भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू किया है। 33 देशों में भारतीय सांसदों की टीम जाएगी और ऑपरेशन सिंदूर व पहलगाम हमले की जानकारी साझा कर पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करेगी।
Operation-Sindoor: पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न सिर्फ देश की सुरक्षा व्यवस्था को सतर्क किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत ने अपनी रणनीति बदलने का संकेत दे दिया। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए सांसदों और वरिष्ठ राजनयिकों का एक विशेष प्रतिनिधिमंडल 33 देशों के दौरे पर भेजने का निर्णय लिया है।
इस डेलीगेशन का उद्देश्य केवल हमले की जानकारी देना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझाना है कि पाकिस्तान किस तरह आतंकवाद को शह दे रहा है और विश्व शांति के लिए खतरा बन चुका है।
सात हिस्सों में बंटी डेलीगेशन टीम, दौरा 23 मई से शुरू
विदेश मंत्रालय की देखरेख में इस प्रतिनिधिमंडल को सात अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक समूह विभिन्न क्षेत्रों के देशों का दौरा करेगा। इस दौरे की शुरुआत 23 मई 2025 से होगी और यह अभियान 3 जून 2025 तक चलेगा।
टीम में संसद के विभिन्न दलों के सांसदों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय के अनुभवी और सेवानिवृत्त राजनयिकों को भी शामिल किया गया है, ताकि भारत की बात वैश्विक स्तर पर प्रभावी तरीके से रखी जा सके।
चीन, तुर्की और अजरबैजान को दौरे से किया गया बाहर
डेलीगेशन जिन देशों का दौरा करेगा, उनकी सूची में चीन, तुर्की और अजरबैजान जैसे देश शामिल नहीं हैं। इसका स्पष्ट संकेत यह है कि भारत अब उन देशों से संवाद नहीं करेगा जो भारत की सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी करते हैं या फिर पाकिस्तान का परोक्ष समर्थन करते हैं।
पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों के नेताओं से सीधे बात की थी, लेकिन चीन को इस लिस्ट से बाहर रखा गया था। इसी तरह विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भी पाकिस्तान और सोमालिया को छोड़कर सभी अस्थायी यूएनएससी सदस्य देशों से संपर्क किया था।
इन देशों का होगा दौरा: UNSC और OIC प्रमुख लक्ष्य
भारतीय डेलीगेशन विशेष तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी और अस्थायी सदस्य देशों पर फोकस करेगा। इसके साथ ही OIC (Organization of Islamic Cooperation) के उन देशों से भी सीधा संवाद किया जाएगा, जो भारत के परंपरागत मित्र रहे हैं।
स्थायी सदस्य जिनका दौरा होगा:
- अमेरिका
- फ्रांस
- ब्रिटेन
- रूस
(चीन को छोड़कर)
अस्थायी सदस्य जिनका दौरा होगा:
- डेनमार्क
- दक्षिण कोरिया
- सिएरा लियोन
- गुयाना
- पनामा
- स्लोवेनिया
- ग्रीस
- अल्जीरिया
(पाकिस्तान और सोमालिया को छोड़कर)
OIC देश जिनका दौरा होगा:
- सऊदी अरब
- कुवैत
- बहरीन
- कतर
- यूएई
- इंडोनेशिया
- मलेशिया
- मिस्र
डेलीगेशन की टीम किस-किस देश जाएगी?
भारतीय प्रतिनिधिमंडल को क्षेत्रीय आधार पर विभाजित किया गया है। सभी सात टीमों का यात्रा कार्यक्रम इस प्रकार है:
- बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब और अल्जीरिया
- फ्रांस, इटली, डेनमार्क, ब्रिटेन, बेल्जियम और जर्मनी
- जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया
- संयुक्त राष्ट्र, कांगो, सिएरा लियोन और लाइबेरिया
- गुयाना, पनामा, कोलंबिया, ब्राजील और यूएई
- रूस, स्लोवेनिया, ग्रीस, लाटविया और स्पेन
- कतर, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया और मिस्र
विपक्ष भी हुआ शामिल, लेकिन कुछ असहमतियां बनी रहीं
इस डेलीगेशन में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ-साथ कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), डीएमके सहित कई विपक्षी दलों के सांसदों को भी शामिल किया गया है। इससे सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत एकजुट है।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने विदेश नीति के नाम पर अपनी कुछ आपत्तियां दर्ज कराई हैं और अपने प्रतिनिधि खुद चुनने पर जोर दिया है। इसी संदर्भ में ममता बनर्जी ने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को टीम में नामित किया है।