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भारत-UK FTA से टेक्सटाइल एक्सपोर्ट को नई रफ्तार: अगले 5-6 वर्षों में दोगुना हो सकता है व्यापार – ICRA रिपोर्ट

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भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हाल ही में पूर्ण हुआ Free Trade Agreement (FTA) भारतीय परिधान (Apparel) और होम टेक्सटाइल (Home Textiles) उद्योग के लिए बड़े अवसर प्रस्तुत करता है। ICRA की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता लागू होने के बाद अगले 5 से 6 वर्षों में भारत का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट दोगुना हो सकता है।

FTA लागू होने से प्रतिस्पर्धा में मिलेगी मजबूती

यह द्विपक्षीय समझौता 6 मई 2025 को तीन वर्षों की बातचीत के बाद अंतिम रूप में आया है और 2026 में प्रभावी होने की संभावना है, जो वर्तमान में विधिक समीक्षा के अधीन है। इसके तहत, यूके भारत से निर्यात किए जाने वाले लगभग 99% उत्पादों पर आयात शुल्क समाप्त कर देगा। इस कदम से भारतीय टेक्सटाइल उत्पाद वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के समकक्ष आ जाएंगे।

वर्तमान में UK, भारतीय टेक्सटाइल उत्पादों पर 8% से 12% तक का इम्पोर्ट ड्यूटी लगाता है, जिससे भारतीय वस्त्र वहां महंगे हो जाते हैं। FTA के प्रभाव में आते ही भारत को UK बाजार में ड्यूटी-फ्री एक्सेस मिल सकेगा—वैसे ही जैसे बांग्लादेश, वियतनाम और पाकिस्तान को पहले से मिल रहा है।

UK में भारतीय टेक्सटाइल की बढ़ती उपस्थिति

2024 में, भारत ने UK को लगभग $1.4 बिलियन मूल्य के टेक्सटाइल और होम टेक्सटाइल उत्पाद निर्यात किए, जो कि UK के कुल टेक्सटाइल आयात का 6.6% हिस्सा था। वर्तमान में UK भारत का 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और टेक्सटाइल आयात में भारत पांचवें स्थान पर आता है।

ICRA का अनुमान है कि 2024 से 2027 के बीच UK में भारत की टेक्सटाइल बाजार हिस्सेदारी 11% से 12% तक पहुंच सकती है, जो कि 11% की वार्षिक संयुक्त वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा में समान स्तर की सुविधा

अभी UK के टेक्सटाइल आयात में प्रमुख देश हैं:

चीन – 25%

बांग्लादेश – 22%

तुर्की – 8%

पाकिस्तान – 6.8%

FTA लागू होने के बाद, भारत को भी इन देशों के समान टैरिफ-फ्री लाभ प्राप्त होगा, जिससे उत्पादन क्षमता और निवेश के नए अवसर सामने आएंगे।

India-UK Free Trade Agreement भारतीय टेक्सटाइल और होम टेक्सटाइल सेक्टर के लिए एक रणनीतिक अवसर प्रदान करता है। आयात शुल्क समाप्त होने से जहां लागत में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा, वहीं एक्सपोर्ट वॉल्यूम में संभावित वृद्धि से भारत वैश्विक टेक्सटाइल सप्लाई चेन में और अधिक मजबूत स्थिति में आ सकता है।

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