिश’। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब लगभग नौ दिनों तक तापमान अपने चरम पर पहुंच जाता है। इस अवधि को नौतपा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त करने का उत्तम काल होता है। सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होते हैं, तब उनकी किरणें अधिक तीव्र और प्रभावशाली होती हैं, जो पृथ्वी और जीवों पर गहरा प्रभाव डालती हैं।

हिंदू धर्मशास्त्रों में सूर्य को जीवन दाता कहा गया है। वे ब्रह्मांड के पालनहार हैं, जो हमें ऊर्जा, शक्ति, और जीवन शक्ति प्रदान करते हैं। नौतपा के दौरान सूर्य की आराधना से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। इसे ‘सूर्य उपासना’ का श्रेष्ठ काल माना जाता है।

नौतपा कब से कब तक होता है?

2025 में नौतपा की शुरुआत 25 मई को दोपहर 3 बजकर 15 मिनट से हो रही है और यह 2 जून तक चलेगा। इस अवधि में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं। बाद में सूर्य मृगशिरा नक्षत्र और फिर 15 जून को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। इस नौ दिवसीय तपिश के दौरान सूर्य की ऊर्जा और उनके आशीर्वाद को विशेष रूप से प्राप्त किया जाता है।

नौतपा के दौरान क्या करें? (शुभ कार्य और नियम)

सूर्य देव की पूजा और अर्घ्य देना: प्रतिदिन प्रातः काल सूर्योदय के समय सूर्य को तांबे के लोटे में जल अर्पित करें। इसके साथ लाल फूल, अक्षत (चावल) भी अर्पित करें। सूर्य को जल अर्पित करते समय ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ या ‘ॐ सूर्य देवाय नमः’ मंत्र का जाप करें। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ: नौतपा के दौरान आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ अत्यंत फलदायक होता है। यह स्तोत्र मानसिक बल बढ़ाता है, आत्मविश्वास को मजबूत करता है और रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

सेवा और दान: गर्मियों में जल की अत्यधिक आवश्यकता होती है। इस समय राहगीरों और जरूरतमंदों को जल पिलाना अत्यंत पुण्य का कार्य माना गया है। घर के बाहर प्याऊ लगवाएं या जरूरतमंदों को पानी, छाता, और ठंडी खाद्य सामग्री दान करें। यह सेवा सूर्य देव की प्रसन्नता का मार्ग है।

सात्विक आहार लें: नौ दिनों के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करें। दही, छाछ, लस्सी, बेल का शरबत, तरबूज, खीरा आदि ठंडे और पोषक आहार ग्रहण करें। यह शरीर को ठंडक देता है और ऊर्जा बनाए रखता है।

ध्यान और साधना: नौतपा आत्मशुद्धि का समय भी होता है। इस दौरान सूर्य देव की साधना, ध्यान और उपवास करने से मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं। संयम और धैर्य रखना इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

नौतपा के दौरान क्या न करें? (परहेज)

  • विवाह और मांगलिक कार्यों से बचाव: मान्यता है कि नौतपा के दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह या शुभ आयोजन टालना चाहिए क्योंकि इस समय ग्रह-नक्षत्र की स्थिति यात्रा और नए कामों के लिए शुभ नहीं होती।
  • दोपहर में अनावश्यक बाहर न निकलें: सूर्य की तेज किरणें शरीर के लिए हानिकारक हो सकती हैं, इसलिए दोपहर के समय बाहर निकलने से बचें।
  • मांसाहार, शराब और तीखा भोजन त्यागें: यह सभी चीजें शरीर में गर्मी बढ़ाती हैं और नौतपा के दौरान शरीर पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं।
  • नकारात्मक भावनाओं से बचें: क्रोध, चिड़चिड़ापन और तनाव मानसिक अशांति पैदा करते हैं। इस समय संयमित और शांतिपूर्ण रहना आवश्यक है।
  • दूसरों की मदद करना न भूलें: अगर कोई व्यक्ति आपके दरवाजे पर कुछ मांगने आए तो उसे खाली हाथ न लौटाएं। दान और सेवा से आपको शुभ फल प्राप्त होता है।

नौतपा की पूजा विधि

नौतपा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय होता है जब सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। यह पूजा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती है और सूर्य की कृपा प्राप्त करने का अवसर देती है। यहाँ नौतपा की पूजा विधि को पांच आसान सब-हेडिंग्स में समझाया गया है।

पूजा की तैयारी: सबसे पहले अपने पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें। तांबे या ब्रास का लोटा, जल, लाल फूल, अक्षत (चावल), हल्दी, कुमकुम, धूप, दीपक, और मिश्री या गुड़ इकट्ठा करें। 

सूर्य देव की आराधना के लिए जल अर्पित करना: तांबे के लोटे में साफ जल भरें और उसमें लाल फूल और अक्षत डालें। सुबह सूर्योदय के समय या सुबह 7 से 9 बजे के बीच सूर्य की ओर मुख करके जल से सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते हुए ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ या ‘ॐ सूर्य देवाय नमः’ मंत्र का जाप करें।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ: नौतपा के दौरान सूर्य की पूजा में आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ विशेष शुभ माना जाता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मानसिक शक्ति बढ़ती है और जीवन में स्वास्थ्य व सुख की प्राप्ति होती है।

दीपक और धूप प्रज्वलित करना: पूजा के दौरान घी या तेल का दीपक जलाएं और सूर्य देव की आरती करें। साथ ही धूप भी जलाएं जिससे वातावरण पवित्र होता है। इससे सूर्य की ऊर्जा घर में आती है और नकारात्मकता दूर होती है।

दान और सात्विक भोजन: पूजा के बाद जरूरतमंदों को जल, फल या अन्य वस्तुएं दान करें। यह दान सूर्य की कृपा पाने का एक मार्ग है। इस दौरान हल्का और सात्विक भोजन करें जैसे दही, तरबूज, खीरा और छाछ ताकि शरीर ठंडा और स्वस्थ रहे।

आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ

हे भगवान सूर्य,
आप सृष्टि के रचयिता हैं, पालनकर्ता हैं, और संहारक भी हैं।
आपके प्रकाश से ही यह संसार जीवित है।
आप तेजस्वी हैं, अग्निरूप हैं, और सभी ग्रहों के स्वामी हैं।
आप जीवनदाता हैं, और रोगों का नाश करने वाले हैं।
आप ही दिन और रात का कारण हैं,
आप ही ऋतुओं का निर्माण करते हैं।

हे सूर्यदेव,
आपके बिना संसार अंधकार में चला जाए।
आप अमर हैं, सबके आत्मा में वास करने वाले हैं।
आप ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं।
आपका प्रकाश पापों को जलाकर राख कर देता है।
आप दुखों को दूर करते हैं और सुख का मार्ग दिखाते हैं।

हे आदित्य,
आपके दर्शन मात्र से जीवन में ऊर्जा भर जाती है।
आप बुद्धि, बल और यश देने वाले हैं।
आपको नमस्कार है –
जो लाल कमल जैसे प्रकाशमान हैं,
जो सात घोड़ों वाले रथ पर चलते हैं।

हे प्रभु,
आप हर दिन बिना रुके हमारे लिए चमकते हैं।
हम आपके आभारी हैं।
आप हमारे मन से डर, रोग, चिंता और आलस्य दूर करें।
हमें सफलता, स्वास्थ्य और आत्मबल दें।
हे आदित्य, हमें अपना आशीर्वाद दें।
आपको बार-बार प्रणाम। 

नौतपा 2025 न केवल भौतिक रूप से तपिश का समय है, बल्कि यह आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धि का भी अद्भुत अवसर है। इस दौरान सूर्य देव की उपासना, सेवा और संयम से जीवन में स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि आती है। हमें चाहिए कि हम इस पवित्र समय का सही उपयोग करें, अपने आचार-व्यवहार में सुधार लाएं और सूर्य देव के प्रति आस्था बनाए रखें। इस प्रकार नौतपा के दौरान अपनाए गए उपाय हमें सूर्य देव की कृपा से नवजीवन प्रदान करते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में उजाला फैलाते हैं।

Leave a comment