हर साल, इस वर्ष भी 31 मई 2025 को विश्व तंबाकू निषेध दिवस को देश और दुनिया भर में जागरूकता अभियानों, रैलियों और शैक्षिक कार्यक्रमों के जरिये बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस वर्ष की थीम रही तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की सुरक्षा (Protecting Children from Tobacco Industry Interference)। यह संदेश इस वर्ष और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि डिजिटल माध्यमों के जरिए युवा वर्ग को लक्षित करने की गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं।
क्या है विश्व तंबाकू निषेध दिवस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1987 में की थी, ताकि वैश्विक स्तर पर तंबाकू सेवन के खतरों के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके। वर्ष 1988 में इसे हर साल 31 मई को मनाने का निर्णय लिया गया। यह दिवस तंबाकू से होने वाली स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक हानियों को उजागर करने और इससे निपटने के लिए सरकारों और नागरिकों को प्रेरित करने का कार्य करता है।
2025 की थीम पर केंद्रित रहा फोकस
इस वर्ष का विशेष ध्यान बच्चों और किशोरों को तंबाकू उद्योग से बचाने पर केंद्रित रहा। WHO की रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि तंबाकू कंपनियाँ नए-नए डिज़ाइनों, फ्लेवर, और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं। WHO के महानिदेशक डॉ. टैड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस ने कहा, बच्चों को तंबाकू उद्योग की चपेट में आने से रोकना एक वैश्विक नैतिक जिम्मेदारी है। यह केवल स्वास्थ्य का विषय नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों की सुरक्षा का सवाल है।
तंबाकू से होने वाले खतरे
वर्तमान में, दुनियाभर में प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख लोगों की मौत तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण होती है, जिनमें से करीब 12 लाख मौतें भारत में होती हैं। कैंसर, दिल की बीमारियाँ, स्ट्रोक और फेफड़ों की समस्याएँ इसके मुख्य दुष्परिणाम हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कम उम्र में तंबाकू का सेवन शुरू करने वाले युवा जल्दी इसकी लत का शिकार होते हैं, जिससे उन्हें जीवनभर स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।
भारत सरकार की 2025 की पहल
भारत सरकार ने इस वर्ष फिर से "60 दिन तंबाकू मुक्त युवा अभियान" (60-Day Tobacco-Free Youth Campaign 2025) की शुरुआत की। यह अभियान खासतौर पर 15 से 24 वर्ष के युवाओं को लक्षित करता है। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर चलाया गया यह अभियान राष्ट्रीय स्तर पर तंबाकू के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन बनकर उभरा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस अभियान के मुख्य उद्देश्य रहे:
- युवाओं में तंबाकू की लत की शुरुआत को रोकना,
- सभी शैक्षणिक संस्थानों को तंबाकू मुक्त घोषित करना,
- और परामर्श केंद्रों के माध्यम से तंबाकू छोड़ने वालों को सहायता देना।
वैश्विक प्रयास और WHO का FCTC
WHO द्वारा तैयार किया गया Framework Convention on Tobacco Control (FCTC) अब तक 180 से अधिक देशों द्वारा अपनाया जा चुका है। इसके तहत:
- तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी लेबल अनिवार्य करना,
- सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाना,
- और तंबाकू के विज्ञापनों पर रोक लगाना शामिल है।
WHO का उद्देश्य है कि 2030 तक तंबाकू सेवन में 30% की वैश्विक कटौती सुनिश्चित की जा सके।
युवाओं की भागीदारी
इस वर्ष देशभर के युवाओं ने अभूतपूर्व भागीदारी दिखाई। दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, मुंबई और कोलकाता समेत कई शहरों में नुक्कड़ नाटकों, पोस्टर प्रतियोगिताओं, मैराथन रनों और डिजिटल अभियान के माध्यम से तंबाकू के खिलाफ व्यापक जनजागरण हुआ। कई युवा संगठनों ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की कि ई-सिगरेट, निकोटिन पाउच और हर्बल हुक्का जैसे नए तंबाकू विकल्पों पर भी सख्त नियंत्रण लगाया जाए।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025 एक बार फिर हमें यह याद दिलाने आया कि तंबाकू न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का विषय है, बल्कि एक सामाजिक चुनौती भी है। यह दिवस एक मौका है जागने का — और समाज के हर स्तर पर तंबाकू के खिलाफ एकजुट होने का। सरकारों, स्वास्थ्य संगठनों और नागरिक समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि यह अभियान सिर्फ एक दिन का न रहे, बल्कि 365 दिन का निरंतर प्रयास बने।