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रायगढ़ किला: छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत और मराठा गौरव की पहचान

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भारत के पश्चिमी हिस्से में सह्याद्रि पर्वतों की ऊँचाई पर बसा रायगढ़ का किला न सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक है, बल्कि यह मराठा साम्राज्य के गौरव, पराक्रम और वीरता का प्रतीक भी है। महाराष्ट्र के उत्तर कोंकण क्षेत्र में स्थित यह किला, कभी छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी था। आज भी यह स्थल हजारों पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

रायगढ़ किले का इतिहास: एक वीरता की कहानी

रायगढ़ किले का इतिहास एक बहादुरी और स्वतंत्रता की कहानी है। इस किले का निर्माण पहले चंद्रराव मोरे नामक एक सामंती सरदार ने किया था, और इसे उस समय ‘रायरी’ कहा जाता था। लेकिन 1656 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने चंद्रराव मोरे को हराकर इस किले पर कब्जा कर लिया। उन्होंने इसका नाम बदलकर ‘रायगढ़’ रखा और इसे मराठा साम्राज्य की राजधानी बनाया। शिवाजी महाराज ने इस किले को मजबूत और भव्य बनाया ताकि वह मराठा शक्ति का केंद्र बन सके।

1674 में रायगढ़ किले में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ, जो भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह राज्याभिषेक मुगलों की अनुमति के बिना किया गया था, जो मराठा स्वतंत्रता का प्रतीक था। इसी किले से शिवाजी ने ‘छत्रपति’ की उपाधि धारण की और अपने साम्राज्य की नींव मजबूत की। रायगढ़ किला न केवल एक किला था, बल्कि मराठा साहस और स्वाभिमान का प्रतीक भी था। आज भी यह किला महाराष्ट्र की शान और गौरव का प्रतिनिधि माना जाता है।

किले पर हुए हमले और सत्ता परिवर्तन

शिवाजी महाराज के बाद, 1689 में मुगल सेनापति ज़ुल्फिकार खान ने रायगढ़ किले पर हमला किया और मराठा सेना को हराकर किले पर कब्जा कर लिया। उस समय के मराठा छत्रपति राजाराम भोंसले की सेना को भी पराजित किया गया। इसके बाद मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने इस किले का नाम बदलकर ‘इस्लामगढ़’ रख दिया। लेकिन मराठों ने हार नहीं मानी और कुछ समय बाद फिर से इस किले पर अपना कब्जा जमाया। मराठों ने 1813 तक रायगढ़ किले पर शासन किया और इसे अपनी ताकत का केंद्र बनाया।

1818 में अंग्रेजों ने तोपों की मदद से इस किले पर बड़ा हमला किया और अंततः रायगढ़ को जीत लिया। अंग्रेजों ने किले को लूटा और इसे काफी नुकसान पहुंचाया। किले की मजबूत और ठोस बनावट देखकर अंग्रेजों ने इसकी तुलना भूमध्य सागर के प्रसिद्ध जिब्राल्टर से की और इसे ‘पूर्व का जिब्राल्टर’ कहा। रायगढ़ किले की यह कहानी भारतीय इतिहास में वीरता, संघर्ष और सत्ता परिवर्तन की एक महत्वपूर्ण दास्तान है।

वास्तुकला: भव्यता और रणनीतिक कुशलता का मेल

रायगढ़ किला सिर्फ इतिहास में ही नहीं, बल्कि उसकी वास्तुकला में भी एक खास जगह रखता है। जब छत्रपति शिवाजी ने इस किले को अपने कब्जे में लिया, तब उन्होंने इसे मजबूत और सुंदर बनाने के लिए प्रसिद्ध वास्तुकार हिरोजी इंदुलकर की मदद ली। इस किले में कई ऐसी इमारतें और संरचनाएं हैं जो उस समय की भव्यता और रणनीति दोनों को दर्शाती हैं।

शाही महल और रानियों का आवास (रनिवास): किले के अंदर राजा और रानियों के रहने के लिए शाही महल बनाए गए थे। रानियों के लिए अलग से जो कमरे बनाए गए थे, उन्हें रनिवास कहा जाता है। ये कमरे आज भी पुराने ज़माने की कहानियाँ सुनाते हैं, हालांकि इनकी हालत अब कुछ खराब हो चुकी है। ये स्थान उस समय की शाही जीवनशैली का परिचय देते हैं।

शाही टकसाल और बाजार: किले के अंदर लगभग एक मील लंबा बाजार था जहाँ व्यापारी अपने सामान बेचते थे। इस बाजार में शाही मुद्रा की टकसाल भी थी, जहाँ सिक्के बनाए जाते थे। यह बाजार उस समय के आर्थिक जीवन का केंद्र था और व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण था।

महा दरवाजा: किले का मुख्य प्रवेश द्वार महा दरवाजा बहुत ऊँचा और भव्य है। इसकी ऊँचाई लगभग 20 मीटर है। इस दरवाजे की विशालता और मजबूती देखकर हर कोई प्रभावित हो जाता है। यह दरवाजा किले की सुरक्षा और शान का प्रतीक था।

पालकी दरवाजा: रानियों के लिए एक अलग और सुरक्षित प्रवेश द्वार भी बनाया गया था, जिसे पालकी दरवाजा कहा जाता है। इस दरवाजे से रानियाँ आराम से और सुरक्षित तरीके से किले में आती-जाती थीं। यह दर्शाता है कि उस समय महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान का विशेष ध्यान रखा जाता था।

धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल

रायगढ़ किले के भीतर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कई स्थल मौजूद हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है जगदीश्वर मंदिर, जिसे शिव मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसकी पूजा श्रद्धालु आज भी श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि किले के इतिहास और संस्कृति का भी एक अहम हिस्सा है।

इसके अलावा, किले के पास गंगा सागर नामक एक बड़ा कृत्रिम जलाशय भी है। यह जलाशय न केवल किले के लिए पानी का मुख्य स्रोत था, बल्कि किले की प्राकृतिक सुंदरता को भी बढ़ाता था। गंगा सागर में किले की भव्यता का प्रतिबिंब साफ़ दिखाई देता है, जिससे यह स्थल और भी आकर्षक और मनमोहक बन जाता है। ये धार्मिक और प्राकृतिक स्थल रायगढ़ किले की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं।

शिवाजी की समाधि और टकमक टोक

1680 में जब शिवाजी महाराज का निधन हुआ, तो उनकी समाधि भी रायगढ़ किले में ही बनवाई गई। यह स्थान उनके सम्मान और वीरता को याद रखने के लिए खास माना जाता है। समाधि के पास उनकी एक सुंदर बैठी हुई मूर्ति भी स्थापित है, जो शिवाजी महाराज की शौर्यगाथा और उनके आदर्शों को दर्शाती है। यहाँ आने वाले लोग उनकी वीरता और महानता को महसूस कर सकते हैं।

रायगढ़ किले का एक और डरावना लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा है टकमक टोक। यह वह जगह थी जहाँ अपराधियों को सजा दी जाती थी। यहाँ से कैदियों को गहरी खाई में फेंक दिया जाता था, जिससे उनकी मौत हो जाती थी। टकमक टोक का दृश्य आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देता है और यह किले की कड़क सजा और कठोर नियमों की याद दिलाता है।

वीरता की मिसाल: हीराकणी बुर्ज

रायगढ़ किले की दीवारों से जुड़ी एक बहुत ही मशहूर लोककथा है, जो वीरता और मातृत्व की मिसाल बन गई है। गाँव की एक साधारण महिला, हीराकणी, रोजाना दूध बेचने के लिए किले आती थी। एक बार सूर्यास्त के बाद किले के द्वार बंद हो गए, और वह किले के अंदर ही फंस गई। अपनी दूधमुंही बच्ची की चिंता में, उसने हिम्मत दिखाते हुए खड़ी चट्टान से नीचे उतरने का साहस किया ताकि वह अपनी बच्ची के पास पहुंच सके।

हीराकणी की इस बहादुरी और मातृत्व प्रेम से प्रभावित होकर शिवाजी महाराज ने उस खास जगह पर ‘हीराकणी बुर्ज’ बनवाया। यह बुर्ज उस महिला की अदम्य हिम्मत और समर्पण की याद दिलाता है। आज भी यह बुर्ज उस कहानी की मिसाल बनकर किले की शोभा बढ़ाता है और आने वाले लोगों को साहस का संदेश देता है।

भवानी टोक और रायगढ़ संग्रहालय

रायगढ़ किले के पूर्वी छोर पर स्थित भवानी टोक एक बहुत ही महत्वपूर्ण और रहस्यमयी स्थान है। कहा जाता है कि मराठा राजा राजाराम भोंसले ने मुगल सेना के बड़े हमले के दौरान इसी गुप्त रास्ते का इस्तेमाल करके बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई थी। यह मार्ग इतना छिपा और सुरक्षित था कि दुश्मन सेना उसे खोज भी नहीं पाई। इसलिए भवानी टोक को मराठा वीरता और चतुराई का प्रतीक माना जाता है।

रायगढ़ किले से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित रायगढ़ संग्रहालय भी इतिहास प्रेमियों के लिए खास जगह है। यहाँ मराठा साम्राज्य से जुड़े अनेक पुराने हथियार, चित्र, दस्तावेज और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं रखी गई हैं। यह संग्रहालय उस युग की कहानी बयान करता है और मराठा साम्राज्य की महानता को जीवित रखता है। जो लोग इतिहास और संस्कृति में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह संग्रहालय एक अनमोल खजाना है।

रायगढ़ क्यों है एक यात्रा के लायक जगह?

रायगढ़ घूमने जाने के कई शानदार कारण हैं। सबसे पहले, यहाँ आप छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उनके शासन के बारे में करीब से जान सकते हैं। यह वही किला है जहां शिवाजी महाराज ने अपनी ताकत और वीरता का परिचय दिया और मराठा साम्राज्य की नींव रखी। इतिहास के शौकीनों के लिए यह जगह बेहद खास है।

इसके अलावा, रायगढ़ का प्राकृतिक सौंदर्य और पहाड़ी रास्ते ट्रैकिंग के शौकीनों को एक अद्भुत अनुभव देते हैं। किले की भव्य वास्तुकला और चारों तरफ हरियाली आपको एक अनोखा एहसास कराती है। यदि आपको पुराने किलों और इतिहास में रुचि है, तो रायगढ़ आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है, जहां आप इतिहास और प्रकृति दोनों का आनंद ले सकते हैं।

रायगढ़ किला न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि मराठा वीरता, संस्कृति और वास्तुकला का जीवंत उदाहरण भी है। यहां की कहानियां, भव्य संरचनाएं और प्राकृतिक सुंदरता हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। इतिहास और साहस के प्रेमियों के लिए रायगढ़ एक अविस्मरणीय यात्रा स्थल है।

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