मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 7 मई से लेकर 8 मई 2025 तक रहेगा। यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। साथ ही, मां लक्ष्मी की कृपा से घर में समृद्धि और धन का वास होता है।
मोहनी एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
मोहनि एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा के लिए समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान मोहिनी रूप धारण किया था, ताकि अमृत को दैत्यों से बचाकर देवताओं को दिलवाया जा सके। मोहिनी का रूप अत्यधिक आकर्षक और मोहक था, जो सबको आकर्षित करता था। इसी कारण से इस दिन को विशेष रूप से मोहिनी रूप की पूजा के रूप में मनाया जाता है।
मोहनि एकादशी का व्रत रखने से भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उनके जीवन में शांति, समृद्धि और सुख लाता है। यह व्रत खास तौर पर उन लोगों के लिए है, जो मानसिक शांति, पापों से मुक्ति और आत्मिक उन्नति की कामना करते हैं। इस दिन उपवास रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा से सभी दुखों का नाश होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव होता है।
व्रत की पूजा विधि
मोहनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक और सही तरीके से करना बेहद महत्वपूर्ण है।
- उपवास रखें: मोहनी एकादशी के दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है। हालांकि, आप इस दिन फलाहार भी कर सकते हैं, जिसमें फल, मेवे और साबूदाना शामिल हो सकते हैं। उपवास रखने से पवित्रता और मानसिक शांति मिलती है। यह एक प्रकार से आत्म-नियंत्रण का साधन भी होता है।
- प्रातः काल स्नान: पूजा से पहले प्रातः काल स्नान करना बहुत जरूरी है, ताकि आप शुद्ध और पवित्र होकर पूजा स्थल पर जाएं। यह शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की पवित्रता लाता है।
- भगवान विष्णु की पूजा: पूजा करते समय भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उन्हें जल, फूल, दीपक, और चंदन अर्पित करें। इस दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें, जो भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है।
- मोहिनी रूप की पूजा: इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की विशेष पूजा की जाती है। पूजा करते समय मोहिनी रूप की पूजा और दीपक जलाना शुभ माना जाता है। भक्त इस दिन विशेष रूप से भगवान से पापों के नाश और मोक्ष की प्रार्थना करते हैं।
- व्रत कथा सुनें: मोहनी एकादशी की पूजा के दौरान व्रत कथा सुनना अत्यंत लाभकारी होता है। यह कथा पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति में मदद करती है। भक्तों को इसे ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए, ताकि इससे उन्हें आशीर्वाद प्राप्त हो।
- दान और पुण्य: इस दिन उपवास रखने के बाद ब्राह्मणों को भोजन और अन्य दान करना शुभ माना जाता है। दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। यह व्रत और पूजा के परिणामों को और अधिक प्रभावी बनाता है।
मोहनी एकादशी का व्रत क्यों रखें?
मोहनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धता मिलती है। इस दिन उपवास करने से न केवल शरीर की शुद्धि होती है, बल्कि मन भी शांत और नियंत्रित रहता है। यह व्रत व्यक्ति को अपने आत्म-संयम को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है और उसकी आंतरिक शक्ति को जागृत करता है। साथ ही, इस व्रत के जरिए व्यक्ति भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करता है, जिससे उसकी आत्मिक उन्नति होती है और जीवन में संतुलन आता है।
इसके अलावा, मोहनी एकादशी का व्रत व्यक्ति को भगवान विष्णु के करीब लाता है, जो सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन विष्णु भगवान के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है, जिससे पापों से मुक्ति प्राप्त होती है और मोक्ष की प्राप्ति की कामना की जाती है। यह व्रत न केवल आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है, जिससे व्यक्ति का हर कार्य सरल और सफल होता है।
मोहनी एकादशी: पूजा मंत्र
मोहनी एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है:
'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'
यह मंत्र भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है और उनके आशीर्वाद से भक्तों के जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। इस मंत्र का जाप पूरे दिन और विशेष रूप से रात्रि में किया जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धता प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे जीवन में किसी भी प्रकार के दुख और परेशानी को दूर किया जा सकता है।
मंत्र जाप के दौरान ध्यान केंद्रित रखना और अपनी भक्ति को समर्पित करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसे नियमित रूप से दोहराने से न केवल भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि इससे मानसिक तनाव और शारीरिक थकावट भी कम होती है। यदि आप मोहनी एकादशी का व्रत कर रहे हैं, तो इस मंत्र का जाप दिन भर करें और अपने जीवन को आंतरिक शांति और सुख-समृद्धि से भरपूर बनाएं।
मोहनी एकादशी पूजा के नियम
मोहनी एकादशी के दिन पूजा करने के कुछ विशेष नियम होते हैं जिन्हें श्रद्धालुओं को पालन करना चाहिए।
- उपवासी रहना: इस दिन व्रति को पूरे दिन उपवासी रहना चाहिए। इसका मतलब है कि सिर्फ पानी पीकर, किसी भी प्रकार का खाना न खाएं। यह उपवास भगवान विष्णु की भक्ति में अपने आप को समर्पित करने का एक तरीका है।
- रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन: मोहनी एकादशी के दिन रात्रि जागरण का आयोजन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भक्तों को रातभर जागकर भजन और कीर्तन में भाग लेना चाहिए। इससे मन और आत्मा को शांति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- भगवान विष्णु की पूजा: पूजा के दौरान भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाना चाहिए और उनका ध्यान करते हुए विशेष पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए, जो भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावशाली तरीका है।
- दान करना: पूजा के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना शुभ माना जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशहाली आती है। यह दान किसी भी रूप में हो सकता है, जैसे पैसे, वस्त्र या खाने-पीने का सामान।
मोहनी एकादशी व्रत की कथा
मोहनी एकादशी की कथा का संबंध देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवता और दानव समुद्र मंथन करते हैं, जिससे अमृत का उद्धारण हुआ। इस अमृत का एक बूंद भी दानवों के हाथ लग गया, और इससे वे अमर हो गए। देवता इस स्थिति से चिंतित हो गए और भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए पहुंचे। भगवान विष्णु ने उन्हें एक विशेष व्रत का पालन करने का सुझाव दिया, जिससे दानवों से अमृत प्राप्त होने से रोका जा सके और देवताओं की सहायता की जा सके। इस व्रत को करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु ने अपनी लीला के तहत मोहनी रूप धारण किया, जो इतना आकर्षक था कि दानव उनके रूप में फँस गए। मोहनी रूप में भगवान विष्णु ने दानवों से अमृत छीनकर देवताओं को दे दिया और इस प्रकार देवताओं की जीत सुनिश्चित की। यह दिन बहुत महत्वपूर्ण बन गया और इसे मोहनी एकादशी के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है, जो पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
मोहनी एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन उपवासी रहकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और रात्रि जागरण में भाग लेना चाहिए। पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति की आत्मिक शुद्धता बढ़ती है और वह मानसिक शांति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है। यह व्रत जीवन में सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति का मार्ग प्रदान करता है।