18 मई को राहु ग्रह मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, और साथ ही मंगल अपनी नीच राशि कर्क में रहेंगे। इस खगोलीय स्थिति को ज्योतिष में 'षडाष्टक योग' कहा जाता है। जब राहु और मंगल इस स्थिति में होते हैं, तो इसे क्रूर ग्रहों का मेल माना जाता है, और यह देश-दुनिया में संघर्ष और उलझन का कारण बन सकता है। साथ ही, यह योग राशिचक्र की तीन राशियों के लिए मुश्किलें भी बढ़ा सकता है। जानें, इन राशियों पर इसका क्या असर होगा और कैसे आप इन समस्याओं से बच सकते हैं।
षडाष्टक योग बनने की स्थिति
षडाष्टक योग तब बनता है जब दो क्रूर ग्रह राहु और मंगल एक-दूसरे से छह भावों में स्थित होते हैं। इसे एक विशेष ज्योतिषीय योग माना जाता है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में संघर्ष और कठिनाइयों का संकेत देता है। इस योग के बनने के कारण जीवन में तनाव, मानसिक उलझन और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
यह योग तब बनता है जब
राहु का अष्टम भाव में मंगल से संबंध: जब राहु और मंगल एक-दूसरे के आठवें और छठे भाव में होते हैं, तो इसे षडाष्टक योग कहा जाता है। यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में संकट और परेशानी का कारण बन सकती है।
मंगल का छठे भाव में राहु से संबंध: इसी प्रकार, मंगल का राहु के छठे भाव में होना भी इसे षडाष्टक योग में बदलता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं
षडाष्टक योग के प्रभाव
षडाष्टक योग एक ज्योतिषीय योग है जो जीवन में संघर्ष और मानसिक तनाव का संकेत देता है। जब राहु और मंगल एक-दूसरे के छह भावों में होते हैं, तो इस योग का निर्माण होता है। इसका असर जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ सकता है।
- कठिन समय: इस योग के प्रभाव में रहने से जीवन में मुश्किलें आ सकती हैं। मानसिक शांति में कमी हो सकती है, जिससे व्यक्ति को मानसिक उलझनों का सामना करना पड़ता है।
- स्वास्थ्य समस्याएं: यह योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। व्यक्ति को सेहत से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- आत्मविश्वास की कमी: व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है, जिससे कार्यक्षेत्र में असफलताएं और परेशानी बढ़ सकती हैं।
- सम्बंधों में तनाव: इस योग के कारण पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों में भी तनाव बढ़ सकता है, जिससे घरेलू जीवन प्रभावित हो सकता है।
मेष राशि
राहु और मंगल का षडाष्टक योग मेष राशि के जातकों के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है। इस योग के प्रभाव से आपकी जीवन में संघर्ष और परेशानियां बढ़ सकती हैं। सबसे बड़ी समस्या आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। जब आपका आत्मविश्वास कमजोर होता है, तो आपके काम में गलतियां हो सकती हैं, खासकर करियर के क्षेत्र में। ऑफिस में सहकर्मियों से नोकझोंक हो सकती है और आपकी मेहनत का उचित मूल्यांकन नहीं हो सकता। इसके अलावा, पारिवारिक जीवन में भी तनाव पैदा हो सकता है, खासकर माता की सेहत को लेकर। आपको वाहन चलाते वक्त भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए भी षडाष्टक योग एक चुनौतीपूर्ण समय ला सकता है। इस योग के प्रभाव से मानसिक तनाव और चिंता बढ़ सकती है। आपको किसी अनजाने भय का सामना करना पड़ सकता है, जो आपको मानसिक शांति से दूर कर सकता है। साथ ही, गुस्से पर काबू रखना भी जरूरी होगा, क्योंकि इस समय आपके गुस्से का असर परिवार और करीबियों के साथ रिश्तों पर पड़ सकता है। यदि आप अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रखेंगे, तो यह आपके रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है।
इस समय कार्यक्षेत्र में भी कुछ परेशानियां आ सकती हैं, क्योंकि काम का दबाव बढ़ सकता है और आपको मेहनत का उचित फल नहीं मिल सकता। इसके अलावा, स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी होगा, क्योंकि शारीरिक और मानसिक स्थिति में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए भी यह षडाष्टक योग चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस समय राहु ग्रह आपके राशि में गोचर करेंगे और मंगल की अष्टम दृष्टि आपके ऊपर रहेगी, जिससे परिस्थितियां विपरीत हो सकती हैं। सबसे बड़ा खतरा धन से संबंधित समस्याओं का हो सकता है। इस समय आपको अपने पैसों और लेन-देन के मामलों में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि धोखा मिलने की संभावना हो सकती है। आपको किसी पर भी अधिक भरोसा करने से बचना चाहिए।
इसके अलावा, स्वास्थ्य के मामले में भी लापरवाही से बचना चाहिए। यदि आप अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखेंगे तो बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। वैवाहिक जीवन में भी तनाव बढ़ सकता है, जिससे रिश्तों में कटाव हो सकता है। इस समय आपको विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि आप अपनी सेहत और रिश्तों को प्राथमिकता दें।
षडाष्टक योग से बचने के उपाय
- हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान जी को संकटमोचन और हनुमान देवता की पूजा से जीवन में मुश्किलों का समाधान मिलता है। हनुमान चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति की मानसिक स्थिति को मजबूत करता है और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है। जब व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत होता है, तो वह किसी भी परेशानी का सामना शांतिपूर्वक कर सकता है। इससे नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।
- भगवान शिव की पूजा: भगवान शिव की पूजा करना एक अत्यंत प्रभावी उपाय है। शिव जी के आशीर्वाद से व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन मिलता है। शिव पूजा से जीवन में आ रही कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है। भगवान शिव की उपासना से न केवल शारीरिक समस्याओं से बचाव होता है, बल्कि यह मानसिक तनाव को भी कम करता है। शिव के आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
- मंगलवार को दान: मंगलवार का दिन खास माना जाता है, खासतौर पर मंगल ग्रह से जुड़ी समस्याओं के लिए। इस दिन दान करने से षडाष्टक योग के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। दान का अर्थ केवल धन देना नहीं होता, बल्कि यह किसी भी प्रकार की मदद करना हो सकता है, जैसे जरूरतमंदों को भोजन देना या उन्हें वस्त्र प्रदान करना। इससे व्यक्ति के कर्मों का पक्ष मजबूत होता है और जीवन में आने वाली समस्याएं कम हो जाती हैं।
- स्वास्थ्य का ध्यान रखें: षडाष्टक योग के प्रभाव से मानसिक और शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है। नियमित व्यायाम, योग और ध्यान से मानसिक शांति और शारीरिक ताकत मिलती है। सेहत के प्रति लापरवाही न बरतें, क्योंकि यह आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावि
18 मई के बाद बनने वाला षडाष्टक योग मेष, कर्क और कुंभ राशियों के लिए कुछ मुश्किलों का कारण बन सकता है। हालांकि, हर समस्या का समाधान होता है। यदि आप सही उपायों को अपनाते हैं तो आप इस समय के प्रभाव से बच सकते हैं। इन राशियों के जातकों को सलाह दी जाती है कि वे मानसिक शांति बनाए रखने के लिए नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें, भगवान शिव की पूजा करें और अपने धन और सेहत से संबंधित मामलों में सतर्क रहें। इस समय के दौरान शांति और संतुलन बनाए रखना जरूरी है।