भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर किए गए सटीक और योजनाबद्ध हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भूचाल आ गया है। जहां एक ओर दुनिया के कुछ देश भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन कर रहे हैं, वहीं चीन और तुर्की ने पाकिस्तान के समर्थन में बयान जारी कर भारत की कार्रवाई पर आपत्ति जताई है।
नई दिल्ली: भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई के बाद चीन की प्रतिक्रिया सामने आई है। चीन ने इस सैन्य अभियान पर खेद जताया है और कहा है कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है। चीन ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करता है, लेकिन साथ ही उसने भारत के सैन्य कार्रवाई को लेकर अप्रसन्नता भी जताई है। चीन ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से समस्या सुलझाने की अपील की है।
चीन की 'शांति' की अपील या रणनीतिक चिंता?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। बीजिंग से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, भारत और पाकिस्तान पड़ोसी देश हैं और उन्हें आपसी संवाद से मुद्दों को सुलझाना चाहिए। चीन ने इस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चिंता जताई है। हालांकि चीन ने आतंकवाद के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा की निंदा की है, लेकिन साथ ही भारत द्वारा पाकिस्तान की सीमा में जाकर कार्रवाई करने को 'संप्रभुता का उल्लंघन' करार दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि चीन की यह प्रतिक्रिया उसकी पाकिस्तान से निकटता और CPEC प्रोजेक्ट्स में बड़े निवेश से प्रेरित है।
भारत का जवाब: आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति
चीन की तरह तुर्की ने भी भारत की सैन्य कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि तुर्की के विदेश मंत्री ने पाकिस्तानी समकक्ष से फोन पर बात कर भारत के कदम की निंदा की और इसे नागरिकों के खिलाफ हिंसा बताया। तुर्की का यह समर्थन कोई नई बात नहीं है, क्योंकि अतीत में भी वह कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा रहा है।
भारतीय सेना ने इस बार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और पंजाब प्रांत में स्थित नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। जिन ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई, उनमें बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट, कोटली और मुजफ्फराबाद के आतंकियों के ट्रेनिंग सेंटर शामिल हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, ये ठिकाने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे थे और हाल ही में भारत में हुए आतंकी हमलों की साजिश यहीं रची गई थी।
इजरायल ने जताया भारत का समर्थन
इजरायल की ओर से भारत को पूर्ण समर्थन मिला है। भारत में इजरायल के राजदूत रुवेन अजर ने बयान दिया, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की आत्मरक्षा का अधिकार पूरी तरह वैध है। आतंकियों को यह समझ लेना चाहिए कि निर्दोषों के खिलाफ हमलों के बाद उनके लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं होगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि वाशिंगटन भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर नजर रखे हुए है। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देश शांति और संवाद का रास्ता अपनाएंगे। अमेरिका ने किसी पक्ष का खुला समर्थन नहीं किया, लेकिन ‘शांतिपूर्ण समाधान’ पर जोर दिया।