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हीटवेव में अस्थमा के मरीज रहें सावधान: गर्मियों में फेफड़ों की ऐसे करें सुरक्षा

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गर्मियों का मौसम अस्थमा के रोगियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर जब हीटवेव और प्रदूषण का असर ज्यादा हो। गर्मी का असर अस्थमा के मरीजों पर ज्यादा पड़ता है क्योंकि शुष्क गर्मी, प्रदूषण और एलर्जी उनके लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। यहां हम जानते हैं कि हीटवेव अस्थमा को कैसे प्रभावित करती है और आप इस मौसम में अपने फेफड़ों को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं।

अस्थमा: सांस से जुड़ी एक  गंभीर बीमारी

अस्थमा एक लंबी चलने वाली (क्रॉनिक) सांस की बीमारी है, जिसमें हमारी फेफड़ों की नलिकाएं संकरी और सूजन वाली हो जाती हैं। इससे हवा का प्रवाह रुकता है और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। अस्थमा का असर धीरे-धीरे बढ़ता है और कभी-कभी अचानक अटैक की तरह भी आ सकता है। इसके लक्षणों में सांस फूलना, सीने में जकड़न, खांसी और सांस लेते समय घरघराहट की आवाज शामिल हैं।

अस्थमा होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे – वातावरण में प्रदूषण, धूल-मिट्टी, धुआं, पालतू जानवरों के बाल, मौसम में अचानक बदलाव या पारिवारिक इतिहास। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों में इसका खतरा ज्यादा होता है। हालांकि डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सही जानकारी और समय पर इलाज से अस्थमा को पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है।

हीटवेव और अस्थमा के बीच संबंध

गर्मियों के दौरान अस्थमा के रोगियों को हीटवेव से कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। गर्मी बढ़ने से हवा शुष्क हो जाती है, जिससे श्वसन मार्ग में सूजन और जलन हो सकती है। साथ ही, जब शरीर में पानी की कमी होती है (डिहाइड्रेशन), तो फेफड़ों में मौजूद बलगम गाढ़ा हो जाता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। इस स्थिति के कारण अस्थमा के दौरे का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण भी अस्थमा के लक्षणों को और बढ़ा सकता है। इन सभी कारणों से गर्मियों में अस्थमा के रोगियों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।

अस्थमा के लक्षण और संकेत 

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ों की नलिकाएं संकुचित हो जाती हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसके लक्षण धीरे-धीरे भी आ सकते हैं और कभी-कभी अचानक भी बढ़ सकते हैं। इस बीमारी के कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं – सांस लेने में परेशानी, खासकर दौड़ने या सीढ़ियां चढ़ने पर, सीने में भारीपन या जकड़न, और बार-बार खांसी आना, जो ज़्यादातर रात या सुबह के समय होती है। इसके अलावा, सांस लेते समय घरघराहट की आवाज भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।

हर व्यक्ति में लक्षण अलग हो सकते हैं और मौसम, एलर्जी या प्रदूषण से ये बढ़ सकते हैं। अगर आपको या किसी अपने को बार-बार ये समस्याएं हो रही हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह अस्थमा की ओर इशारा हो सकता है। समय रहते डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है, ताकि इलाज शुरू किया जा सके और आगे चलकर स्थिति गंभीर न बने। अस्थमा को कंट्रोल करना संभव है, बस सही जानकारी और सावधानी की जरूरत होती है।

गर्मियों में अस्थमा से बचाव के उपाय

  • घर में रहें और बाहर कम जाएं: गर्मी के समय बाहर जाने से बचें, खासकर दोपहर के समय, जब तापमान उच्च होता है। अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो सुबह जल्दी या शाम को जाएं जब तापमान कम हो। घर में ठंडक बनाए रखने के लिए पर्दे या ब्लाइंड्स का उपयोग करें, जिससे सूर्य की गर्मी घर के अंदर न पहुंचे।
  • घर में ठंडा वातावरण बनाए रखें: घर में ठंडक बनाए रखने के लिए पंखे, एयर कंडीशनर, या ठंडे शावर का इस्तेमाल करें। इससे आप गर्मी से राहत पा सकते हैं और अस्थमा के लक्षणों से बच सकते हैं। इसके अलावा, अगर आप धूल और प्रदूषण से बचना चाहते हैं तो एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। यह हवा को साफ रखता है और एलर्जी को कम करता है।
  • काफी पानी पिएं: गर्मियों में पानी का सेवन बहुत जरूरी है। दिनभर पानी पीते रहें, भले ही आपको प्यास न लगे। जब शरीर हाइड्रेटेड रहता है, तो वायुमार्ग में बलगम गाढ़ा नहीं होता, जिससे सांस लेने में आसानी रहती है। पानी पीने से शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है। 
  • AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) की निगरानी करें: प्रदूषण का असर भी अस्थमा पर पड़ सकता है, इसलिए आपको हवा की गुणवत्ता पर नजर रखना जरूरी है। AQI इंडिया, SAFAR-Air जैसे ऐप्स का उपयोग करके आप प्रदूषण का स्तर चेक कर सकते हैं। जब हवा में प्रदूषण ज्यादा हो, तो बाहर जाने से बचें। इसके बजाय, घर के अंदर ही समय बिताएं और एसी या एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
  • चिकित्सक से परामर्श लें: गर्मियों की शुरुआत से पहले अपने डॉक्टर से अपनी दवाओं के बारे में सलाह लें। डॉक्टर आपकी दवाओं की खुराक या प्रकार में बदलाव कर सकते हैं, जिससे आप अधिक गंभीर अस्थमा हमलों से बच सकें। नियमित चेकअप से आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं और जरूरी बदलाव कर सकते हैं।
  • मास्क पहनें या स्कार्फ का उपयोग करें: बाहर जाते वक्त मास्क पहनें, खासकर अगर आप शहर में हैं, जहां प्रदूषण ज्यादा हो। N95 मास्क आपके फेफड़ों को प्रदूषण और एलर्जी से बचाता है। इसके अलावा, हल्का सूती स्कार्फ भी नाक और मुंह को सुरक्षित रख सकता है।
  • व्यायाम के समय का ध्यान रखें: गर्मी में धूप में व्यायाम करने से बचें। अगर आप व्यायाम करते हैं, तो इसे सुबह जल्दी करें या फिर घर के अंदर करें। गर्मी में बाहर जाकर शारीरिक गतिविधि करने से शरीर पर अधिक दबाव पड़ सकता है, जिससे अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं।
  • घर में एलर्जी का प्रबंधन करें: घर में एलर्जी को नियंत्रित करना भी जरूरी है। नियमित रूप से बिस्तर और कालीन को साफ करें, ताकि धूल और एलर्जी से बचा जा सके। HEPA फ़िल्टर वाले वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें। इनडोर पौधों से बचें जो फफूंद और पराग उत्पन्न करते हैं, क्योंकि ये अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।

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