स्टमक कैंसर (Gastric Cancer) एक खतरनाक बीमारी है, जो अक्सर बिना किसी शुरुआती संकेत के धीरे-धीरे शरीर में फैलती है। इसकी पहचान देर से होने पर इलाज कठिन हो जाता है। लेकिन यदि सही समय पर स्क्रीनिंग कराई जाए, तो इस बीमारी से जान बचाई जा सकती है। यह लेख आपको स्टमक कैंसर के कारण, लक्षण, जोखिम और स्क्रीनिंग की महत्ता के बारे में सरल भाषा में बताएगा।
स्टमक कैंसर क्या है और क्यों है यह इतना खतरनाक?
स्टमक कैंसर, जिसे मेडिकल भाषा में गैस्ट्रिक कैंसर कहा जाता है, पेट की अंदरूनी परत (lining) में शुरू होता है। यह एक धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है, जो कई बार वर्षों तक बिना लक्षण के बढ़ता रहता है। जब तक इसके लक्षण स्पष्ट होते हैं, तब तक यह गंभीर स्थिति में पहुंच सकता है। यही वजह है कि समय पर पहचान न हो पाने से इलाज में मुश्किलें आती हैं।
स्टमक कैंसर के देर से दिखने वाले लक्षण
इस बीमारी के शुरुआती लक्षण दूसरी सामान्य पेट की समस्याओं जैसे ही होते हैं, जिससे अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं। लेकिन यदि नीचे दिए गए लक्षण लगातार बने रहें, तो डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी है:
- बार-बार भूख न लगना या अचानक वजन घट जाना
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, भारीपन या असहजता
- जल्दी पेट भर जाना, बिना ज्यादा खाए
- सीने में जलन, अपच की समस्या
- मल में खून आना या गहरे रंग का मल
- खून की कमी (एनीमिया)
- त्वचा और आंखों में पीलापन (यदि कैंसर लिवर तक फैल गया हो)
किन लोगों में स्टमक कैंसर का खतरा ज्यादा है?
कुछ लोग इस बीमारी के High-Risk Group में आते हैं, जिन्हें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। जैसे:
- जिनके परिवार में पहले किसी को स्टमक कैंसर हो चुका है
- जो लोग लंबे समय से स्मोकिंग या अत्यधिक शराब का सेवन कर रहे हैं
- H. pylori नामक बैक्टीरिया से संक्रमित लोग
- मोटापे से ग्रसित या शारीरिक रूप से निष्क्रिय लोग
- इन सभी को डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर स्क्रीनिंग करानी चाहिए।
एंडोस्कोपी: समय पर पहचान का असरदार तरीका
स्टमक कैंसर की पहचान के लिए एंडोस्कोपी (Gastrocopy) सबसे भरोसेमंद जांच मानी जाती है। इसके जरिए डॉक्टर पेट के अंदरूनी हिस्से को सीधे देख सकते हैं और किसी भी असामान्यता का तुरंत पता लगा सकते हैं। जापान और कोरिया जैसे देशों में स्टमक कैंसर के मामले ज्यादा होते हैं, इसलिए वहां 50 वर्ष की उम्र के बाद हर 2-3 साल में एंडोस्कोपी कराई जाती है। इससे वहां मृत्यु दर में भी कमी आई है।
भारत में स्क्रीनिंग और जागरूकता क्यों है जरूरी?
भारत में स्टमक कैंसर के लिए कोई बड़ा राष्ट्रीय स्क्रीनिंग प्रोग्राम नहीं है। लेकिन रिसर्च में यह पाया गया है कि यदि हाई-रिस्क ग्रुप के लोगों में समय रहते एंडोस्कोपिक जांच कराई जाए, तो मृत्यु दर 30% तक घटाई जा सकती है। इसलिए भारत में भी लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।
स्टमक कैंसर से बचाव में समय पर जांच की भूमिका
गैस्ट्रिक कैंसर का सबसे बड़ा खतरा इसकी पहचान में देरी है। यदि सही समय पर स्क्रीनिंग कराई जाए तो न केवल बीमारी की शुरुआती अवस्था में इलाज संभव है, बल्कि जान भी बचाई जा सकती है। जागरूकता ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।