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AIIMS भोपाल में 3D प्रिंटिंग से क्रांति! किडनी सर्जरी का भविष्य होगा और बेहतर

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भोपाल स्थित AIIMS (All India Institute of Medical Sciences) ने एक अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब किडनी से संबंधित जटिल सर्जरी को और अधिक सटीक और सुरक्षित बनाने के लिए वहां की यूरोलॉजी टीम, डॉ. केतन मेहरा के नेतृत्व में, 3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग कर रही है। 

इस तकनीक के माध्यम से डॉक्टर सर्जरी से पहले मरीज की किडनी का एक हूबहू 3D मॉडल तैयार कर सकेंगे, जिससे उन्हें ऑपरेशन की योजना बनाने में बड़ी आसानी होगी।

कैसे काम करती है यह तकनीक?

इस परियोजना का केंद्र बिंदु है, Patient-specific 3D printed models। ये मॉडल मरीज की CT या MRI स्कैन की सहायता से तैयार किए जाते हैं, जिसमें किडनी की बनावट, पथरी की लोकेशन और आसपास के अंगों की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होती है। इससे डॉक्टर को यह समझने में मदद मिलती है कि सर्जरी के दौरान किस रास्ते से पहुंचना है और किस जगह पर खतरा हो सकता है।

विशेष रूप से PCNL (Percutaneous Nephrolithotomy) जैसी प्रक्रियाओं में यह 3D प्रिंटिंग तकनीक क्रांतिकारी साबित हो सकती है, क्योंकि यह प्रक्रिया आमतौर पर काफी जटिल होती है।

फंडिंग और उपकरण

इस परियोजना को मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (MPCST) की ओर से ₹9 लाख का अनुसंधान अनुदान प्रदान किया गया है। इस राशि में से ₹7 लाख का उपयोग एक रेज़िन-आधारित हाई-रेज़ोल्यूशन 3D प्रिंटर खरीदने में किया जाएगा, जबकि शेष ₹2 लाख एक Junior Research Fellow की 2 साल की सैलरी के लिए निर्धारित है। AIIMS भोपाल के इस प्रोजेक्ट में डॉ. विक्रम वट्टी, कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग से, को सह-प्रमुख अन्वेषक के रूप में जोड़ा गया है।

चिकित्सा क्षेत्र में बदलाव की उम्मीद

AIIMS के निदेशक डॉ. अजय सिंह का कहना है कि यह पहल हेल्थकेयर सिस्टम में Precision Surgery को बढ़ावा देगी और भारत को हेल्थटेक के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि 3D प्रिंटिंग तकनीक से न केवल जटिल सर्जरी आसान होंगी, बल्कि इससे मरीजों की रिकवरी भी तेज होगी और हॉस्पिटल में रुकने का समय कम हो सकेगा।

भविष्य की संभावनाएं

यह तकनीक भविष्य में सिर्फ किडनी नहीं, बल्कि हृदय, ब्रेन, लीवर और ऑर्थोपेडिक सर्जरी में भी अपनाई जा सकती है। इसके साथ ही यह मेडिकल छात्रों के लिए भी एक शानदार लर्निंग टूल बन सकता है, क्योंकि वे थ्योरी पढ़ने के बजाय असली जैसे मॉडल पर अभ्यास कर सकेंगे। AIIMS भोपाल की यह पहल भारत में मेडिकल इनोवेशन और तकनीक को मिलाकर बनाई गई एक प्रभावशाली मिसाल है, जो आने वाले वर्षों में अन्य संस्थानों के लिए प्रेरणा बन सकती है।

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