मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के अनमोल रत्न हैं। उनकी कहानियाँ, उपन्यास, और नाटक सिर्फ साहित्य नहीं, बल्कि जीवन के गहरे अनुभव, समाज की सच्चाई और मानवता का दर्शन हैं। उन्होंने निर्धन, गरीब, और समाज के उपेक्षित तबकों की आवाज़ को शब्दों में पिरोया, जिससे उनके पात्र आज भी हमारे दिलों को छू जाते हैं।
जीवन का सच्चा सफर
उंगलियाँ मत उठाओ, जब तक हो खुद का हिसाब,
बिना मेहनत के दोष मत दो, चलो निभाओ अपना जवाब।
जिंदगी की राहें सरल नहीं, समझो गहराई इसमें,
हर कदम पर छुपे हैं सबक, जो खोलेंगे जिंदगी का रंगीन किस्सा।
बारिश की बूँदों में खिलती है खुशी की फुलझड़ी,
पतंग की डोर थाम के उड़ाओ सपनों की बड़ी लड़ी।
दोस्तों की हँसी में छुपा है दिल का सच्चा गीत,
मुस्कुराओ, जियो, बांटो खुशी, यही है जीवन की प्रीत।
थोड़ी मस्ती, थोड़ी शरारत, भर दो दिन की खट्टी-मीठी बातें,
शाम ढले तो फकीरों को खिलाओ, बांटो मानवता की सौगातें।
रुकना नहीं, थमना नहीं, आसमान की ओर देखो बार-बार,
मंजिलें बड़ी हैं, सपने बुलंद हैं, चलो बढ़ें बिना कोई विचार।
मानवता और समाज सेवा
रिश्तों की डोर को कस कर थामो,
अपने मन को दूसरों के साथ बांटो।
ना देखो जाति, रंग, या कोई और पहचान,
सिर्फ इंसानियत की हो दिल में जान।
फकीरों को थमाओ रोटी और प्यार,
जिसमें छुपा है जीवन का सार।
चलो साथ मिलकर समाज बनाएं,
जहाँ हर दिल को अपनापन पाएं।
मुंशी प्रेमचंद ने जीवन की जटिलताओं को सरल भाषा और वास्तविक घटनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया। उनकी कहानियाँ न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि समाज के कष्टों और संघर्षों को भी उजागर करती हैं। उनका साहित्य हमें यही प्रेरणा देता है कि जीवन में सुख-दुख दोनों का अनुभव जरूरी है। संघर्षों से हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि उनसे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। साथ ही, दूसरों की मदद करना, समाज की बेहतरी के लिए काम करना भी ज़रूरी है।