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आंखों की रोशनी जाने के 5 मुख्य कारण और बचाव के उपाय

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हमारी आंखें हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो हमें दुनिया की सुंदरता दिखाती हैं और रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाती हैं। लेकिन समय के साथ या कुछ कारणों से आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है या पूरी तरह जा भी सकती है, जिससे व्यक्ति को अंधापन का सामना करना पड़ सकता है। अंधापन या दृष्टि में कमी के कई कारण होते हैं, जिनमें से कुछ बीमारी से जुड़े होते हैं तो कुछ हमारे जीवनशैली से संबंधित। 

मोतियाबिंद – आंखों का धुंधलापन

मोतियाबिंद आंखों की एक आम बीमारी है, जो खासकर बुजुर्गों में ज्यादा होती है। इसमें आंखों के लेंस का पारदर्शी हिस्सा धुंधला हो जाता है, जिससे सामने की चीजें साफ दिखना मुश्किल हो जाता है। शुरुआत में हल्की धुंधलापन महसूस होता है, लेकिन समय के साथ यह बढ़ता चला जाता है और देखने की क्षमता कम हो जाती है। अगर इसे समय पर सही इलाज न मिले तो नजर पूरी तरह खत्म भी हो सकती है। मोटियाबिंद से बचाव के लिए धूम्रपान से दूर रहना बहुत जरूरी है क्योंकि धूम्रपान आंखों को नुकसान पहुंचाता है और इस बीमारी को बढ़ावा देता है। साथ ही, नियमित आंखों की जांच कराते रहना और विटामिन सी, विटामिन ई से भरपूर फल और सब्जियां खाना मददगार होता है। आंखों की सुरक्षा के लिए धूप में चश्मा पहनना भी जरूरी है।

कैसे बचें:

  • नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं ताकि शुरुआती लक्षण पकड़े जा सकें।
  • विटामिन सी और विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं, जो आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
  • धूप में बाहर निकलते समय यूवी किरणों से बचने के लिए धूप का चश्मा पहनें।
  • धूम्रपान से बचें क्योंकि यह आंखों की बीमारी को बढ़ावा देता है।

ग्लूकोमा  – आंखों की ऑप्टिक नर्व की बीमारी

ग्लूकोमा आंखों की एक गंभीर बीमारी है जिसमें आंख के अंदर का दबाव बढ़ जाता है। इस बढ़े हुए दबाव से ऑप्टिक नर्व, जो आंखों से मस्तिष्क तक देखने का संदेश भेजता है, को नुकसान होता है। जब ऑप्टिक नर्व खराब हो जाता है, तो धीरे-धीरे नजर कमजोर होने लगती है और अगर समय पर इलाज न किया जाए तो अंधापन भी हो सकता है। ग्लूकोमा की खास बात यह है कि शुरू में इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते, इसलिए इसे “दृष्टि का चोर” भी कहा जाता है। इसलिए आंखों की नियमित जांच बहुत जरूरी है ताकि इस बीमारी को जल्दी पकड़ा जा सके और सही इलाज हो सके।

कैसे बचें:

  • नियमित रूप से आंखों का दबाव जांचवाएं।
  • ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।
  • धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और तनाव कम करें।

डायबिटिक रेटिनोपैथी  – मधुमेह से आंखों का नुकसान

डायबिटिक रेटिनोपैथी एक ऐसी बीमारी है जो मधुमेह के मरीजों में बहुत आम होती है। इस बीमारी में आंखों के रेटिना की छोटी-छोटी रक्त वाहिकाएं खराब हो जाती हैं, जिससे आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। अगर ब्लड शुगर का सही नियंत्रण न हो तो यह समस्या जल्दी बढ़ सकती है और आखिरी में अंधापन भी हो सकता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए अपनी आंखों की नियमित जांच बहुत जरूरी होती है। साथ ही, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना, हेल्दी खाना, और नियमित व्यायाम करना आंखों की सेहत के लिए जरूरी है। समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर उचित इलाज करवाना इस बीमारी से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।

कैसे बचें:

  • ब्लड शुगर को नियमित रूप से नियंत्रित रखें।
  • हेल्दी डाइट अपनाएं और शुगर के सेवन में सावधानी बरतें।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • समय-समय पर आंखों की जांच कराते रहें ताकि समस्या जल्दी पकड़ी जा सके।

मैक्युलर डिजनरेशन  – उम्र से जुड़ी आंखों की समस्या

मैक्युलर डिजनरेशन एक ऐसी बीमारी है जो उम्र बढ़ने के साथ होती है और खासतौर पर 50 साल से ऊपर के लोगों को प्रभावित करती है। इस बीमारी में आंख के रेटिना के बीच वाले हिस्से, जिसे मैक्युला कहते हैं, को नुकसान पहुंचता है। मैक्युला हमारे देखने की क्षमता का मुख्य हिस्सा होता है, इसलिए जब यह खराब होता है तो बीच की दृष्टि कमजोर हो जाती है। इसके कारण व्यक्ति के लिए चेहरे की पहचान करना, पढ़ना या छोटी-छोटी चीजें देखना मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी से बचने के लिए हरी सब्जियां और फल ज्यादा खाने चाहिए, जो आंखों के लिए जरूरी पोषण देते हैं। साथ ही धूम्रपान से बचना और नियमित आंखों की जांच कराना बहुत जरूरी है ताकि समय रहते इलाज किया जा सके।

कैसे बचें:

  • हरी सब्जियां और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर भोजन करें।
  • धूम्रपान से पूरी तरह बचें क्योंकि यह इस बीमारी को बढ़ावा देता है।
  • नियमित आंखों की जांच कराएं।
  • विटामिन A, C, E और ज़िंक की पूर्ति रखें।

आनुवांशिक कारण और जीवनशैली 

कुछ लोगों की आंखों की कमजोरी उनके परिवार में होने वाली आनुवांशिक समस्याओं की वजह से होती है, जिसे जेनेटिक्स कहते हैं। यानी अगर आपके परिवार में किसी को आंखों की बीमारी है, तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है। इसके अलावा, आजकल की आधुनिक जीवनशैली भी आंखों के लिए हानिकारक हो रही है। बहुत ज्यादा मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी स्क्रीन के सामने बैठना, खराब खानपान, नींद की कमी और धूम्रपान जैसी आदतें आंखों की सेहत को कमजोर कर देती हैं। इसलिए अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए स्क्रीन टाइम को कम करना, संतुलित आहार लेना, अच्छी नींद लेना और धूम्रपान से बचना बहुत जरूरी है। इससे आपकी आंखें मजबूत रहेंगी और दृष्टि बनी रहेगी।

कैसे बचें:

  • स्क्रीन टाइम को सीमित करें और हर 20 मिनट में आंखों को आराम दें।
  • विटामिन A, ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें।
  • रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
  • धूम्रपान और शराब से बचें।
  • आंखों की नियमित जांच कराएं, खासकर अगर परिवार में किसी को आंखों की बीमारी हो।

आंखों की देखभाल कैसे करें?

  • रोजाना आंखों को पर्याप्त आराम दें और स्क्रीन पर लगातार न देखें।
  • आंखों की सुरक्षा के लिए धूप में अच्छे क्वालिटी के चश्मे पहनें।
  • आंखों की सफाई का खास ध्यान रखें।
  • हेल्दी डाइट लें जिसमें फल, हरी सब्जियां, नट्स और मछली शामिल हो।
  • नियमित व्यायाम करें और तनाव कम करें।
  • अगर आंखों में जलन, लालिमा या धुंधलापन महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

आंखों की रोशनी हमारे जीवन की एक अनमोल दौलत है, जिसे हमें हर हाल में बचाना चाहिए। मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी, मैक्युलर डिजनरेशन और आनुवांशिक व जीवनशैली के कारण आंखों की रोशनी जाने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन सही समय पर जांच, उचित खानपान और स्वस्थ आदतें अपनाकर हम इन समस्याओं से बच सकते हैं। इसलिए अपनी आंखों का ख्याल रखें और नियमित जांच कराते रहें ताकि आपकी नजर हमेशा तेज और स्वस्थ बनी रहे।

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