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HDI 2025: भारत की मानव विकास सूचकांक में हुआ सुधार 193 देशों में हासिल किया 130वां स्थान

भारत ने 2025 के मानव विकास सूचकांक (HDI) में 193 देशों की सूची में 130वां स्थान हासिल किया है। यह भारत के लिए एक सकारात्मक बदलाव है, क्योंकि 2022 में भारत की रैंकिंग 133 थी, जो अब तीन स्थान ऊपर चढ़कर 130 हो गई है।

नई दिल्ली: भारत ने 2025 में जारी संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की मानव विकास रिपोर्ट (एचडीआर) में महत्वपूर्ण प्रगति दिखाते हुए मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में 193 देशों के बीच 130वां स्थान प्राप्त किया है। यह रैंकिंग 2022 में 133 थी, यानी भारत ने तीन स्थानों की छलांग लगाई है। इस सुधार का श्रेय भारत के शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक क्षेत्रों में हुए बदलावों को जाता है।

भारत का एचडीआई स्कोर अब 0.685 हो गया है, जो उसे मध्यम मानव विकास श्रेणी में रखता है। हालांकि, यह अभी भी उच्च मानव विकास (एचडीआई ≥ 0.700) से कुछ कम है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में असमानता के कारण एचडीआई में 30.7% की कमी आई है, जो इस क्षेत्र में सबसे अधिक है। इसके बावजूद, भारत की यह प्रगति आशा की एक नई किरण प्रदान करती है, और यह दर्शाती है कि देश ने अपने सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।

शिक्षा क्षेत्र में सुधार: बेहतर पढ़ाई के साल और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जीवन प्रत्याशा 71.7 साल से बढ़कर 72 साल हो गई है, जो अब तक की सबसे अधिक है। यह दर्शाता है कि भारतीय नागरिकों का स्वास्थ्य स्तर सुधरा है और वे लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। इसके अलावा, औसत पढ़ाई के साल भी बढ़कर 6.88 साल हो गए हैं, जो पहले 6.57 साल थे। हालांकि, रिपोर्ट ने यह भी सुझाव दिया है कि स्कूलिंग के अनुमानित वर्षों में अधिक बदलाव नहीं आया है, जो इस बात का संकेत है कि अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में कुछ मुद्दे बने हुए हैं।

रिपोर्ट में भारत की शिक्षा नीति की भी सराहना की गई है, खासकर 1990 के बाद की नीतियों जैसे शिक्षा का अधिकार, समग्र शिक्षा अभियान, और नई शिक्षा नीति 2020। इन नीतियों के माध्यम से सरकार ने शिक्षा को हर स्तर पर प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है। फिर भी, रिपोर्ट में यह माना गया है कि पढ़ाई की गुणवत्ता और सीखने के परिणामों में सुधार की जरूरत है।

आर्थिक क्षेत्र में उन्नति: प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी और गरीबी उन्मूलन

भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) 2021 में यूएसडी 8,475.68 से बढ़कर यूएसडी 9,046.76 हो गई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 1990 से अब तक भारत की एचडीआई में 53% से अधिक की वृद्धि हुई है, जो वैश्विक औसत और दक्षिण एशियाई देशों से तेज है।

इस विकास का प्रमुख कारण भारत की आर्थिक नीतियों और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, जननी सुरक्षा योजना, पोषण अभियान, मनरेगा, जनधन योजना, और डिजिटल समावेशन को माना जा रहा है। इसके साथ ही, 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं, जो भारत के आर्थिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में भारत का विकास

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में अग्रणी बन रहा है। भारत में एआई के क्षेत्र में 20% भारतीय शोधकर्ता अब देश में ही काम कर रहे हैं, जबकि 2019 में यह आंकड़ा लगभग शून्य था। इसका मतलब यह है कि भारत में अब एआई पर काम करने के लिए एक सशक्त बुनियादी ढांचा तैयार हो चुका है।

भारत में एआई का उपयोग कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में बढ़ रहा है, जिससे समग्र विकास में मदद मिल रही है। देश सरकार ने एआई के उपयोग को और अधिक व्यापक बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, ताकि यह तकनीक देश के हर कोने में पहुंच सके।

हालांकि, यूएनडीपी ने यह भी चेतावनी दी है कि वैश्विक मानव विकास की प्रगति अब तक की सबसे धीमी हो गई है, जो चिंता का विषय है। यह रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में विकास की गति कम हो गई है, और यह समय की मांग है कि देशों को अपनी नीतियों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए काम करना होगा।

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